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सड़क पर वाहन लगाने की मजबूरी

तोबा-तोबा . मुख्य सड़क पर सजी सब्जी मंडी, जगह-जगह कूड़े का ढेर शहर हर तरफ बिखरा सा लगता है. न व्यवस्थित दुकानें हैं, न ही सुचारु यातायात! राजनीतिक रूप से समृद्ध मधेपुरा शहर में मुख्य सड़क पर सब्जी मंडी सजती और जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हुए हैं. इससे शहर व शहरवासियों की किरकिरी होती […]

तोबा-तोबा . मुख्य सड़क पर सजी सब्जी मंडी, जगह-जगह कूड़े का ढेर

शहर हर तरफ बिखरा सा लगता है. न व्यवस्थित दुकानें हैं, न ही सुचारु यातायात! राजनीतिक रूप से समृद्ध मधेपुरा शहर में मुख्य सड़क पर सब्जी मंडी सजती और जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हुए हैं. इससे शहर व शहरवासियों की किरकिरी होती है. लेकिन अब मधेपुरा शहर को सुंदर व व्यवस्थित करने की जरूरत है.
मधेपुरा : मधेपुरा शहर में एक तो खास बात है… यहां की सड़कें काफी चौड़ी हैं.’ यहां आने वाले लोग मधेपुरा शहर के बारे में यही कहते हैं. लेकिन दुख की बात है कि मधेपुरा नगर परिषद, जिला प्रशासन व मधेपुरा शहरवासी अपने शहर को सुंदर व व्यवस्थित बनाने की दिशा में एक भी कदम नहीं उठा रहे. बीच-बीच में अखबारों में खबर छपने के बाद कुछ सुगबुगाहट दिखती तो है, लेकिन वह भी किसी बुलबुले की तरह फूट जाता है. शहर हर तरफ बिखरा सा लगता है. न व्यवस्थित दुकानें हैं, न ही सुचारु यातायात! राजनीतिक रूप से समृद्ध मधेपुरा शहर को अब तो सुंदर और व्यवस्थित बनाने के लिए चारों ओर से स्वस्थ प्रयास किया जाना चाहिए.
जाम की समस्या तो होने लगी है आम
मधेपुरा बाजार में जाम की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. मुख्य सड़क पर हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है. शाम होते-होते मुख्य सड़क से गुजरना मुश्किल हो जाता है. सड़क के किनारे लोग अपनी – अपनी दुकानें लगा रहे है. रेहरी पटरी वालों के कारण सड़क की चौड़ाई घटती जा रही है. संध्या के समय सड़क के दोनों ओर नीचे में दुकान लगाने से जाम की समस्या और भी बढ़ गयी है. यातायात सुचारू करने के लिए यातायात पुलिस नहीं है. पुलिस विभाग में जवानों की संख्या पर्याप्त नहीं है.
इसलिए अधिकांश पुलिस बल को अपराध नियंत्रण में ही अपना पूरा जोर लगाना पड़ता है. जबकि मधेपुरा शहर की बनावट ऐसी है कि थोड़े प्रयास से ही यहां जाम की स्थिति पर नियंत्रण रखा जा सकता है. जाम के कारण जहां दुकानदारों को परेशानी होती है. वहीं आम लोग भी परेशान रहते हैं.
नाम बड़े और दर्शन छोटे
शहर विकसित होता जा रहा है. बड़ी-बड़ी दुकानें खुलती जा रही है. सरकारी ओर निजी बैंक की शाखाएं खुल रही हैं. डिपार्टमेंटल स्टोर बन गये हैं. दुकानों की बोर्ड पर हर कोई अपने अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के बारे में बता रहा है. लेकिन इन दुकानों और प्रतिष्ठानों के संचालक शहर के प्रति अपनी जिम्मेदारी से लापरवाह बने हुए हैं.
इन दुकानों, प्रतिष्ठानों और बैंक के संचालक और प्रबंधकों ने इस बात को बिल्कुल दरकिनार कर दिया है कि उनके दुकान और प्रतिष्ठनों में पहुंचने वाले उपभोक्ता अपनी गाड़ी को पार्क कहां करेंगे. अपनी जमीन छोड़ना तो दूर उन्होंने ने तो दुकान को आगे बढ़ कर सरकारी जमीन पर भी कब्जा कर लिया है. कितने दुख की बात है
कि हमने कमाई के अंधाधुंध दौड़ में अपनी जिम्मेदारियों को ताक पर रख दिया है. वहीं दूसरी तरफ सड़क के किनारे पर एक से बढ़ कर एक महंगी गाडि़यां लोग ऐसे पार्क करते हैं कि आधी सड़क बाधित हो जाती है. मारूति 800 से लेकर ऑडी तक मधेपुरा की सड़क पर दौड़ती नजर आती है लेकिन जब ये गाडि़यां सड़क पर खड़ी करने के कारण होने वाली जाम को नजरअंदाज कर लोग खरीदारी करते रहते हैं तो इन गाडि़यों के मालिकों को कोसने वालों की भी कमी नहीं रहती.
सब्जी मंडी की जगह
हो निर्धारित
मधेपुरा की मुख्य सड़क पर पुरानी कचहरी चौक ही वर्षों से सब्जी मंडी बना हुआ है. अगर सब्जी मंडी को व्यवस्थित तरीके से कहीं अन्यत्र लगाया जाये तो यहां पार्किंग के लिये पर्याप्त जगह उपलब्ध होगा. नगर परिषद अब तक सब्जी मंडी के लिए यथोचित जगह की तलाश नहीं कर पाया है. वहीं मांस-मछली बाजार को व्यवस्थित किये जाने की जरूरत है. इसके कारण कॉलेज चौक, बस स्टैंड, अस्पताल रोड और शहर में कई अन्य जगहों पर बेतरतीब तरीके से मछली एवं मीट के बाजार लगाये जाते हैं.
मधेपुरा शहर को सुंदर व व्यवस्थित बनाने की योजनाएं बना ली गयी हैं. उसे मूर्त देने में नगर परिषद जुट गया है.
मनोज कुमार पवन, कार्यापालक पदाधिकारी, नगर परिषद, मधेपुरा

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