उफ! ये गरमी . गरम हवा से लू का खतरा, धूल भरी हवा में चलना मुश्किल
तेज धूप व पछिया हवा ने किया बेदम अप्रैल में ही गरमी उफान पर है. तापमान कभी 40 तो कभी 42 डिग्री के आंकड़े को छू रहा है. वहीं तेज पछिया हवा के साथ उड़ रही धूल ने सफर को जानलेवा बना दिया है. ऐसे में मौसम में सावधानी बरतने की जरूरत है, तो वहीं […]
तेज धूप व पछिया हवा ने किया बेदम
अप्रैल में ही गरमी उफान पर है. तापमान कभी 40 तो कभी 42 डिग्री के आंकड़े को छू रहा है. वहीं तेज पछिया हवा के साथ उड़ रही धूल ने सफर को जानलेवा बना दिया है. ऐसे में मौसम में सावधानी बरतने की जरूरत है, तो वहीं कृषि पर इसके दुष्प्रभाव की आशंका से किसान चिंतित हैं. वहीं इन दिनों स्नातक पार्ट – 3 की परीक्षाएं भी चल रही हैं. ऐसे मौसम में परीक्षार्थियों को दोहरी परेशानी झेलनी पड़ रही है.
मधेपुरा : परेशानी शहर में भी, गांव में भी
हर मौसम को लेकर शहर और गांव में अलग-अलग नजरिया होता है. ज्यादा बारिश शहर में जल जमाव की समस्या उत्पन्न कर देती है तो गांवों में फसलों की जरूरत के अनुसार यह अच्छा बुरा होता है. बुधवार को शहर में तेज धूप के कारण लोग सड़क पर कम ही नजर आये.
जिन्हें निकलना पड़ा उन्होंने सावधानी बरतते हुए चेहरे को ढंक लिया था. दिन के 11 बजे कोचिंग जा रही छात्रा नेहा ने बताया कि क्लास का समय ही इस समय है इसलिए जाना मजबूरी है. हालांकि उन्होंने अपने चेहरे को पूरी तरह ढंक लिया था. वहीं सुषमा कुमारी ने बताया कि गरमी हो या बरसात, कार्यालय तो जाना ही होगा. हां साथ में वह पानी रखना नहीं भूलती. लेकिन इस धूप और धूल के कारण कहीं भी आना जाना काफी मुश्किल होता है.
गांवों में मौसम को फसल के दृष्टिकोण से ही देखा जाता है. सिंहेश्वर पंचायत के किसान अजीत सिंह कहते हैं कि इतनी गरमी में केले के पौधों को अत्यधिक पानी की आवश्यकता पड़ रही है.
पटवन करने के लिए इस धूप में भी खेत तो जाना हो होगा. वहीं शंकरपुर के जीरवा मधेली पंचायत के निराला जी कहते हैं कि मक्के की खेती की है. लेकिन गरमी के कारण पौधों में कई बार पटवन करना पड़ रहा है. अगर पटवन में कमी रह गयी तो मक्के में दाना विकसित नहीं हो सकेगा. वहीं गेहूं की कटनी भी तेजी से हो रही है. हालांकि तापमान में बढोतरी के कारण गेहूं उत्पादन पर भी असर पड़ा है.