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रेलवे लाइन से जोड़ने की अनुमंडल के लोगों की मांग एक बार फिर पकड़ने लगी जोर

रेलवे लाइन से जोड़ने की अनुमंडल के लोगों की मांग एक बार फिर पकड़ने लगी जोर

उदाकिशुनगंज. उदाकिशुनगंज अनुमंडल को रेलवे लाइन से जोड़ने की अनुमंडल के लोगों की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है. अनुमंडल के लोगों की यह मांग पिछले कई दशकों से जारी है. उदाकिशुनगंज अनुमंडल को रेल लाइन से जोड़ने की मांग पहली बार तब उठी थी, जब ललित नारायण मिश्र रेलमंत्री थे. चूंकि उदाकिशुनगंज अनुमंडल से उनका काफी लगाव था, इसलिए उनके निर्देश पर नयी रेल लाइन में बिहारीगंज से नवगछिया वाया उदाकिशुनगंज, पुरैनी, चौसा, बिहारीगंज से कोपरिया वाया उदाकिशुनगंज, आलमनगर, बिहारीगंज से कुरसेला, बिहारीगंज से सहरसा वाया ग्वालपाड़ा, बिहारीगंज से छातापुर वाया मुरलीगंज, बिहारीगंज से सिमरी बख्तियारपुर तक रेल लाइन विस्तार प्रस्तावित किया गया था. इसके लिए सर्वेक्षण का काम भी पूरा करा लिया गया. बाद में अचानक उनके मंत्रिमंडल से हट जाने के कारण यह योजना खटाई में पड़ गयी. बाद में रेलमंत्री नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, लालू यादव रेलवे लाइन से इसे जोड़ने की घोषणा किये. उनके निर्देश पर लाइन बिछाने व स्टेशनों के निर्माण आदि के बारे में सर्वे का काम शुरू हुआ, पर कुछ दिनों बाद ही रेलवे लाइन का मामला ठंडा पड़ गया. तब से आज तक कई बार मांग की गयी, लेकिन कोई ठोस पहल नहीं हुई. वास्तव में यदि उदाकिशुनगंज अनुमंडल को रेलवे लाइन से जोड़ दिया जाए, तो लोगों का आवागमन की एक बेहतर सुविधा तो मिल ही जायेगी, साथ ही लोगों को ट्रेन पकड़ने की परेशानी से मुक्ति मिल जाएगी. वैसे लोगों द्वारा प्रधानमंत्री रेल मंत्री सहित अन्य मंत्रियों को भी इस संबंध में ज्ञापन भेजने का क्रम जारी है. घोषणा के बावजूद भी अधर में है योजना तत्कालीन कई रेलमंत्रियों की घोषणा के बावजूद यह क्षेत्र पूर्ण रूप से उपेक्षित है. रेलमंत्री की घोषणा छलावा साबित हुई. जनप्रतिनिधियों के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण उदाकिशुनगंज अनुमंडल को रेल सेवा से अबतक नहीं जोड़े जाने से आमलोगों में नाराजगी है. उदाकिशुनगंज को रेल सेवा से जोड़ने के लिए एक बार फिर आमलोग आंदोलन चलाने के मूड में हैं. गौरतलब है कि रेल मंत्रालय की बेरुखी के कारण आजादी के बाद उदाकिशुनगंज अनुमंडल के बिहारीगंज से आगे रेल का विस्तार नहीं हो सका. बताया जाता है कि तत्कालीन रेलमंत्री ललित नारायण मिश्र ने कई रेल पथ विस्तार की स्वीकृति दी थी. ज्ञात हो कि बिहारीगंज रेलवे स्टेशन की स्थापना 1943 में ब्रिटिश शासनकाल में की गयी थी. रेल पथ बिहारीगंज से बनमनखी तक बना. आजादी के बाद जब पहली बार बिहारी नेता के रूप में ललित नारायण मिश्र रेलमंत्री बने, तो बिहारीगंज से आगे तक कई रेल पथ परियोजनाओं की स्वीकृति दिये. लाइन का सर्वेक्षण भी करा चुके थे, लेकिन उनके निधन के बाद सभी परियोजनाएं दबी की दबी ही रह गयीं, जबकि बाद में बिहार से कई रेलमंत्री बने. इन परियोजनाओं की मिली थी स्वीकृति बिहारीगंज से नवगछिया वाया उदाकिशुनगंज,पुरैनी, चौसा, बिहारीगंज से कोपरिया वाया उदाकिशुनगंज, आलमनगर, बिहारीगंज से कुरसेला, बिहारीगंज से सहरसा वाया ग्वालपाड़ा, बिहारीगंज से छातापुर वाया मुरलीगंज, बिहारीगंज से सिमरी बख्तियारपुर तक रेल लाइन विस्तार परियोजना की स्वीकृति ललित नारायण मिश्र ने दी थी. एक भी परियोजना पर कोई भी रेलमंत्री अमल नहीं कर सका लालू प्रसाद ने राज्यसभा में एक प्रश्न के दौरान बिहपुर से बिहारीगंज वाया पचरासी स्थल, लौआलगान, चौसा, पुरैनी रेल पथ की घोषणा की थी. वह भी मूर्त रूप नहीं ले सका. तत्कालीन राज्य सभा सदस्य डाॅ जगन्नाथ मिश्र ने चार मई, 1995 को सदन में इन रेल लाइन विस्तार परियोजनाओं के क्रियान्वयन कराये जाने के लिए सदन में आवाज उठा कर बहस का मुद्दा बनाया था, लेकिन यह आवाज भी रेलमंत्री के आश्वासन तले ही दब कर रह गयी. बताया जाता है कि जब रेलमंत्री नीतीश कुमार थे, तब पूर्णिया के तत्कालीन सांसद जयकृष्ण मंडल की मांग पर उन्होंने दालकोला से कोपरिया वाया पूर्णिया, भवानीपुर, बिहारीगंज, उदाकिशुनगंज, आलमनगर रेल लाइन विस्तार परियोजना की स्वीकृति दी थी. रेलमंत्री पद से हटते ही परियोजना पर लगा ग्रहण 12 जनवरी, 2004 को तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने मधेपुरा व बाद में दिल्ली में उक्त परियोजनाओं पर अपनी सहमति व्यक्त की थी. इस परियोजना का सर्वे भी कराया गया था, लेकिन सर्वे के बाद नीतीश कुमार के रेलमंत्री पद से हटते ही इस परियोजना को ग्रहण लग गया. 15 नवंबर, 1997 को तत्कालीन रेलमंत्री रामविलास पासवान ने मधेपुरा में घोषणा की थी कि इन सारी रेल परियोजनाओं पर जल्द काम शुरू करवा दिया जायेगा. वैसे इसके पूर्व श्री पासवान ने चार नवंबर 1996 को कुरसेला वाया बिहारीगंज, चौसा होते हुए सहरसा तक रेल परियोजनाओं का शिलान्यास किया था. वह भी शिलान्यास तक ही में ही सिमट कर रह गया. इस कार्य के सर्वेक्षण में लाखों रुपये खर्च किये गये और परियोजना पर 150 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान था. तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रूपौली में बिहारीगंज से कुरसेला रेल मार्ग का शिलान्यास किया, लेकिन आज तक वह भी नसीब नहीं हो पाया. कहते हैं लोग सत्यप्रकाश गुप्ता उर्फ विदुरजी ने कहा कि आजादी के बाद जब पहली बार ललित नारायण मिश्र रेलमंत्री बने तो बिहारीगंज से उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र में कई रेल पथ परियोजनाओं की स्वीकृति दी गयी. कई रेलवे लाइन का सर्वेक्षण भी कराया गया, लेकिन उनके निधन के बाद सभी परियोजनाएं दबकर रह गयीं, जबकि बाद में कई बिहारी सांसद रेलमंत्री रहे. किसी ने भी इस मामले में सकारात्मक प्रयास नहीं किया. लिहाजा यह क्षेत्र रेलवे के मामले में अब तक उपेक्षित पड़ा है. प्रो नवलकिशोर जायसवाल ने कहा कि यदि बिहारीगंज से नवगछिया तक रेलवे सेवा मिल जाती है, तो उत्तर बिहार का सीधा संपर्क दक्षिण बिहार के साथ-साथ ओड़िशा, झारखंड से हो जाएगा. व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा. लोगों को रोजगार मिलेगा और किसानों को फायदा होगा. संजय कुमार सुमन ने कहा कि मधेपुरा जिले का चौसा प्रखंड काफी उपेक्षित एवं अविकसित प्रखंड है. इसके कारण केंद्र सरकार ने चौसा को आकांक्षी योजना में शामिल किया है. वर्षों से चौसा को रेल सेवा से जोड़ने की मांग उठ रही है, जो अब तक पूरी नहीं हो पायी है. बिहारीगंज से नवगछिया तक रेलवे मार्ग होने से जनता को रोजगार के नये अवसर प्राप्त होंगे तथा यातायात की सुविधा भी बढ़ेगी. साथ ही रेलवे लाइन का विस्तारीकरण होने से पर्यटन व उद्योग को बढ़ावा मिलेगा. उद्योग स्थापना को लेकर चौसा के कलासन में बियाडा को सरकार ने 146 एकड़ जमीन दी है. यहां पर पॉलिटेक्निक, औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र (आइटीआइ) संचालित है. अधिवक्ता विनोद आजाद ने कहा कि रेलवे आर्थिक उन्नयन का सर्वाधिक सशक्त व सर्वसुलभ साधन है. अनुमंडल के रेल लाइन से जुड़ जाने पर यहां का समुचित विकास होगा. साथ ही व्यापार बढ़ेगा व आवागमन की बेहतर सुविधा मिल जाएगी. शिक्षक जवाहर चौधरी ने कहा कि उदाकिशुनगंज अनुमंडल को रेलवे लाइन से जोड़ने की लोगों की पुरानी मांग है. क्षेत्रीय विकास व जनहित में मांग को पूरा किया जाना अब जरूरी है. व्यवसायी मनौवर आलम ने कहा कि यहां के लोगों को दूरदराज जाने के लिए दूसरी जगहों पर जाकर ट्रेन पकड़ना पड़ता है. इससे उन्हें कठिनाई तो होती ही है, अनावश्यक रूप से अधिक धन भी खर्च करना पड़ता है. समाजसेवी बसंत कुमार झा ने कहा कि अनुमंडल का रेलवे लाइन से जुड़ना क्षेत्र के शैक्षिक व आर्थिक विकास में सहायक होगा. इसलिए इस पर प्रधानमंत्री व रेलमंत्री का ध्यान आवश्यक है. पूर्व प्रमुख विकास चंद्र यादव ने कहा कि उदाकिशुनगंज से सिमरी बख्तियारपुर नयी रेल लाइन के जुड़ जाने से आवागमन सुगम होगा. उदाकिशुनगंज अनुमंडल सीधा पटना से जुड़ जाता. लोगों के साथ-साथ विद्यार्थियों को भी आवागमन में सहूलियत होती और रोजगार के अवसर सृजित होते. मुखिया प्रतिनिधि प्रीतम मंडल ने कहा कि उदाकिशुनगंज से सिमरी बख्तियारपुर नयी रेल लाइन का कई बार सर्वे हो चुका है. प्रशासनिक स्वीकृति भी मिल गयी थी, फिर भी निर्माण शुरू नहीं हुआ. अभी यह परियोजना कागजों में दौड़ रही है. जमीन पर कुछ भी दिखायी नहीं दे रहा है. – कहते हैं विधायक और सांसद – मधेपुरा सांसद दिनेश चंद्र यादव ने कहा कि इस मामले में रेल मंत्री को पत्र लिखकर इस दिशा में अविलंब पहल करने की मांग की है. इस परियोजना के पूरा होने से मधेपुरा एवं खगड़िया समेत आसपास जिले के लाखों लोगों को आवागमन की सुविधा मिलेगी. साथ-साथ देश के दूरदराज क्षेत्रों में रेल सुविधा के विकास का सपना भी पूरा होगा. प्रस्तावित रेल परियोजना दोनों जिलों के लोगों को एक महत्वपूर्ण संचार लिंक प्रदान करेगी. विधायक नरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि मैंने भी रेल मंत्री को पत्र लिखकर इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया है. जनता की मांग को देखते हुए उदाकिशुनगंज वाया कुरसेला एवं सिमरी बख्तियारपुर तक नयी रेलवे लाइन बिछाकर ट्रेनों का संचालन कराये जाने की मांग की है. नयी लाइन होने के बाद कोसी का तेजी से विकास होगा.

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