बिहार सरकार के राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल गुरुवार को भोले बाबा की पूजा- अर्चना करने सिंहेश्वर धाम पहुंचे. पूजा-अर्चना के बाद उन्होंने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि बिहार का सबसे पुराना सिंहेश्वर धाम हमेशा उपेक्षित रहा है. इसका जो भी कारण हो. सिंहेश्वर को विश्व पटल पर लाना सबकी जिम्मेदारी है. बिहार सरकार इस जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटेगी. उन्होंने कहा कि जिन 14 जगह का नाम श्रावणी मेला के सूची में था. उसके अलावा सिंहेश्वर का नाम सूची में नहीं रहने पर सबसे पहले डीएम मधेपुरा ने एक पत्र भेज कर क्षोभ प्रकट किया. इसके बाद पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव, विधान पार्षद ललन सर्राफ के द्वारा फोन पर सभी बातों को बताया, जबकि स्वदेश कुमार ने भी पुरजोर कोशिश किया. सभी ने विशेष आग्रह करते हुए कहा कि सिंहेश्वर को राजकीय दर्जा देते हुए आर्थिक पैकेज और सरकार की सुविधा दी जाय. अंतिम समय हो चुका था. इसके बाद भी सभी अधिकारियों का बैठक बुलाकर फैसला लिया कि सिंहेश्वर बाबा का मंदिर राजकीय होगा और सरकार इसको पैकेज देने का काम करेगी. श्रावणी मेला को लेकर मंदिर समिति से यह भी कहा कि जिस वार्ड में बाबा मंदिर अवस्थित है. उस वार्ड की वार्ड पार्षद व नगर पंचायत अध्यक्ष को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में बैठक में शामिल करें. नगर पंचायत और मंदिर प्रशासन का आपसी तालमेल होना जरूरी है, जिससे नगर पंचायत नगर का विकास करेगा और मंदिर प्रशासन मंदिर का विकास करेगा. वही श्रावणी मेला में क्या खर्च होगा. इसकी जानकारी नहीं होने के कारण पहली बार 15 लाख रुपया आवंटित किया है. यहां से एक सप्ताह में जिला पदाधिकारी के माध्यम से अधियाचना भेजा जाय की आपको क्या- क्या सुविधा चाहिए. इस 15 लाख के अलावा और कितनी राशि चाहिए. एक एस्टीमेट बनाकर भेजिए. यह 15 लाख रुपया आपके बिना किसी स्टीमेट के दिया है. इसको उप आवंटन समझिए. न्यास समिति सदस्य संजीव ठाकुर उर्फ मुन्ना ने बताया कि जो कांवरिया या श्रद्धालु जल भरकर सिंहेश्वर आते हैं. इस बीच में कम से कम दो धर्मशाला का निर्माण हो, जिससे कांवरियाें को राहत मिलेगी.
सात दिनों में करें अतिक्रमण मुक्तजाम के सवाल पर राजस्व मंत्री ने कहा कि सिंहेश्वर को सात दिनों के अंदर अतिक्रमण मुक्त कराया जायेगा. इसके लिए एडीएम, एसडीओ और सीओ को कहा गया है. मंत्री ने कहा कि इन सात दिनों में पटना से एक टीम भेजी जायेगी, जो हटाये गये अतिक्रमण की जांच करेगी. साथ ही दो से तीन दिन के अंदर मंदिर न्यास समिति बैठक कर आय व्यय पर मंथन कर ले जितना खर्च का स्टीमेट भेजेगी. उस पर चर्चा कर लिया जायेगा और उनती राशि आवंटित की जायेगी. उन्होंने कहा कि अतिक्रमण हटाने की दौरान ऐसे लोग जो खुद को किसी की पैरवी लाते हैं उसको चिन्हित कर कार्रवाई करें. श्रावणी मेला से पूर्व हर हाल में अतिक्रमण हटा दिया जाय.
जहां जाय वहां करें गुणगानश्रद्धालुओं को यहां के प्रति आस्था तभी होगा. जब यहां के लोगों का आस्था श्रद्धालु पर होगा. सिंहेश्वर के लोग श्रद्धालुओं का सम्मान अवश्य कीजिए, जिससे कि यहां का व्यापार भी चार गुना अधिक बढ़ जायेगा. बाबा नगरी के लोगों का श्रद्धालु के प्रति जितना सम्मान होगा बाबा का कृपा उतना ज्यादा सिंहेश्वर के लोगों पर होगी. एक महीना के सावन मेला में एक घंटा दो घंटा प्रत्येक घर का एक- एक लोग श्रद्धालुओं की सेवा में रोड पर खड़े रहिए. इसके बाद बाबा इतना कृपा बरसा देंगे. की एक- एक व्यक्ति के चेहरा पर मुस्कुराहट ही मुस्कुराहट होगी. जहां जाइए वहां बाबा का गुणगान कर एक बार बाबा नगरी आने का आग्रह जरूर कीजिए. यहां के बारे में बताये की यहां आने से उनके सारे कष्ट दूर हो जायेंगे.
बाबा नगरी में बेहतर व्यवस्था को करें लागूमंदिर न्यास समिति के सदस्य से मंत्री ने कहा कि मंदिर न्यास समिति एक टीम भारत के विभिन्न देव स्थलों में भेजकर इस बात का जायजा लें कि उस जगह क्या नया है. कैसे हो सकता है क्या हो सकता है. सभी देवस्थल का अध्ययन करें और उसमें जो बेहतर लगे उसे यहां लागू करें. राजस्व मंत्री ने कहा कि एक महीने तक लगने वाले श्रावणी मेला परिसर या उसके आसपास मांस मछली की बिक्री पर रोक लगाया जाना चाहिए. उन्होंने स्थानीय लोगों से अपील भी किया कि बाहर से आने वाले श्रद्धालु को वो शिव का अनुयाई समझे. वे जितनी शिव भक्तों की सेवा करेंगे महादेव अपनी कृपा उतनी ही सिंहेश्वरवासियों पर बरसाएंगे.
राजस्व विभाग ही राशि कराती है उपलब्धपर्यटन विभाग के द्वारा घोषणाओं के एक सवाल में मंत्री ने कहा कि पर्यटन विभाग एक माप दंड तय करती है. विकास का जिसे राजस्व विभाग द्वारा पारित किया जाता है. सिंहेश्वर को पर्यटन स्थल का दर्जा दिया जाय इस ओर भी कार्य किया जायेगा. मंत्री ने कहा कि मंदिर के विकास के लिए मंदिर के पास भी पैसे की कमी नहीं है. यहां से जो राजस्व प्राप्त होता है उसका 20 प्रतिशत राशि वहां के विकास के लिए खर्च किया जाना है. अभी करोड़ों की राशि है खर्च करने के लिए न्यास काम का रूप रेखा तय करें. इसके लिए न्यास के प्रबंधक, सचिव , अध्यक्ष व सदस्य हैं जो भी खर्च होगा वो दिया जायेगा.
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