मधेपुरा स्टेशन बना समस्याओं का गढ़
लापरवाही . स्टेशन परिसर में साफ-सफाई का अभाव, गंदगी की भरमार मधेपुरा रेलवे स्टेशन पर न पीने का पानी है और न सुरक्षा की व्यवस्था ही. हर तरफ गंदगी फैली हुई है. जहां देखो वहीं कूड़े का ढेर लगा हुआ है. ट्रेनों के आने-जाने का समय भी ठीक से नहीं लिखा हुआ है. सबसे बड़ी […]
लापरवाही . स्टेशन परिसर में साफ-सफाई का अभाव, गंदगी की भरमार
मधेपुरा रेलवे स्टेशन पर न पीने का पानी है और न सुरक्षा की व्यवस्था ही. हर तरफ गंदगी फैली हुई है. जहां देखो वहीं कूड़े का ढेर लगा हुआ है. ट्रेनों के आने-जाने का समय भी ठीक से नहीं लिखा हुआ है. सबसे बड़ी बात यह है कि स्टेशन संचालक इस ओर ध्यान भी नहीं देते. इससे लोगों में आक्रोश है.
मधेपुरा : रेलवे स्टेशन मधेपुरा में साफ सफाई का अभाव है. संपूर्ण स्टेशन प्लेटफॉर्म व रेल पटरियों पर कूड़े-कचरे का अंबार लगा हुआ है. शौचालय व मूत्रालय की स्थिति बदतर है. इस स्टेशन पर यात्रियों को शुद्ध पेयजल भी नसीब नहीं हो रहा है. वहीं ट्रेन की संख्या कम रहने और समय के अव्यावहारिक निर्धारण के कारण रेल की यात्रा मधेपुरा वासियों के लिए सिरदर्द बनती जा रही है. वहीं वरीय अधिकारी के आने के नाम पर स्टेशन संचालक के द्वारा साफ-सफाई की जाती है. लेकिन, जाने के बाद स्थिति जस की तस रहती है.
रेलवे स्टेशन के आसपास के लोगों ने बताया कि वरीय अधिकारी के आगमन पर ही स्टेशन की साफ सफाई की जाती है. रेल पटरी और प्लेटफॉर्म पर फैले मल-मूत्र के कारण बदबू से यात्री परेशान रहते हैं. प्रतीक्षालय के दीवारों पर पान – गुटका की पीक से रंगी है. प्लेट फॉर्म पर स्थित मूत्रालय की साफ सफाई नहीं होने के कारण प्लेटफॉर्म पर पेशाब बहता रहता है. यात्री नाक पर रूमाल रख कर ट्रेन की प्रतीक्षा करते हैं. रेलवे स्टेशन इन दिनों आवारा पशुओं का चारागाह बना हुआ है. प्लेट फॉर्म पर विचरण करते गाय, कुत्ता, बकरी और सुअर के कारण यात्री अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है.
कहते हैं शहरवासी
रेलवे स्टेशन की दुर्दशा और रेल प्रशासन की उपेक्षा के बाबत शहरवासी राकेश श्रीवास्तव कहते हैं कि जब भी स्टेशन जाते है तो प्लेटफॉर्म पर व्याप्त दुर्गंध से काफी परेशानी होती है. रात के समय स्टेशन पर भय लगता है. महिलाओं के साथ ट्रेन पकड़ने के लिए जाने पर काफी परेशानी महसूस होती है. कर्पूरी चौक निवासी व्यवसायी रमण कुमार पिंटू ने कहा कि जिस तरह मधेपुरा विकसित हो रहा है. ऐसे में स्टेशन की दुर्दशा देख कर दुख होता है. एक तरफ यहां मेडिकल कॉलेज रेल इंजन कारखाना जैसे निर्माण हो रहे है तो दूसरी तरफ स्टेशन की नियमित साफ सफाई नहीं होना शर्मनाक है. जूता दुकानदार सरफराज अहमद कहते है कि मधेपुरा स्टेशन राजनीति का शिकार हो कर रह गया है. यहां रात के समय अंधेरा पसरा रहता है. राजनेताओं को इस तरफ ध्यान देना होगा.
साइबर कैफे संचालक रंजन कुमार ने कहा कि बड़ी रेल लाइन होने के बावजूद आज तक लंबी दूरी की एक भी ट्रेन का मधेपुरा से नहीं खुलना हमारे जनप्रतिनिधियों के लिए शर्मनाक है. मधेपुरा वासी सहरसा जाकर ट्रेन में सीट के लिए माथा पच्ची करते हैं. राजनेताओं को ध्यान देना होगा.
ट्रेन का कम परिचालन सबसे बड़ी परेशानी
स्टेशन संचालक नहीं देते ध्यान, यात्रियों को हो रही है भारी दिक्कत
रेल मंत्रालय की उदासीनता और मधेपुरा के रहनुमाओं की चुप्पी के कारण यह रेल खंड वर्ष 2008 में आये कोसी त्रासदी के बाद उपेक्षित होता चला गया. वर्तमान समय में यहां ट्रेन की काफी कमी है. हैरत करने वाली बात यह है कि सहरसा व पूर्णिया जाने के लिए सुबह से मात्र दो जोड़ी ट्रेन है. ट्रेन का समय ऐसा निर्धारित किया गया है कि दिन में ट्रेन की आवाज सुनने के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ता है.
अधिकारी आते हैं तो सफाई
मधेपुरा रेलवे स्टेशन परिसर में साफ – सफाई का घोर अभाव है. स्थानीय दुकानदार बताते है कि वरीय अधिकारी के आगमन पर ही स्टेशन की साफ सफाई की जाती है. रेल पटरी और प्लेटफॉर्म पर फैले मलमूत्र के कारण बदबू से यात्री परेशान रहते हैं.
यात्री सुविधा नदारद : रेलवे स्टेशन पर यात्री पानी और शौचालय के यात्री भटकते रहते हैं. प्लेटफॉर्म पर पेय जल की उपलब्धता के लिए दस नल लगाये है. लेकिन सारे नल खराब होकर बेकार हो जाते हैं. स्टेशन परिसर में तीन चापाकल हैं. इनमें से दो चालू हालत में हैं लेकिन एक खराब है. लेकिन इन चापाकल के पास पसरी गंदगी के कारण यात्री यहां का पानी पीना मुनासिब नहीं समझते हैं. मूत्रालय और शौचालय साफ – सफाई नहीं होने के कारण बेकार बन कर रह गया है. शौचालय की स्थिति के कारण महिला यात्रियों को काफी फजीहत झेलनी पड़ती है.