31.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

लेटेस्ट वीडियो

कुसहा त्रासदी के 16वीं बरसी पर जलाया मोमबत्ती

18 अगस्त 2008 को बांध टूटने पर जब कोशी की उच्छृंखल धारा प्रलयकारी रुप धारण कर विनाशलीला शुरू हुई थी

Audio Book

ऑडियो सुनें

मधेपुरा. जिला मुख्यालय के भूपेंद्र चौक गोलंबर पर सृजन दर्पण द्वारा कुसहा त्रासदी के 16वीं बरसी पर शहर वासियों ने मोमबत्ती जलाकर अकाल कलवित आत्माओं को भावभीनी श्रद्धांजलि दी. यह जानकारी संस्था सचिव बिकास कुमार ने दी. उन्होंने बताया कि 18 अगस्त 2008 को बांध टूटने पर जब कोशी की उच्छृंखल धारा प्रलयकारी रुप धारण कर विनाशलीला शुरू की तब त्रासदी की अनुगूंज पटना से दिल्ली तक को दहला दिया. केंद्र सरकार ने हवाई सर्वेक्षण किया. विनाश की विकरालत देख सरकार ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया. सैकड़ों बरस पहले इस होकर कोशी बहती थी. इस बीच तटबंध के निर्माण ने लोगों के मन से बाढ़ के पानी का भय मिटा दिया था. इस कारण लोगों ने इस बड़े भू-भाग में अपना सुव्यवस्थित बसेरा बना लिया था. लेकिन माननीय भूल के कारण पुनः कोशी तीव्रतर वेग से अपने पूर्व मार्ग पर चल पड़ी एवं रास्ते में पड़ने वाले घर, गांव, नगर बस्तीयों को मिटाते चली. इससे उठने वाला करूण चीत्कार विभिन्न प्रचार तंत्रों के जरिये राज्य, राष्ट्र से होते हुए दिगंत में फेल गया. मानवता जीवंत और सक्रिय हो उठी चारों तरफ से पीड़ितो के लिए सहायता आयी, लेकिन आये हुये धन एवं केंद्रीय राशि अपने वाजिव स्वरूप में पीड़ित जन तक पहुंच नहीं पायी. यह कार्यक्रम उसी की सफलता हेतु एक जागरण है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाजसेवी और साहित्यकार डॉ भुपेंद्र नारायण मधेपुरी ने कहा कि कुसहा त्रासदी विकास यात्रा का एक कारण अध्याय है. तटबंध की समुचित देखभाल होती तो ये त्रासदी न होती. इसे 15 साल हो जाने के बाबजूद लगभग 50 प्रतिशत पीड़ित परिवार को मुआवजा न मिली. हम-सब सरकार से पीड़ितों के पुनर्वास की मांग करता हूं. समाजशास्त्री डॉ आलोक कुमार ने कहा इस त्रासदी ने इलाके के बहुसंख्य अवादी की हेसयत को बदलदी जो खुशहाल थे, उसे बदहाल बना दिया. समाजसेवी शिवनारायण साह ने कहा आज उस दिन को याद कर आंखों में आंशु आ जाते है. इसमें आदमीयों के साथ मवेशियों के हालत बहुत खराब थी. संस्था अध्यक्ष डॉ ओमप्रकाश ओम ने कहा कुसहा त्रासदी कोशी वासियों के लिए एक दुखद अस्मीती है, लेकिन यहां के लोगों ने जिस सहजता एवं तीव्रता से अपने को समाहल कर क्षेत्र में पुनर जीवन बहाल किया. यह इनके अदम्य जिजीविषा को दर्शाता है. मौके पर संस्था के सदस्य सत्यम कुमार, सौरभ कुमार सुमन, आनंद कुमार मुन्ना, ललित कुमार माधव आदि शामिल थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

अन्य खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels