उदाकिशुनगंज. उदाकिशुनगंज अनुमंडल को नया जिले बनाने की मांग सालों से उठ रही है,लेकिन राजनीतिक व तकनीकी कारणों से इस पर अमल नहीं हो सका है. स्थानीय लोग समय-समय पर बैठक कर इस मांग को मजबूती से रखते आये हैं, लेकिन वर्षों की यह मांग सरकारी फाइलों में दबकर दम तोड़ चुकी है. सामाजिक कार्यकर्ता बसंत कुमार झा सहित सैकड़ों लोगों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फिर से पत्र लिखकर उदाकिशुनगंज अनुमंडल को जिला बनाने की मांग की है. 41 वर्ष पूर्व हुई थी अनुमंडल की स्थापना- कोसी प्रमंडल के मधेपुरा जिलांतर्गत उदाकिशुनगंज अनुमंडल की स्थापना 21 मई 1983 को हुई थी. उदाकिशुनगंज अनुमंडल का पुराना व स्वर्णिम इतिहास रहा है. भागलपुर, पूर्णिया व खगड़िया जिले की सीमा पर अवस्थित उदाकिशुनगंज अनुमंडल के प्रशासनिक क्षेत्र में छह प्रखंड व 77 पंचायत शामिल है. उदाकिशुनगंज अनुमंडल की आबादी लगभग आठ लाख से अधिक है. अनुमंडल में दो विधानसभा आलमनगर व बिहारीगंज शामिल हैं. बीते 15 वर्षों में अनुमंडल का खूब हुआ है विकास- अनुमंडल न्यायालय, अनुमंडल उपकारा, अनुमंडल अस्पताल, अनुमंडल कार्यालय भवन, आइटीटी महाविद्यालय कलासन, एएनएम महाविद्यालय उदाकिशुनगंज से सुशोभित अनुमंडल विकसित श्रेणी में शामिल है. एनएच 106 व एसएच उदाकिशुनगंज-भटगामा मार्ग के निर्माण के बाद उदाकिशुनगंज अनुमंडल प्रदेश की राजधानी पटना समेत देश के विभिन्न भागों से सुलभ सड़क संपर्क होने से इस इलाके की तीव्र औद्योगिक व आर्थिक विकास की संभावना है. कोसी प्रमंडल सहित अन्य जिलों में सीएनजी व पीएनजी सप्लाई के लिए यहीं सिटी गेट स्टेशन खुला है. छोटे जिले होने से खुल जाती है विकास की राह- भौगोलिक व राजनैतिक विशेषज्ञों के अनुसार छोटे जिले बनने से विकास की राह आसान हो जाती है. छोटे जिलों में गुड गवर्नेंस और फास्ट सर्विस डिलीवरी से लोगों के जीवनस्तर में भी सुधार होता है. शहरों के साथ ही गांवों और कस्बों की दूरी जिला मुख्यालय से कम हो जाती है. इससे आमलोगों और प्रशासन के बीच संवाद बढ़ता है. सरकारी मशीनरी की भी रफ्तार बढ़ जाती है. विकास की रफ्तार तेज होने के साथ ही छोटे जिलों में कानून-व्यवस्था नियंत्रण में रखना आसान होता है. शहरों और गांवों के बीच कनेक्टिवटी बढ़ने से सरकारी योजनाएं आम लोगों तक जल्दी व आसानी से पहुंचायी जा सकती है. राज्य सरकार के राजस्व में भी इजाफा होता है.
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