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नहीं रहे शिक्षक व प्रखर साहित्यसेवी डॉ महेंद्र नारायण पंकज

नहीं रहे शिक्षक व प्रखर साहित्यसेवी डॉ महेंद्र

मधेपुरा

हिंदी साहित्य के प्रति समर्पित जुझारू साहित्यसेवी एवं राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत 72 वर्षीय शिक्षक डॉ महेंद्र नारायण पंकज नहीं रहे. उन्होंने रविवार को सुबह नौ बजे दुनिया को अलविदा कह दिया. डॉ महेंद्र नारायण पंकज बीते चंद दिनों से बीमार चल रहे थे. उन्होंने अंतिम सांस निज गांव भतनी में ली. आरंभ में उनका साहित्यिक कर्मक्षेत्र प्रगतिशील लेखक संघ था, लेकिन जुझारू साहित्यसेवी होने के कारण उन्होंने उस संघ से अलग होकर राष्ट्रीय जन लेखक संघ की स्थापना की. जिसका केंद्रीय कार्यालय डॉ मधेपुरी मार्ग वार्ड नंबर एक में स्थित है.

13 राज्यों में जन लेखक संघ की स्थापना

राष्ट्रीय जन लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में उन्होंने भारत के 13 राज्यों में जन लेखक संघ की स्थापना की एवं निकटवर्ती तीन अन्य देश नेपाल, भूटान एवं बांग्लादेश में भी विस्तारित किया. उन्हें अंतरराष्ट्रीय जन लेखक संघ का महासचिव भी बनाया गया. उन्होंने दिल्ली में राष्ट्रीय जन लेखक संघ के कई सम्मेलन आयोजित किये और हाल ही में वहां एक कार्यालय भवन भी बनाया. पिछले महीने यानी 20 अक्तूबर 2024 को बिहार राज्य राष्ट्रीय जन लेखक संघ का सम्मेलन राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ भवन में आयोजित कर सर्वाधिक सदस्यों को सम्मानित भी किया था.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था सम्मानित

डॉ महेंद्र नारायण पंकज हिंदी साहित्य के विकास के लिए अपना तन-मन लगाते रहे. साथ ही वेतन एवं भविष्य निधि से व्यक्तिगत राशि निकालकर भी लगा दिया करते थे. साहित्य सेवा के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें 50 हजार रुपये नगद राशि के साथ प्रशस्ति पत्र देकर हाल ही में सम्मानित किया था. डॉ महेंद्र नारायण पंकज अपने चार भाई उपेंद्र, महेंद्र, शैलेंद्र एवं अखिलेंद्र में दूसरे नंबर पर रहकर भी सबसे पहले ही दुनिया को अलविदा कह दिया. इन्हें दो पुत्र नीरज एवं नवीन एक इंजीनियर एवं दूसरे शिक्षक हैं. एक पुत्री है और दामाद बैंक मैनेजर है. नाती-पोते से भरा-पूरा परिवार छोड़कर वे रविवार को ही पंचतत्व में विलिन हो गये. बड़े पुत्र नीरज ने उन्हें मुखाग्नि दी.

अवशेष रह गई डॉ महेंद्र की रचनायें

युग-ध्वनि (कविता संग्रह), अपमान (कहानी संग्रह), क्रांतिवीर चंद्रशेखर आजाद (प्रबंध काव्य), एक युद्ध (कहानी संग्रह) समेत डॉ महेंद्र नारायण पंकज की अन्य रचनायें उन्हें साहित्य जगत में जीवित रखेंगे.

छठ पूजा के बाद होगी संवेदना अर्पित

डॉ महेंद्र नारायण पंकज के निधन का समाचार सुनते ही मधेपुरा के लेखक, कवि एवं साहित्यकार कौशिकी क्षेत्र हिंदी साहित्य सम्मेलन अध्यक्ष पूर्व प्रतिकूलपति डॉ केके मंडल एवं सचिव डा भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी को अपनी संवेदना प्रेषित करते हुए कौशिकी के सदस्य डॉ शांति यादव, डॉ अरुण कुमार, साहित्यकार पूर्व कुलसचिव प्रो सचिंद्र महतो, पूर्व प्राचार्य प्रो सच्चिदानंद यादव, मणि भूषण वर्मा, सियाराम यादव मयंक, डॉ आलोक कुमार, डॉ विनय कुमार चौधरी, डॉ बीएन विवेका, डॉ सिद्धेश्वर कश्यप, पूर्व आचार्य डॉ सुरेश भूषण, डॉ शेफालिका शेखर, राकेश कुमार द्विजराज, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डॉ गजेंद्र कुमार समेत अन्य ने छठ पूजा के बाद उनके प्रति संवेदना अर्पित करने के निमित्त एक श्रद्धांजलि सभा बुलाने के लिए अनुरोध किया है.

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