पंचायत प्रतिनिधियों की दिखी एकजुटता
जिला पंचायत समिति सदस्य की जिला इकाई के बैनर तले शुक्रवार को जिला मुख्यालय स्थित टाउन हॉल में सम्मेलन का आयोजन हुआ. इसमें प्रतिनिधियों ने हुंकार भरी. अिधकार बढ़ाने की मांग की है. मधेपुरा : जिला पंचायत समिति सदस्य सम्मेलन में प्रतिनिधियों अपनी एकजुटता दिखायी. उपस्थित जनप्रतिनिधियों ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायती राज का सामान्य […]
जिला पंचायत समिति सदस्य की जिला इकाई के बैनर तले शुक्रवार को जिला मुख्यालय स्थित टाउन हॉल में सम्मेलन का आयोजन हुआ. इसमें प्रतिनिधियों ने हुंकार भरी. अिधकार बढ़ाने की मांग की है.
मधेपुरा : जिला पंचायत समिति सदस्य सम्मेलन में प्रतिनिधियों अपनी एकजुटता दिखायी. उपस्थित जनप्रतिनिधियों ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायती राज का सामान्य अर्थ ग्राम पंचायत, पंचायत समिति तथा जिला परिषद है, जो पंचायती राज का मूल स्तंभ है. बिहार सरकार ने 2001 के पंचायत चुनाव के बाद बराबर का अधिकार दे कर पंचायत व्यवस्था को सफलतापूर्वक कार्य करने के लिये प्रोत्साहित किया था. लेकिन कुछ ही दिन बाद से ग्राम पंचायत की तुलना में बांकी दोनों की उपेक्षा कर अधिकारों में कटौती की जा रही है. इसके कारण प्रतिनिधियों में निराशा का भाव उत्पन्न हो रहा है.
मुखिया बने रहे हस्ताक्षरी, पंसस व जिप हटे : उपस्थित प्रतिनिधियों ने कहा कि प्रथम चुनाव के बाद तो प्रखंड में प्रमुख व बीडीओ जिला में जिप अध्यक्ष व कार्यपालक पदाधिकारी तथा पंचायत में मुखिया एवं सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से खाता का संचालन होता था.
लेकिन बिहार सरकार ने पंचायत समिति और जिला परिषद से यह अधिकार छीन कर न केवल समानता के भाव को खत्म किया बल्कि जनप्रतिनिधियों को अपमानित भी किया गया. यहां तक कि विकास कार्यों के लिये राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं में आने वाली राशि से भी पंसस एवं जिला परिषद को वंचित कर दिया गया है. पांचवीं वित्त आयोग में तो चौथे वित्त आयोग की तुलना में राशि को आधी कर दी गयी है. यह कारण है पंचायत समिति एवं जिला परिषद के प्रतिनिधि जनता की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं.