अतिक्रमण की चपेट में शहर, सड़क पर चलना हुआ मुश्किल
अतिक्रमण की चपेट में शहर, सड़क पर चलना हुआ मुश्किल
प्रतिनिधि, मधेपुरा शहर की सड़कों का जाम में फंसना और उसमें से निकलने के लिए लोगों का एक-दूसरे से उलझना अब आम बात हो गयी है. शहर की आधी से अधिक सड़कें पूरी तरह से अतिक्रमण की चपेट में है, लेकिन प्रशासन इस बड़ी समस्या के प्रति बेपरवाह है. आमलोग हर दिन अतिक्रमण में फंसने को विवश होते हैं. कलेक्ट्रेट पथ हो या पुरानी बाजार की सड़क, मेन रोड हो या सुभाष चौक शहर की सभी मुख्य सड़कों की दशा एक समान ही है. सड़क किनारे तथा सड़क को पकड़ कर दुकानें लगाये जाने के कारण कलेक्ट्रेट रोड से लेकर बस स्टैंड चौक, सदर अस्पताल से लेकर मस्जिद चौक तक दुकानें सज रही हैं. हद तो यह कि दिन प्रतिदिन दुकानों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे वाहनों की कौन कहे इन सड़कों पर पैदल चलने वालों को भी परेशानी झेलनी पड़ती है.
अतिक्रमण हटाने का अभियान दिखावा
सड़कों पर अतिक्रमण हटाने के दिशा में प्रशासन ने कई बार अभियान चलाया. पिछले एक दशक से जो भी अभियान अतिक्रमण हटाने लिए चलाया गया, वह दिखावे का ही साबित हुआ है. सड़क पर रोजाना खड़े होते है पांच सौ से अधिक ठेले. शहर में अतिक्रमण का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां प्रत्येक दिन 500 से अधिक ठेले की दुकानें सड़क पर ही सजती हैं. ठेला शहर की सड़कों के एक सिरे पर लगाया जाता है, लेकिन इन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं है. हालत यह कि ठेला पर दुकानों की संख्या प्रत्येक दिन बढ़ती ही जा रही है.
स्थायी दुकानदार भी फुटपाथ पर करते हैं कब्जा
शहर में अतिक्रमण के लिए जितने जिम्मेदार अस्थायी दुकानदार हैं. उससे कहीं अधिक जिम्मेदार स्थायी दुकानदार है, जिन्होंने अपनी दुकान को फुटपाथ पर भी लगा कर रखा है. इतना ही नहीं बारिश व धूप से बचने के लिए अस्थायी शेड तक बना दिया है. बाजार के अधिकांश स्थायी दुकानदारों ने भी अतिक्रमण को बढ़ावा दिया है. हालांकि उनका कहना है कि हमलोग अपनी दुकान आगे नहीं बढ़ाएं, तो फल, सब्जी व ठेला वाले हमारे दुकान के आगे दुकान लगा देंगे. स्थिति यह है कि कई स्थायी दुकानदारों ने तो अपनी दुकान के सामने फुटपाथ तक को किराये पर दे रखा है. इसके कारण अतिक्रमण की समस्या और जटिल होती जा रही है.
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