फैक्टरी में उगा जंगल, मशीनों में जंग
अनदेखी . इंजन कारखाना को ले खुशी पर रेल स्लीपर कारखाना में नहीं शुरू हुआ काम ग्रीन फील्ड विद्युत रेल इंजन कारखाना को लेकर लोगों में जिले में हर्ष है. इस कारखाना का निर्माण कार्य शुरू होने के बाद डीएम मो सोहैल ने ऑल्सटाम कंपनी और उसकी अन्य सहयोगी कंपनियों के आगमन को लेकर एक […]
अनदेखी . इंजन कारखाना को ले खुशी पर रेल स्लीपर कारखाना में नहीं शुरू हुआ काम
ग्रीन फील्ड विद्युत रेल इंजन कारखाना को लेकर लोगों में जिले में हर्ष है. इस कारखाना का निर्माण कार्य शुरू होने के बाद डीएम मो सोहैल ने ऑल्सटाम कंपनी और उसकी अन्य सहयोगी कंपनियों के आगमन को लेकर एक बेहतर माहौल बनाने की कवायद शुरू कर दी है. इस दिशा में निवेशक की एक बैठक इसी महीने आयोजित होगी. लेकिन इन सब के बीच मधेपुरा शहर में एक फैक्ट्री विगत सात साल से अपने उद्धारक की बाट जोह रही है. स्थिति यह है कि अब इस फैक्टरी के परिसर में जंगल उग गये हैं. इतना ही नहीं लाखों की लागत से लगी मशीन में जंग लग गया है. इस ओर किसी की नजर नहीं है. तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने जिलेवािसयों को यह तोहफा दिया था.
मधेपुरा : शहर के दक्षिण पूर्व दिशा में रेलवे ट्रैक के नीचे लगायी जाने वाली कंक्रीट स्लीपर बनाने की फैक्ट्री बन कर तैयार है, लेकिन अब मशीनों को जंग खाने लगी है. करोड़ों की लागत से बनी इस फैक्ट्री को उपयोग में नहीं लाये जाने के कारण जनता की गाढ़ी कमाई से बनी यह फैक्ट्री बेकार हो रही है. अगर इस फैक्ट्री को चालू किया जाये तो मधेपुरा की अर्थव्यवस्था में चढ़ाव आयेगा. इस दिशा में भी पहल किये जाने की भी जरूरत है.
नौ वर्ष पूर्व शिलान्यास
वर्ष 2006 ई. में मधेपुरा से सांसद बनकर रेल मंत्री बने लालू प्रसाद यादव ने अपने संसदीय क्षेत्र को पहला तोहफा दिया कि कोसी क्षेत्र का सर्वागीन विकास हो सके. लालू ने दस दिसंबर 2006 ई. को दौरम् मधेपुरा रेलवे स्टेशन पर कारखाना का शिलान्यास किया था.
उपेक्षित है कारखाना
मधेपुरा में रेल कंक्रीट स्लीपर फैक्ट्ररी वर्ष 2009 ई में ही बनकर तैयार हो गया. बताया जाता है कि वर्ष 2009 के लोक सभा चुनाव की घोषणा होने से ठीक एक दिन पहले उद्घाटन की तैयारियां की जा चुकी थी. तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव इसका उद्घाटन करते परंतु अचानक आचार संहिता लागू हो जाने के कारण उद्घाटन पर पानी फिर गया. यही वजह रहा कि लालू के रेल मंत्री पद से हटने के बाद कारखाना उपेक्षित पर कर रह गया. इस दिशा में लालू के बाद किसी रेलमंत्री ने फैक्टरी चालू कराने की दिशा में कोई पहल नहीं की.
लगे हैं बड़े-बड़े संयंत्र
कंक्रीट स्लीपर रेल कारखाना कई सात करोड़ की राशि से बनकर तैयार हुआ. जिसमें स्लीपर उत्पादन के लिए बड़े – बड़े संयंत्र लगाये गये. कारखाना बनाने का जिम्मा इरकॉन कंपनी को मिला. विभाग के एकरारनाम के आधार पर फैक्टरी का निर्माण करा दिया गया.
16 एकड़ में है फैक्टरी
जिला मुख्यालय के रेलवे के जिस 16 एकड़ भूमि में स्लीपर कारखाना बना, उस जगह पर पहले मुखर्जी उद्यान हुआ करता था. यह जगह शीशम के वृक्षों से पटा था. लेकिन देख रेख के अभाव में शीशम के पेड़ में फफूंद रोग का प्रकोप हुआ, तो लाखों के सूखे पेड़ को आसपास के चोरों ने काट लिया. देखते ही देखते उद्यान वीरान सा पड़ गया.
सात वर्ष पहले सात करोड़ की राशि से बन कर हुआ तैयार अब तक है उद्घाटन का इंतजार
तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने संसदीय क्षेत्र मधेपुरा को दी थी सौगात
कारखाना निर्माण होने के बावजूद रेल प्रशासन स्लीपर कारखाना को नहीं करा सका चालू
वर्ष 2009 में उदघाटन की हुई थी घोषणा पर आचार संहिता लग जाने के कारण नहीं हो पाया
इसके बाद उपेक्षित ही रह गया
अगर शुरू होती फैक्टरी, तो बेकार हाथों को मिलता काम
कारखाना को लेकर क्षेत्र के लोग इस बात को लेकर आशान्वित थे कि बेरोजगार मजदूरों को अब काम के लिए नहीं सोचना पड़ेगा. बाढ़ की विभीषिका से परेशान कोसी क्षेत्र के मजदूर वर्ग काम की तलाश में अन्य प्रदेश का रूख अखतियार कर लेते है. जिस कारण अपने घर परिवार को छोड़ कर अन्य प्रदेश में काम करते है. लेकिन फैक्ट्ररी निर्माण को लेकर मजदूरों में काफी आस जगी थी. जिले में कंक्रीट फैक्टरी के निर्माण हो जाने से अनेकों हाथों को काम मिल जायेगा. जिससे उन्हें अनके प्रकार की परेशानी झेल कर अन्य प्रदेश नहीं जाना पड़ेगा. यहीं वे अपने बच्चों का भरण पोषण कर पायेंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. वहीं छोटे व्यवसायी वर्ग भी अपने में फैक्टरी निर्माण को लेकर कई संभावनाएं पाल रखी थी. लेकिन इस फैक्ट्री के शुरू नहीं होने के कारण लोग इसे भूलने लगे हैं.