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काशी के तर्ज पर सिहेंश्वर में होगा दिव्य संध्या का आयोजन

काशी के तर्ज पर सिहेंश्वर में होगा दिव्य संध्या का आयोजन

By Prabhat Khabar News Desk | October 7, 2024 9:31 PM

प्रतिनिधि, सिंहेश्वर श्रृंगी ऋषि के आराध्य देव बाबा सिंहेश्वर नाथ के प्रांगण स्थित शिवगंगा के पावन तट पर फाउंडेशन अपना छठा स्थापना दिवस चार नवंबर को मनायेगा. इसको लेकर सोमवार को सिंहेश्वर मंदिर प्रांगण में तापस पंडा समाज और फाउंडेशन की बैठक हुई, जिसमें निर्णय लिया गया कि सिहेंश्वर को राष्ट्रीय पटल पर लाने के लिए सांस्कृतिक उत्थान के तहत सिहेंश्वर मंदिर पूजारी तापस पंडा समाज व श्रृंगी ऋषि सेवा फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में सिहेंश्वर मंदिर प्रांगण के शिवगंगा तट पर काशी के तर्ज पर दिव्य संध्या सह महाआरती का आयोजन किया जायेगा. पूर्व में फाउंडेशन के द्वारा हिंदू नववर्ष के अवसर पर कोशी में काशी का दिव्य आयोजन किया गया था. अब हर रविवार को संध्या में शिव आराधना सह महाआरती आयोजित की जायेगी. जहां श्रद्धालुओं के बीच में दीपक की ज्वाला, शंखनाद, डमरू की आवाज, शंख की ध्वनी, हर हर महादेव के जयकारे महाआरती में शामिल भक्तों के रोंगटे खड़े कर देंगे. यह सभी दृश्य अध्यात्मिक सुरों से सुसज्जित यह दिव्य आयोजन हर रविवार को संध्या में किया जायेगा. यह भी बताया गया कि कार्यक्रम का नाम दिव्य संध्या बाबा सिंहेश्वर धाम होगा, हर रविवार को सायंकाल में शिव गंगा के पावन तट पर शिव आराधना सह महाआरती का दिव्य आयोजन किया जायेगा. कार्यक्रम का शुभारंभ चार नवम्बर से किया जायेगा, जो अनवरत चलता रहेगा. तापस पंडा समाज सिहेंश्वर के द्वारा महाआरती किया जायेगा. आरती के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था जैसे महाआरती दीपक, डमरू, घंटी, रोशनी, बैठने की व्यवस्था, साउंड सहित अन्य व्यवस्था फाउंडेशन के द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा. महाआरती में प्राप्त दान, दक्षिणा पर पूरा अधिकार पंडा समाज का होगा. महाआरती श्रृंगी ऋषि सेवा फाउंडेशन और तापस पंडा समाज के संयुक्त तत्वावधान में किया जायेगा. आरती के लिए तापस पंडा समाज के द्वारा किसी भी प्रकार का दान- दक्षिणा या शुल्क नहीं लिया जायेगा. दिव्य संध्या बाबा सिंहेश्वर धाम कार्यक्रम के दौरान फाउंडेशन के द्वारा निर्गत रसीद से जो प्राप्त दान होगा वो दिव्य संध्या बाबा सिंहेश्वर धाम के विभिन्न कार्यक्रमों के व्यवस्था में खर्च किया जायेगा. पूजन सामग्री की साफ- सफाई और रखरखाव की जिम्मेदारी फाउंडेशन और तापस पंडा समाज की संयुक्त रूप से होगी.

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