मनोकामना पूर्ण करती हैं सार्वजनिक साहुगढ़ की दुर्गा मैया
सदर प्रखंड के साहुगढ़ स्थित सार्वजनिक साहुगढ़ दुर्गा मंदिर सदियों पूर्व से स्थापित है. माता का यह मंदिर आस्था तथा हर मनोकामना पूर्ण होने का प्रतीक माना जाता है.
अमन श्रीवास्तव, मधेपुरा
सदर प्रखंड के साहुगढ़ स्थित सार्वजनिक साहुगढ़ दुर्गा मंदिर सदियों पूर्व से स्थापित है. माता का यह मंदिर आस्था तथा हर मनोकामना पूर्ण होने का प्रतीक माना जाता है. मालूम हो कि यहां दुर्गा पूजा की तैयारी जोर-शोर के साथ चल रही है. करोड़ों की लागत से बने इस मंदिर में अभी भी निर्माण कार्य चल रहा है. दुर्गा पूजा के शुभ अवसर पर मंदिर प्रांगण में भव्य मेला का भी आयोजन किया जाता है. जिसमें सभी तरह की दुकानें ग्रामीणों व अन्य जगहों के व्यापारियों के द्वारा लगायी जाती हैं. पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाये जाने वाले इस महोत्सव में स्थानीय ग्रामीणों में काफी उत्साह देखने को मिलता है.वर्षों से होती आ रही है मां की पूजा
साहुगढ़ के सार्वजनिक साहुगढ़ दुर्गा मंदिर में वर्षों से ही माता की पूजा होती चली आ रही है. मंदिर में अहम योगदान निभाने वाले मंदिर के मुख्य पुजारी कार्तिक यादव का कहना है कि यह मंदिर सोनवर्षा के महाराज रुद्र प्रताप नारायण सिंह के पूर्वजों के द्वारा ही स्थापित कर पूजा शुरू की गयी थी. उस समय से आज तक यहां के ग्रामीणों के द्वारा सार्वजनिक रूप से पूजा अर्चना की जाती है. दो पंचायत यानी साहुगढ़ वन पंचायत एवं साहुगढ़ टू पंचायत वाले इस गांव में एक ही दुर्गा मंदिर है. ग्रामीणों का कहना है कि सबसे पहले यह मंदिर मिट्टी के घर में ही थी.वैदिक रीति रिवाज से होती है पूजा
इस मंदिर में मिथिलांचल के वैदिक रीति रिवाज से होती है. मंदिर में अहम योगदान निभाने वाले मंदिर के मुख्य पुजारी कार्तिक यादव ने बताया कि इस मंदिर में वैदिक रीति रिवाजों से होती पूजा किये जाने की परंपरा है. उन्होंने बताया कि कलश स्थापना के दिन से ही पूजा शुरू हो जाती है और सप्तमी के दिन से भव्य मेला का आयोजन भी किया जाता है, लेकिन मेले में होने वाली भारी भीड़ के कारण कलश स्थापना से ही उसकी रूपरेखा तैयार कर ली जाती है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है.इलाके का सबसे ऊंचा मंदिर
स्थानीय लोगों ने बताया कि यह मंदिर इलाके का सबसे ऊंचा मंदिर है. जिसके कारण यह मंदिर दूर-दूर तक अपनी आभा बिखेर रहा है. साहुगढ़ स्थित माता का 113 फीट के इस मंदिर का निर्माण दोनों पंचायत के जनप्रतिनिधियों, स्थानीय लोगों एवं युवाओं के द्वारा किया गया है. साथ ही दोनों पंचायत के जनप्रतिनिधियों, स्थानीय लोगों एवं युवाओं के सहयोग से पुजा एवं मेला संपन्न होता है. स्थानीय लोगों की मानें तो अब तक इस मंदिर के निर्माण में लगभग 10 करोड़ रुपया खर्च हो चुका है.ग्रामीणों की होती है भागीदारी
समावेशी गांव होने के कारण सभी वर्गों के लोगों के सहयोग से सार्वजनिक साहुगढ़ दुर्गा मंदिर में भव्य दुर्गा पूजा मनाया जाता है. मंदिर निर्माण कार्य तथा दुर्गा पूजा को सफल बनाने में मुख्य रूप से साहुगढ़ के दोनों पंचायत यानी साहुगढ़ वन पंचायत के पूर्व मुखिया उमेश यादव, साहुगढ़ टू पंचायत के पूर्व मुखिया अरविंद यादव, साहुगढ़ वन पंचायत के वर्तमान मुखिया नंदनी राम, साहुगढ़ टू पंचायत के वर्तमान मुखिया मुकेश कुमार, मंदिर कमेटी के अध्यक्ष साहुगढ़ टू पंचायत के पूर्व सरपंच अरुण यादव, मंदिर कमेटी के सचिव प्रवीण यादव, जयकांत यादव, आलोक कुमार, जयकिशोर तथा युवा संघ साहुगढ समेत गांव के समस्त युवा अपनी-अपनी भागीदारी निभाते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है