शराब की घूंट से बटोरेंगे वोट

राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू रहने के बावजूद निकाय चुनाव में शराब मुहैया कराने का खेल शुरू हो चुका है. चुनाव से दो दिन पहले यानी चुनाव प्रचार के अंतिम दिन वोटरों को रिझाने के लिए शराब की भारी डिमांड हो सकती है. क्योंकि, प्रत्याशियों को विश्वास है कि नोट व शराब की घूंट से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 13, 2017 7:40 AM
राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू रहने के बावजूद निकाय चुनाव में शराब मुहैया कराने का खेल शुरू हो चुका है. चुनाव से दो दिन पहले यानी चुनाव प्रचार के अंतिम दिन वोटरों को रिझाने के लिए शराब की भारी डिमांड हो सकती है. क्योंकि, प्रत्याशियों को विश्वास है कि नोट व शराब की घूंट से वोट बटोरा जा सकता है.
मधेपुरा : नगर परिषद मधेपुरा व नगर पंचायत मुरलीगंज चुनाव की तिथि नजदीक आने के साथ ही नगर परिषद व नगर पंचायत क्षेत्र चुनावी रंग में रंग चुका है. प्रत्याशी डोर टू डोर दस्तक दे रहे हैं. चूंकि अब चुनाव को 09 दिन शेष रह गये हैं. इस लिहाज से सात दिन तक ही प्रत्याशी चुनाव प्रचार कर सकते हैं. वोटर भी समय की नजाकत को देखते हुए अभी चुप है किसी प्रत्याशी के पक्ष में खुल नहीं रहे हैं. वोटरों की चुपी से प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ने लगी है. प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित कराने के लिए वोटरों को हर तरह से लुभाने की कोशिश कर रहे हैं.
चुनाव की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आने लगी है, प्रत्याशी वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे है. इस बार चुनाव में बड़े स्तर पर पैसा के खेल से इनकार नहीं किया जा सकता है. सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार वोट खरीदने के लिए प्रत्याशियों ने अपना अपना रेट खोल दिया है. हालांकि, पैसे का खेल पीछे के दरवाजे से हो रहा है. इसके अलावे बिहार में पूर्णत: शराबबंदी लागू रहने के बावजूद चुनाव में शराब मुहैया कराने का खेल शुरू हो चुका है. चुनाव से दो दिन पहले यानी चुनाव प्रचार के अंतिम दिन वोटरों को रिझाने के लिए शराब की भारी डिमांड हो सकती है.
जानकार सूत्रों की माने तो डिमांड को पूरा करने के लिए शराब माफिया मधेपुरा में शराब की बड़ी खेप लाने की तैयारी कर रहे है. नगर निकाय चुनाव प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गयी है. हालांकि शराब कारोबारी के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई चल रही है. चुनाव की तिथि निर्धारित होने के साथ ही गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने कई जगह छापेमारी कर शराब भी बरामद किया है तथा शराब कारोबारी को जेल भेजा है. लेकिन इसके बावजूद प्रत्याशी बड़े चालाकी के साथ से चोरी-छुपे वोटरों को शराब मुहैया करा रहे हैं.
चुनावी मौसम में फल-फूल रहा शराब का कारोबार : सूबे में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद चुनावी मौसम में शराब का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. हालांकि पुलिस इसके लिए लगातार कार्रवाई करते आ रही है. लेकिन यह कार्रवाई शराब माफियाओं के लिए नाकाफी साबित हो रही है. उधर, चुनावी अखाड़े में उतरे प्रत्याशियों ने वोटरों को रिझाने के लिए हर तरह का प्रयास शुरू कर दिया है. जो पैसे से मानेगा पैसा देकर जो शराब लेना चाहेगा शराब देकर यानी जैसे मानेगा उसको वैसे संतुष्ट किया जा रहा है. जानकारों की मानें तो चुनावी सीजन को लेकर शराब का खेल निर्बाध गति से रहा है.
मधेपुरा : सूबे में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद शराब के लाइसेंसधारियों द्वारा वापस की गयी शराब को उत्पाद विभाग ने नष्ट कर दिया है. जिला मुख्यालय स्थित बीएसबीसीएल गोदाम में शुक्रवार को तीस लाख मूल्य के करीब तीन सौ पेटी शराब को उप्तद विभान ने पूर्णत: नष्ट कर दिया. मौके पर उत्पाद अधीक्षक शिवेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि सूबे में पूर्णत: शराब बंदी लागू होने के बाद वर्ष 2016 के पूर्व लाइसेंसधारियों द्वारा बीएसबीसीएल के गोदाम में शराब वापस किया गया था. गोदाम में जमा शराब को शुक्रवार को नष्ट किया गया. इस बाबत उत्पाद अधीक्षक ने बताया कि विभिन्न कंपनी के 297 पेटी व 2043 पीस शराब की बोतल को नष्ट किया गया है. जिसका अनुमानित मूल्य लगभग 30 लाख बताया गया.
उन्होंने कहा कि महाप्रबंधक बीएसबीसीएल पटना व आयुक्त उत्पाद पटना के आदेश से 11 मई एवं 12 मई को गोदाम में पूरी सुरक्षा व्यवस्था के बीच विनिष्टिकरण की कार्रवाई की गयी. विनिष्टिकरण के दौरान गोदाम के प्रबंधक अमरनाथ साह उत्पाद अधीक्षक शिवेंद्र कुमार चौधरी, निरीक्षक उत्पाद राजकिशोर एवं उत्पाद बल सैप के जवान मौजूद थे. उत्पाद अधीक्षक ने बताया कि विनिष्टिकरण की प्रक्रिया के दौरान विडियो ग्राफी के साथ की गयी विनिष्टिकरण से संबंधित प्रतिवेदन सीडी के साथ आदेशानुसार मुख्यालय भेजने की कार्रवाई की जा रही है.
वेट के अनुसार वोटरों का हो रहा रेट तय
चुनाव जीतने के बाद मिलने वाली सुख सुविधा को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशियों ने वेट के अनुसार वोटरों का रेट तय कर दिया है. इसके लिए हर वार्ड में एजेंट बहाल है. एजेंट प्रत्याशियों को लुभाने के लिए प्रति वोट पांच सौ देने का वादा करते है. जब पांच सौ पर बात नहीं बनती है तो रेट एक हजार से पंद्रह सौ कर दिया जाता है.

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