पुरैनी. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे है. हालात यह है कि चिकित्सकों समेत पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरैनी रेफर सेंटर बन कर रह गया है. इसके कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरैनी में लोगों काे असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है. वहीं अतिरिक्त और उपस्वास्थ्य केंद्रों में स्टाफ व चिकित्सक की कमी के चलते लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. प्रखंड के नौ पंचायत के लगभग सवा लाख आबादी का दारोमदार सीएचसी पर है. चिकित्सकों व कर्मियों की कमी का वर्षों से दंश झेल रहे इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिलने की बात बेईमानी प्रतीत हो रही है. संसाधन व कर्मियों के अभाव में प्रखंड का एकमात्र स्वास्थ्य केंद्र को जहां बेहतर इलाज की जरूरत है. वहीं दीवारों पर लिखे चिकित्सा सुविधा का श्लोगन आम मरीजों को मुंह चिढ़ा रहा है. कई संसाधन उपलब्ध रहने के बावजूद कर्मियों की कमी ने आम मरीजों को सुविध नहीं मिल पा रही है. लिहाजा यहां साधारण रोगी को भी रेफर कर दिए जाने की नियति बन गई है. वही आठ एमबीबीएस की जगह केवल एक एमबीबीएस डॉक्टर के भरोसे इलाज चल रहा है. अस्पताल कौन-कौन सी है सुविधाएं 30 बेड वाले इस स्वास्थ्य केंद्र में एक्स-रे सहित मधुमेह, हिमोग्लोबिन, यूरीन एल्बोमीन, हेपेटाइटिस बी, गर्भ, मलेरिया, कालाजार, टीबी व कोरोना जांच की सुविधा उपलब्ध है. पैथोलाजिस्ट के अभाव में लाखों रुपये की एनेलाइजर मशीन बेकार पड़ी है. वहीं सीबीसी मशीन खराब हो रखा है. वहीं यहां जननी की सुविधा वाले एंबुलेंस के भरोसे सभी तरह का कार्य लिया जा रहा है. सीएचसी में नहीं है महिला चिकित्सक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर उपचार के लिए आने वाले कुल मरीजों में पचास फीसदी संख्या महिला मरीजों की होती है, लेकिन अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ अथवा महिला चिकित्सक नहीं होने से महिला संबंधी रोगों का उपचार नहीं मिल पा रहा है. वहीं गर्भावस्था के दौरान उचित चिकित्सकीय परामर्श नहीं मिलने से प्रसव उपरांत नवजात शिशुओं में कुपोषण की शिकायत बढ़ती दिख रही है. साथ ही महिलाओं को इलाज कराने में परेशानी हो रही है. महिला चिकित्सक की पदस्थापना को लेकर ग्रामीणों द्वारा कई बार विभागीय अधिकारियों से मांग की गयी है. बावजूद आजतक सीएचसी में महिला चिकित्सक का अभाव है. आक्सीजन की है व्यवस्था लेकिन नहीं है ड्रेसर और फार्मासिस्ट सीएचसी में फिलहाल 70 आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध है, जबकि फार्मासिस्ट के अभाव में अन्य कर्मियों से दवा का वितरण कराया जा रहा है. वहीं सीएचसी में अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नहीं रहने से भी लोग परेशान होते हैं, जबकि इमरजेंसी मरीज के उपचार के समय चिकित्सक और ड्रेसर का अभाव महसूस होता है. डॉक्टर और नर्स की कमी से जूझ रहा स्वास्थ्य केंद्र लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवा मिले यह सरकार का कर्तव्य है. सरकार इसके लिए बड़े-बड़े दावे व घोषणाएं करती हैं, लेकिन यह सेवा प्रदान कौन करे यह सबसे बड़ी समस्या है. डॉक्टर एवं नर्स का मुख्य रूप से यह काम होता है, लेकिन सबसे बड़ी कमी इन्हीं की है. यहां स्वीकृत पद के मुताबिक न तो डॉक्टर हैं न एएनएम. अस्पताल में प्रतिदिन ओपीडी में एक चौथाई शिशु मरीज होते हैं, लेकिन बाल रोग विशेषज्ञ तैनात नहीं होने से छोटे बच्चों को उपचार नहीं मिल पाता है. नेत्र चिकित्सक, नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ समेत महिला चिकित्सक नियुक्त नहीं है जिसके चलते मरीजों को स्थानीय स्तर पर सिर्फ बुखार, सर्दी-जुकाम, मलेरिया का उपचार ही मिल पा रहा है. अन्य इलाज हेतु अधिकांश मरीजों को उपचार हेतु बाहर जाना पड़ता है इससे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा तो दूर उचित सेवा भी नहीं मिल पाती है. नतीजा होता है कि निजी क्लीनिकों में मरीजों की भीड़ रहती है जबकि सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में जाना लोग मुनासिब नहीं समझते हैं. कहते हैं चिकित्सा पदाधिकारी इस बाबत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी पुरैनी डॉ राजेश कुमार ने कहा कि मरीजों का समुचित उपचार किया जा रहा है. वैसे चिकित्सक सहित कर्मियों की कमी व सीमित संसाधन के बीच सीएचसी संचालन में परेशानी जरूर हो रही है. चिकित्सक सहित कर्मियों व संसाधन के कमी के बाबत विभाग को लगातार लिखा जा रहा है.
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