आजादी के साथ हमें मिला था विभाजन रूपी विभीषिका का दंश : प्रो अद्री
आजादी के साथ हमें मिला था विभाजन रूपी विभीषिका का दंश : प्रो अद्री
प्रतिनिधि, मधेपुरा
15 अगस्त 1947 को हम आजाद हुये थे, लेकिन इस आजादी के साथ हमें विभाजन रूपी विभीषिका का दंश भी मिला था. यह विचलित करने वाली घटना थी, ऐसी भीषण त्रासदी थी, जिसमें करीब 20 लाख लोग मारे गये और डेढ़ करोड़ लोगों का पलायन हुआ था. यह बात विश्वविद्यालय प्राचीन इतिहास व संस्कृति विभाग के अध्यक्ष प्रो ललन प्रसाद अद्री ने कही. वे बुधवार को विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस पर आयोजित परिचर्चा में मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय मधेपुरा में एनसीसी व एनएसएस के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. प्रो ललन प्रसाद अद्री ने कहा कि वर्ष 1947 में भारत का विभाजन भी कोई अनायास हुई घटना नहीं थी. इसके ऐतिहासिक कारण थे. विभाजन के लिए विशेष रूप से अंग्रेजों की फूट डालो व शासन करो की नीति व कुछ समूहों की स्वार्थपूर्ण अलगाववादी राजनीति जिम्मेदार रही है. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये महाविद्यालय प्राचार्य प्रो कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि स्वतंत्रता मिलने के साथ ही देश को विभाजन रूपी दंश मिला था, लेकिन इसे भारतीय स्मृति पटल से या तो मिटाने का प्रयास किया गया या फिर उसके प्रति जान-बूझकर उदासीनता बरती गयी. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 14 अगस्त 2021 को पहली बार विभाजन की विभीषिका को आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय त्रासदी की मान्यता देने का निर्णय लिया. फिर प्रतिवर्ष 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हुई. कार्यक्रम का संचालन करते हुए दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ सुधांशु शेखर ने बताया कि विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य इस विभीषिका की क्रूरता में दिवंगत हुई आत्माओं को श्रद्धांजलि देना व पीड़ित परिवार जनों के प्रति संवेदना व्यक्त करना है. इसके साथ ही यह दिन राष्ट्रीय एकता, अखंडता व बंधुता के लिए कार्य करने की प्रेरणा देता है. कार्यक्रम में स्वागत भाषण एनसीसी पदाधिकारी लेफ्टिनेंट गुड्डु कुमार ने दिया, जबकि मंच संचालन मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डाॅ शंकर कुमार मिश्र ने की. इस अवसर पर शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, प्रशिक्षक अभिषेक राय, एयूओ आदित्य रमन, यूओ अंकित कुमार, यूओ अनंत कुमार झा, यूओ नीतीश कुमार, एसजुटी वाणी कुमारी, एसजीटी खुशी कुमारी, दिव्यज्योति कुमारी, मुनचुन कुमारी, अनिसा गुप्त, नैना कुमारी, शुक्रिया कुमारी, अनु कुमारी, नीतीश कुमार, मोनू कुमार, अमृत कुमार अंशु, राहुल कुमार, राजीव कुमार, ब्रजनंदन कुमार, राजनंदन कुमार, केशव कुमार, गौरब कुमार, राजू कुमार, विमल कुमार, आलोक कुमार आदि उपस्थित थे.
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