पुरैनी .यूवीके कॉलेज कडामा में समर इंटर्नशिप कैंप 2024 को लेकर गुरुवार को जंतु विज्ञान विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ माधवेंद्र झा ने की. प्रधानाचार्य ने कहा कि जंतु विज्ञान मानव जीवन के लिए आवश्यक विषय है. उन्होंने बताया कि जीवंत व्यक्ति ही प्रकृति का संचालक और संघारक है. प्रत्येक मानव बचपन से ही बिना किताब के भी जंतु विज्ञान की पढ़ाई करता है. एक कोशिकीय जीव से बढ़कर इतने चेतनशील हो गए हैं. हमें आवश्यकता है इस चेतन शीलता का प्रयोग करने का. प्रकृति ने हमें निःशुल्क वायु, पानी, आकाश, पृथ्वी दी है और सभी की अपनी महत्वता है. प्रकृति में कीट पतंग हो या मानव सभी एक-दूसरे पर निर्भर है.मनुष्य अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर जंगलों को काट रहे हैं, जिससे लाखों जीव जंतु बर्बाद हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि मनुष्य लाभ की दिशा में हानि की गणना नहीं कर रहे हैं. प्रकृति में बसे हुए छोटे-छोटे जीवों का हमारे जीवन में आवश्यकता है. इनके संरक्षण की जरूरत है, लेकिन मनुष्य उत्पादन नहीं करके विनष्टीकरण की और अग्रसर है जिसमें बदलाव की आवश्यकता है. मौके पर उप प्रधानाचार्य डॉ ललन कुमार झा ने जंतु के जनन और वर्गीकरण की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि जीवन चक्र चलाते रहे इसके लिए जीव जंतुओं के संरक्षण की आवश्यकता है.प्राध्यापक प्रो शिवेंद्र आचार्य ने कहा कि प्रकृति ने इस सृष्टि को बड़ा ही खूबसूरत बनाया है. जिसमें कई ऐसे जीव जंतु भी हैं जो वैसे अपशिष्ट पदार्थ का भक्षण करते हैं. जो मानव के लिए हानिकारक होते हैं.प्रो नागेश्वर झा ने कहा किमधुमक्खियां के द्वारा अलग-अलग फूलों पर जाकर उनके रस को एकत्रित करके शहद बनाते हैं. लेकिन इसका उपयोग मनुष्य करता है, सैकड़ो बैक्टीरिया दूध से दही बनाते हैं लेकिन इसका उपयोग मनुष्य करता है, इसलिए आवश्यकता है की प्रकृति के छोटे से छोटे जीव जंतु का भी संरक्षण हो.मौके पर प्रो अमरेंद्र झा, प्रो शिव कुमार यादव, प्रो विजेंदर झा, प्रो संजय कवि, प्रो विनोद शंकर, प्रो कुशेश्वर झा, प्रो रंजीत कुमार, प्रो दिलीप कुमार झा, प्रो भगवान प्रसाद सिंह, प्रो अजय कुमार झा, प्रो कुमार चंद्रशेखर, नेहरू प्रसाद चौधरी आदि मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है