नब्बे दिन बाद भी नहीं मिला जवाब

मनमानी . डीएम के शो कॉज को ताक पर रख देते हैं अधिकारी जिले में ऐसे अधिकारी भी हैं जिनके लिए डीएम का शो कॉज महज एक कागज से अधिक कुछ नहीं है. दो- दो बार शो कॉज करने पर भी जब डीएम को अधिकारी ने जवाब नहीं दिया तो तीसरी बार 20 मई को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 15, 2016 1:59 AM

मनमानी . डीएम के शो कॉज को ताक पर रख देते हैं अधिकारी

जिले में ऐसे अधिकारी भी हैं जिनके लिए डीएम का शो कॉज महज एक कागज से अधिक कुछ नहीं है. दो- दो बार शो कॉज करने पर भी जब डीएम को अधिकारी ने जवाब नहीं दिया तो तीसरी बार 20 मई को सात दिन का समय देते हुए जब जवाब मांगा गया तो आज तक उस अधिकारी के कान पर जूं नहीं रेंगी. अब तक जवाब नहीं मिला है.
मधेपुरा : उदाकिशुनगंज के डीसीएलआर विनय कुमार सिंह से डीएम ने ज्ञापांक 190-2 दिनांक 14 मार्च 2016 तथा ज्ञापांक 397-2 दिनांक 25 अप्रैल 2016 को स्पष्टीकरण मांगा था. जवाब नहीं मिलने पर ज्ञापांक 435-2 दिनांक 20 मई 20016 को पत्र प्राप्ति के सात दिन के भीतर पहले मांगे गये स्पष्टीकरण के प्रसंग में जवाब मांगा गया. इस जवाब पर समीक्षा कर डीसीएलआर के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई किया जाना था.
क्यों मांगा जा रहा है स्प्ष्टीकरण
उदाकिशनुगंज डीसीएलआर विनय कुमार सिंह ने आलमनगर प्रखंड के किशनपुर रतवारा स्थित गंगापुर के एक नामांतरण अपील वाद में एक ही तारीख को एक ही मामले की सुनवायी करते हुए मामले के दोनों पक्षों के पक्ष में फैसला सुना दिया था. यह मामला जब डीएम मो सोहैल के सामने आया तो उन्होंने इसकी जांच एडीएम अबरार अहमद कमर से करायी थी. एडीएम की जांच में डीसीएलआर पर लगे इस आरोपों को सही पाया गया.
इसके बाद डीएम ने कड़ा पत्र भेज कर डीसीएलआर विनय कुमार सिंह से सात दिन के भीतर बिंदुवार जवाब तलब किया. गौरतलब है कि मधेपुरा नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी के प्रभार में रहने के दौरान भी विनय कुमार सिंह पर वित्तीय अनियमितता बरतने का आरोप लगा था. इसकी भी जांच जारी है.
एडीएम ने अपनी रिपोर्ट में ठहराया दोषी
एडीएम अबरार अहमद कमर ने जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट किया कि डीसीएलआर विनय कुमार सिंह द्वारा नामांतरण अपील वाद संख्या 113/2013-14 में एक ही तिथि 13 फरवरी को दो आदेश पारित और हस्ताक्षरित है. एक आदेश अपीलार्थी के पक्ष में है. लेकिन मूल अभिलेख में इसे संलग्न नहीं किया गया है. जबकि दूसरा आदेश के इसी मामले के उत्तरवादी के पक्ष में है जो मूल अभिलेख में संलग्न है.
डीसीएलआर द्वारा 13 फरवरी को ही मामले को निष्पादित दिखाया गया है. रिपोर्ट में लिखा है कि डीसीएलआर के खिलाफ एक तारीख को एक ही मामले में दोनों पक्षों के पक्ष में दो आदेश पारित किये जाने संबंधी लगाया गया आरोप सही हैं. एक अन्य मामले में भी डीसीएलआर के विरूद्ध गंभीर आरोप हैं और उसकी भी जांच में कई अनियमितता उजागर हुई है.

Next Article

Exit mobile version