मधेपुरा में ट्रेड यूनियन की हड़ताल का व्यापक असर

मधेपुरा : केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के अखिल भारतीय आम हड़ताल का मधेपुरा में व्यापक असर देखा गया. केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर पूंजीपतियों की लाभ देने व मजदूरों के अधिकार की अनदेखी का आरोप लगा कर ट्रेड यूनियनों ने शुक्रवार को बन्द का आयोजन किया था. इस बंदी का बैंकों व डाकघरों पर काफी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 2, 2016 12:00 AM

मधेपुरा : केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के अखिल भारतीय आम हड़ताल का मधेपुरा में व्यापक असर देखा गया. केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर पूंजीपतियों की लाभ देने व मजदूरों के अधिकार की अनदेखी का आरोप लगा कर ट्रेड यूनियनों ने शुक्रवार को बन्द का आयोजन किया था.

इस बंदी का बैंकों व डाकघरों पर काफी असर देखा गया. इस दौरान बंदी को सफल बनाने के लिए वामदलों ने कर्पूरी चौक पर सड़क जाम कर आंदोलनकारियों ने केंद्र की मजदूर विरोधी नीति के खिलाफ जम कर नारेबाजी की. वहीं सड़कों पर रैली के साथ साथ मोटरसाइकिल जुलूस भी निकाला गया. रैली में शामिल कार्यकर्ता शहर में घूम धूम कर बंद करा रहे थे. वहीं एटक, इंटक, सीटू एवं एक्टू जैसी ट्रेड यूनियनों को भाकपा, माकपा, माले आदि साम्यवादी दलों और एआईएसएफ और एआईवायएफ के छात्र नेताओं ने खुलकर समर्थन दिया.

इस दौरान स्टेट बैंक, सेन्ट्रल बैंक, यूको बैंक, ग्रामीण बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, ग्रामीण बैंक आदि सभी बैंक बन्द रहा. जीवन बीमा निगम, डाकघर, दूर संचार, विद्युत विभागीय कर्मी भी पूर्णत: हड़ताल पर रहे. कर्पूरी चौक पर सड़क जाम कर रहे आंदोलनकारियों का नेतृत्व कर रहे भाकपा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए कहा कि रेलवे, रक्षा, वित्तीय संस्थाओं, खुदरा व्यापार आदि में प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश के अतिरिक्त प्रमुख बंदरगाहों, आयुध कारखाना एवं डाक सेवाओं का निजीकरण करने की मोदी सरकार की साजिश को हम नाकाम कर देंगे. वामपंथ दल इस जनविरोधी नीति को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा.

माकपा के राज्य कमेटी सदस्य गणेश मानव ने मोदी सरकार पर बेरोजगारी और महंगाई के साथ निजीकरण का आरोप लगाया . भाकपा माले के जिला संयोजक रामचन्द्र दास ने मोदी सरकार को छलावा बताया. भाकपा जिला मंत्री विद्याधर मुखिया, वरीय नेता रमण कुमार आदि ने पूंजीवादी सरकार के गरीब विरोधी कदमों की चर्चा करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने अपनी किसी घोषणा को पूरा नहीं किया. विदेशों में जमा काला धन भी वापस नहीं ला सकी. ट्रेड यूनियन के एटक के जिला संयोजक वीरेन्द्र नारायण सिंह, इंटक जिलाध्यक्ष संजय कुमार सिंह, सीटू के नेता अमिलाल मंडल, एक्टू के नेता सुभाष मल्लिक आदि ने केन्द्र सरकार पर श्रम कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप समान, समान काम का समान वेतन आदि की मांग की.

इंटक के जिलाध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने कहा कि बारह सूत्री मांगों को लेकर हमारा यह आंदोलन लगातार जारी रहेगा. ठेका पर काम करने वाले मजदूरों को नियमित कर्मचारियों के समान मजदूरी, न्यूनतम मजदूरी 18 हजार रुपये प्रति माह करने, तीन हजार रुपये पेंशन का सभी को लाभ, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना आदि मुख्य मुख्य मांगें हैं. इसके अलावा हीरा पासवान, हरेराम गुप्ता, बीबी खुशबू, साजन खातून, आशा खातून आदि भी प्रदर्शन में शामिल होकर केंद्र की मजदूर विरोधी नीति के खिलाफ आवाज बुलंद किया.

साम्यवादी दलों एवं ट्रेड यूनियनों के प्रदर्शन में भाकपा नेता सरयू यादव, ललन मंडल, मु. जहांगीर, मंजूर आलम, भागवत मंडल, कृत्यानंद रजक, एआईवायएफ के जिला सचिव शंभू क्रांति, रूपेश यादव, पपलेश्वर, विवेक, एआईएसएफ के जिलाध्यक्ष वसीमुद्दीन नन्हें, संतोष सुमन, भगत सिंह, माकपा नेता लखन साह, रंजीत मानव, महिला नेत्री सरिता देवी, रंजो देवी, अचिदा खातुन, माले के गुलशन, राहुल, सीताराम रजक सहित सैकड़ों की संख्या में लोग प्रदर्शन में शामिल थे. जीवन बीमा निगम के मो अहमद जसीम, मंजेश कुमार, विजय प्रकाश, अजय नाथ झा, मो शमीमुद्दीन, राजीव, नारायण वासकी, उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय के राजेश सिन्हा, आशीष रंजन झा, मनीष झा, राजू कुमार, गौरव मिश्रा, गोविन्द्र कुमार, विजेन्द्र शर्मा, यदुनंदन कुमार, चन्दन आदि डाक विभाग के गोविन्द्र कुमार, कुन्दन कुमार यादव, अगम लाल यादव, कृष्ण मांझी, दीन बंधु आदि भी हड़ताल में शामिल रहे.

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