मधेपुरा की कंचन ने महामहिम से मांगी इच्छा मृत्यु की अनुमति

मधेपुरा : आॅटिज्म (मानसिक विकलांग) से जूझ रहे अपने 13 वर्षीय विकलांग पुत्र के साथ जीवन-बसर की सभी संभावनाओं को त्याग चुकी कंचन कुमारी ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर अपने बेटे के साथ खुद की भी इच्छा मृत्यु की मांग की है. वह मधेपुरा के पानी टंकी चौक के पास की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 10, 2016 6:07 AM

मधेपुरा : आॅटिज्म (मानसिक विकलांग) से जूझ रहे अपने 13 वर्षीय विकलांग पुत्र के साथ जीवन-बसर की सभी संभावनाओं को त्याग चुकी कंचन कुमारी ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर अपने बेटे के साथ खुद की भी इच्छा मृत्यु की मांग की है. वह मधेपुरा के पानी टंकी चौक के पास की रहनेवाली है. कंचन का कहना है कि वह हर तरह से टूट चुकी है और उसके जीवन में किसी तरह की कोई आशा शेष नहीं बची है.

बेटे के कारण पति ने छोड़ा : राष्ट्रपति को भेजे अपने पत्र में कंचन ने लिखा है कि उसका बेटा शारीरिक और मानसिक विकलांग है. इसी वजह से उसके पति ने उन दोनों का त्याग कर दिया है. विगत 13 वर्ष से वह किसी तरह मायके में रह कर अपना भरण-पोषण कर रही है. उसने कई जगह नौकरी के लिए आवेदन भी दिया है, लेकिन नतीजा सिफर रहा है. उसने कई बार अपने बच्चे के साथ आत्महत्या की भी कोशिश की, लेकिन हर बार बचा ली गयी है. लेकिन, अब वह नारकीय जीवन से थक चुकी है. और इसी कारण अपने बेटे के साथ इच्छा मृत्यु चाहती है.
पिटाई करता है बेटा, चुपचाप सहती है मां : कंचन ने बताया कि आॅटिज्म से पीड़ित उसके बेटे
में मानवीय
मधेपुरा की कंचन…
संवेदनाएं नहीं हैं. वह मां की इतनी पिटाई करता है कि कंचन के सामने के सभी दांत टूट चुके हैं. कई बार तो चोट के कारण उसके कान से खून तक निकल जाता है. जैसे-जैसे वह बड़ा होता जा रहा है, उसे संभालना बहुत ही मुश्किल काम हो गया है. उसे ठीक से पकड़ने के लिए तीन लोगों की जरूरत पड़ती है. अगर उन्हें कुछ हो गया तो बेटे को कौन संभालेगा. लोग उसे आततायी समझ कर जान से ही मार देंगे. कंचन भावुक होकर कहती है कि वह अपने बेटे के बिना जिंदा नहीं रह सकती है और उसका बेटा उसके बिना. इसलिए उसने राष्ट्रपति से दोनों मां-बेटे के लिए इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है.
प्रभात एक्सक्लूिसव
ऑटिज्म से पीड़ित बेटे को संभाल कर थक चुकी है
कई बार बेटे के साथ जान देने की कर चुकी है कोशिश
चबा नहीं सकता, आंखों में रोशनी भी कम
कंचन ने रो-रो कर बताया कि उसका बेटा आज भी अपने से कुछ भी चबा कर नहीं खा सकता है. वहीं उसकी आंखों में भी महज पांच या दस प्रतिशत रोशनी है. 13 साल से अनवरत वह अपने बच्चे को किसी तरह से जिंदा रख पायी है. मानसिक विकलांग होने के कारण वह भी कई तरह का उत्पात करता है. ऐसे हालत में जीवन जीना पूरी तरह दुरुह हो गया है.

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