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हरी सब्जियों के साथ अब आलू भी गरीब की थाली से हो रहा गायब, दाम देख परेशान है मध्यम वर्ग

कटिहार : आलू सहित हरी सब्जियों के दामों वृद्धि होने से गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों की बजट गड़बड़ा गया है. लोगों के नास्ता व भोजन की थाली में आलू व हरी सब्जी की मात्रा कम हो गयी है. गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों को सबसे अधिक परेशान आलू के बढ़े दामों ने किया है. आलू 32 रुपया किलो की दर से बाजार में बिक रहा है.

कटिहार : आलू सहित हरी सब्जियों के दामों वृद्धि होने से गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों की बजट गड़बड़ा गया है. लोगों के नास्ता व भोजन की थाली में आलू व हरी सब्जी की मात्रा कम हो गयी है. गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों को सबसे अधिक परेशान आलू के बढ़े दामों ने किया है. आलू 32 रुपया किलो की दर से बाजार में बिक रहा है. इसके कारण लोग आलू पहले की तरह नहीं खा पा रहे हैं. आलू एक ऐसा सब्जी है, जिसके बिना भोजन की थाली अधूरी मानी जाती है. करीब दो माह से आलू के बढ़े दामों ने सबको परेशान कर रखा है. आलू व्यवसायियों का कहना है कि जब तक नया आलू बाजार में नहीं आ जाता, तब तक आलू के दामों में कमी आना संभव नहीं है.

इधर हरी सब्जियों की आसमान छूती कीमतों ने रसोई में इनकी जगह भी कम कर दी है. सीजन की हरी सब्जियां खाने की थाली से गायब हैं. गृहिणियां इन्हें थाली में लगभग चटनी या अचार की मात्रा में परोसने को मजबूर हैं. हरी सब्जियों की कीमतों में भारी उछाल के कारण इन दिनों इसे खरीदना आम लोगों के लिए दुश्वार हो रहा है. दरअसल बाढ़ का पानी फैलने की वजह से लोकल हरी सब्जियों की खेती को बरबाद कर दिया है. इसके कारण बाहर से आने वाली सब्जियां के दामों में बेतहासा बढ़ोतरी हुई है.

कोरोना संकट के बीच हरी सब्जियों की आसमान छूती कीमत सुनकर निम्न आय के लोगों को तो पसीना छूट रहा है. लोगों का रोजगार, नौकरी लॉकडाउन में चली गयी है. ऐसे समय में खासकर मध्यवर्गीय व गरीब बड़ी मुश्किल से हरी सब्जी खरीद पा रहे हैं. ज्यादातर ग्राहक किलो की जगह पाव की मात्रा में हरी सब्जी खरीदने लगे हैं. शुरूआती दौर में लगे लॉकडाउन में हरी सब्जियों की कीमतें काफी कम हो गयी थी. लेकिन बाजार खुलने एवं बाढ़ आने के साथ ही सब्जी के दामों में दो गुणा बढ़ोतरी हो गयी है. ऐसे समय में हरी सब्जियों के दामों में उछाल से लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है. सीजन की ज्यादातर सब्जियां परवल, करेली, कद्दू, भिंडी, शिमला मिर्च, चटेल, कटहल सब के भाव में उछाल आ गया है.

सब्जी व्यापारियों का कहना है कि इस बार बाढ़ आने के कारण सब्जी की खेती दियारा क्षेत्र में बरबाद हो गयी है. यही वजह है कि मांग के अनुरूप हरी सब्जी बाजार में नहीं पहुंच रही है. इसका परिणाम यह हुआ है कि इसकी कीमतों में एकाएक उछाल आ गया है. ऐसे कटिहार जिले में हरी सब्जियों का उत्पादन मनसाही में बड़े पैमाने पर होता है. व्यापारियों का कहना है कि आलू के दामों में वृद्धि के कारण ही हरी सब्जियों के दामों में वृद्धि हो रही है.

आलू के कीमतों में यदि उछाल नहीं आता तो हरी सब्जियों के दाम नहीं बढ़ते. पिछले लॉकडाउन के दौरान आलू 20 रुपये किलो बिक रहा था. दो महीने के अंदर ही बढ़कर 32 रुपया किलो तक पहुंच गया है. जबकि भिंडी 30 रुपये, परवल 50 रुपये, करैली 40, चटेल 40 रुपये, घेरा 20 रुपये, झिंगली 30 रुपये, कद्दू 15 से 20 रुपये पीस की दर से बाजार में बिक रहा है.

posted by ashish jha

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