ईंट-पत्थर से तौल ठगे जा रहे ग्राहक

चौसा : एक तरफ लोगों को महंगाई से त्रस्त होकर विवश हो रहे है. गरीब परिवार के सदस्य दूसरी तरफ चौसा प्रखंड के अधिकांश किराना दुकान व सब्जी मंडी के विक्रेता नियमों का उल्लंघन करने में बाज नहीं आ रहा है. हाट बाजारों में बटखरे की जगह ईंट पत्थर से बनी बटखरे से खाद्य पदार्थ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 9, 2017 4:49 AM

चौसा : एक तरफ लोगों को महंगाई से त्रस्त होकर विवश हो रहे है. गरीब परिवार के सदस्य दूसरी तरफ चौसा प्रखंड के अधिकांश किराना दुकान व सब्जी मंडी के विक्रेता नियमों का उल्लंघन करने में बाज नहीं आ रहा है. हाट बाजारों में बटखरे की जगह ईंट पत्थर से बनी बटखरे से खाद्य पदार्थ तौला जा रहा है. आम जनता रोज ठगी का शिकार हो रहे है. लेकिन प्रशासनिक अधिकारी के अनुसार इस पर कार्रवाई करने में सीधा विफल हो रहे है.

सरकार व राज्य सरकार अधिनियम के अंतर अधिन 1947 में बजट में बाट माप विभाग को क्रियान्वित किया गया था. लेकिन अब लोग इस बात पर निर्भर न केवल सिर्फ यह कहते है. भले ही महंगाई दर पर बढोतरी हो पर आम जनों जो सामान खरीदते है वो सही ढंग से माप दे. लेकिन कुछ विक्रेता इस तरह खेल जारी कर दिये है. चाहकर भी आमजन को सही तोल प्राप्त करने में सफल नहीं हो पा रहे है. प्रशासनिक कवायद शायद ही कभी भी बाजार में बटखरे की स्थिति से अवगत नहीं है.
जो कि चौसा प्रखंड कार्यालय से मात्र पांच सौ मीटर की दूरी पर स्थित है. खास तौर पर गांव कस्बे के सब्जी विक्रेता कुछ ज्यादा ही धंधा से फल फूल रहे है. बटखरे या तो घिसे मिलते है या फिर ईंट पत्थर के वजन मापी सामग्री बनाकर काम चलाया जा रहा है. लिहाजा लोग दुकान में जुगाड़ तंत्र के सहारे ही सामान लेने से विवश हो रहे हैं.
प्रखंड के कई दुकानदार के पास लाईसेंस नहीं है. मगर धड़ल्ले से दुकानदार सामान की खरीद बिक्री जोर – शोर से लाखों के वारे न्यारे हो रहे है. लेकिन प्रशासनिक अधिकारी के अनुसार इस पर कार्रवाई करने में सीधा विफल हो रहे है. चौसा प्रखंड के मुख्य बाजार बहुत लंबी कतार लगी रहती है पर बाजार में सरकारी खजाने से ना तो एक भी चापाकल है, ना ही बिजली के खंभे में एक भी वेपर लाइट.
एक किलो के बदले मिल रहे नौ सो ग्राम सामान
उपभोक्ताओं को दुकानदार लगाते हैं चूना
नहीं हो रहा है विभागीय या स्थानीय प्रतिनिधि से जांच व कार्रवाई
आधा दर्जन पदाधिकारियों को शोकॉज
बैठक करते एसडीएम.

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