Madhepura news : राज्यपाल के आगमन पर भी अतिक्रमण हटाने को लेकर बीएनएमयू नहीं है गंभीर
अतिक्रमण पर सिंडिकेट में भी बीएनएमयू की हो चुकी है किरकिरी
मधेपुरा. भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा 18 दिसंबर को होने वाली सीनेट बैठक व उसमें राज्यपाल के आगमन की तैयारी में सबकुछ दुरुस्त होने का दावा कर रही हो, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. आलम यह है कि बुधवार को सीनेट की बैठक है व सोमवार देर शाम तक बीएनएमयू के पुराने परिसर के मुख्य द्वार के दोनों ओर भरे अतिक्रमण को हटाने की कोई पहल नजर नहीं आयी.
राज्यपाल के आगमन से पहले अतिक्रमण हटाने की उठी थी मांग
बीएनएमयू के पुराने परिसर के मुख्य द्वार के दोनों ओर भरे अतिक्रमण को हटाने के संबंध में सिंडिकेट बैठक में मेजर गौतम ने विश्वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुये मुख्य द्वार के दोनों ओर के अतिक्रमण को दुखद बताते हुए राज्यपाल के आगमन से पहले हटाने की मांग की गई थी, तब कुलपति ने आश्वासन दिया था कि राज्यपाल के आगमन से पहले जिला प्रशासन के सहयोग से इसे हटा लिया जायेगा, लेकिन अभी तक नहीं हटाया गया है.विश्वविद्यालय की सुंदरता पर ग्रहण लगा रहा है अतिक्रमण
दो चार वर्ष पूर्व जब कभी विश्वविद्यालय में राज्यपाल का आगमन होता था, तब विश्वविद्यालय को ही दुल्हन की तरह ही नहीं सजाया जाता था, बल्कि मुख्य द्वार एवं दोनों ओर की दीवारों की रंगाई पुताई भी कराई जाती थी, लेकिन इधर कुछ वर्षों में हालात ऐसे नहीं रहे. अब बीएनएमयू पुराने परिसर के मुख्य द्वार के दोनों ओर लगातार बढ़ रहा अतिक्रमण का मसला कोई नई बात नहीं है. यह विश्वविद्यालय के लापरवाही का नतीजा है. दो-तीन वर्ष पूर्व अतिक्रमण बहुत छोटे स्तर पर अस्थाई रूप में था, लेकिन विश्वविद्यालय की निष्क्रियता से यह लगातार बढ़ता ही नहीं गया, बल्कि अब स्थाई निवास का रूप ले चुका है, जिससे मानों विश्वविद्यालय की सुंदरता पर ग्रहण सा लगता जा रहा है.अतिक्रमण हटाने की जगह टेंट टांग कर बचाई जाती है इज्जत
राज्यपाल के कार्यक्रम में विगत कुछ वर्षों में जब भी अतिक्रमण हटाने का मौका आया और आवाज भी उठी तो विश्वविद्यालय ने हटाने के बजाय ऐन वक्त पर इज्जत बचाने के लिए टेंट टांग कर काम चलाया है, जो काम शुरुआती समय में आसानी से हो सकता था, वह अब प्रशासन के सहयोग के बिना संभव भी नहीं है. जानकारी के अनुसार बढ़ते अतिक्रमण, विश्वविद्यालय की लाचारी एवं लापरवाही पर सिंडिकेट में ही सिर्फ आवाज नहीं उठी है, बल्कि इस बार पहल नहीं होने पर राजभवन से भी इस संबंध में शिकायत की योजना बनाई जा रही है. अतिक्रमण हटाने में विश्वविद्यालय की शिकायत राजभवन तक पहुंची तो यकीनन यह बहुत अच्छी बात नहीं कही जा सकती है.विश्वविद्यालय को सौंदर्यीकरण के प्रति होना चाहिए गंभीर
बीएनएमयू के मुख्य द्वार के दोनों ओर लगातार बढ़ते अतिक्रमण एवं विश्वविद्यालय की सुंदरता पर लगते ग्रहण पर वाम युवा संगठन एआईवाईएफ जिला संयोजक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि यह दुखद है कि जिस विश्वविद्यालय को सौंदर्यीकरण के प्रति गंभीर होना चाहिये, उनकी मानसिकता इतनी संकुचित हो चुकी है कि अपने राज्यपाल के आगमन एवं वार्षिक सीनेट के आयोजन पर भी सजावट, रंगाई, पुताई एवं अतिक्रमण हटाना तक जरूरी नहीं समझा जाता है. यह निंदनीय है. विकास के पथ पर लगातार पिछड़ा बीएनएमयू अपने कुलाधिपति के स्वागत में भी इतना लचर कुव्यवस्था का शिकार होगा, इसकी कल्पना नहीं थी. वर्तमान तैयारी से तो यही लगता है कि इस बार भी बीएनएमयू टेंट के सहारे ही अपनी इज्जत को ढकेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है