नगर परिषद के इंतजाम नाकाफी
सफाई शुरू. शहर में फैली है गंदगी, शहरवासी हो रहे हैं परेशान शहर में सफाई शुरू होने के बावजूद चारों तरफ फैली है गंदगी. चार दिन पूर्व नगर परिषद ने दोनों एनजीओ को पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि तत्काल मजदूर की व्यवस्था कर सफाई अभियान को सुचारु करें. इसके बाद सफाई अभियान ने […]
सफाई शुरू. शहर में फैली है गंदगी, शहरवासी हो रहे हैं परेशान
शहर में सफाई शुरू होने के बावजूद चारों तरफ फैली है गंदगी.
चार दिन पूर्व नगर परिषद ने दोनों एनजीओ को पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि तत्काल मजदूर की व्यवस्था कर सफाई अभियान को सुचारु करें. इसके बाद सफाई अभियान ने गुरुवार से जोड़ पकड़ा है. हालांकि सफाई अभियान का असर अभी तक नहीं दिख रहा है.
मधेपुरा : एक महीने से भी अधिक समय से नगर के सफाई में व्यवधान के बाद नगर परिषद द्वारा दोनों सफाई एजेंसी को कड़ा पत्र लिख कर अविलंब सफाई अभियान को गति देने के निर्देश के बाद गुरुवार से मुख्य सड़कों की सफाई ने जोड़ पकड़ा है. हालांकि सफाई अभियान का असर अभी तक नहीं दिख रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि मुख्य सड़क एवं बाजार में जमे कचड़े को हटाने के बाद वार्ड स्तर पर भी सफाई को गति दी जायेगी.
गौरतलब है कि चार दिन पूर्व नगर परिषद ने दोनों एनजीओ को पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि तत्काल मजदूर की व्यवस्था कर सफाई अभियान को सूचारू करें. इसके साथ ही दोनों एनजीओ पर पूर्व में लगाये गये उस बंदिश को हटा लिया गया है जिसमें नप में पूर्व से कार्यरत दैनिक मजदूर को ही एनजीओ के तहत कार्य करने के लिए रखना था.
आउटसोर्सिंग के जरिये सफाई की हुई व्यवस्था : नगर परिषद में सफाई कर्मियों के पद स्थायी नहीं हैं लेकिन पचास से ज्यादा सफाईकर्मी नगर परिषद के अंतर्गत काम करते रहे हैं. इन सफाईकर्मियों को काम के लिये भुगतान भी किया जाता रहा है. सरकार के निर्देशानुसार नगर परिषद दैनिक मजदूरों को भुगतान नहीं दे सकता है. हालिया आदेशानुसार नप को आउटसोर्सिंग के जरिये सफाई की व्यवस्था करना है. शहर में सफाई के लिये निविदा के जरिये दो एनजीओ को इसकी जिम्मेदारी दी गयी है.
लेकिन सफाई कर्मियों ने एनजीओ के तहत काम करने से इनकार कर दिया और हड़ताल पर चले गये. इसके साथ उन्होंने अन्य बाहरी मजदूरों को भी काम नहीं करने देने की बात कही थी.
लाचार हो गये हैं एनजीओ : नगर परिषद प्रशासन को लगभग एक माह पूर्व ही एनजीओ ने लिख कर दिया गया था कि उनके मजदूरों को काम नहीं करने दिया जा रहा है. उनके मजदूरों के साथ स्थानीय सफाई कर्मी दुर्व्यवहार कर रहे है. इस मामले में कार्यपालक पदाधिकारी ने वरीय अधिकारी से दिशा निर्देश मांगा तो जिलाधिकारी द्वारा पुलिस बल प्राप्त करने के लिए एसपी से अधियाचना करने का निर्देश दिया गया़ इसके बाद कार्यपालक पदाधिकारी पुलिस बल की मांग भी की थी.
पहले किये गये भुगतान भी लौटाना होगा : वहीं दूसरी ओर बिहार सरकार ने स्थानीय निकायों को दैनिक मजदूरी पर कार्य लगाने से प्रतिबंधित करते हुए पूर्व में मजदूरों को किया गया भुगतान लौटाने का आदेश दिया है. बिहार सरकार के पत्र संख्या 04 नसे 01-103/87-1231नविवि समेत अन्य पत्र द्वारा शहरी स्थानीय निकायों को दैनिक मजदूरी पर कार्य पर लगाने से प्रतिबंधित किया गया है. वहीं इसी पत्रांक द्वारा साफ सफाई कार्य वाह्य स्रोत से निविदा कर कराने का निर्देश है. इतना ही नहीं वर्ष 2013 – 14 एवं 2014-15 में दैनिक मजदूरी पर हुए 43 लाख 84 हजार 184 रूपये के भुगतान को अनियमितता बताया है.
मामले में फंसा है पेच : अब स्थिति यह है कि कार्यपालक पदाधिकारी साफ साफ कह चुके है कि दैनिक वेतन भुगतान करना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है और वे किसी भी वित्तीय अनियमितता में फंसने को तैयार नहीं है.
सफाई अभियान को लगा ग्रहण
शहर में बार-बार डोर टू डोर कचरा उठाव की बात हो रही है लेकिन जब भी इसकी घोषणा की जाती है या अमलीजामा पहनाने की शुरूआत की जाती है तब-तब इस पर कोई न कोई ग्रहण लग जाता है. न डोर टू डोर कचरा उठाव हो रहा है न सड़क से ही कचरा साफ किया जा रहा है. इसके कारण सड़क पर भी गंदगी का आलम है. शहर में सकारात्मक बदलाव की रफ्तार धीमी हो गयी है. विगत एक महीने से नगर परिषद के सफाई कर्मी हड़ताल पर हैं. ये लोग एनजीओ के तहत दैनिक भत्ते पर काम करने के लिए तैयार नहीं हैं.