रामपुर के वार्ड छह में कटाव शुरू, पीड़ित कर रहे रतजगा

रामपुर के वार्ड छह में कटाव शुरू, पीड़ित कर रहे रतजगा

By Prabhat Khabar News Desk | July 14, 2020 8:27 AM

मुरलीगंज: प्रखंड अंतर्गत रामपुर पंचायत से होकर गुजरने वाली सुरसर नदी की उपशाखा बलुआहा नदी के बहाव के परिवर्तन व पिछले कई दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण नदी के जलस्तर बढ़ गया है. इसके कारण वार्ड नंबर छह के आधा दर्जन से अधिक परिवारों के घर कटाव की चपेट में आ गया है. रविवार की रात्रि से जलस्तर में वृद्धि के कारण बलुवाहा नदी फिर तबाही मचाने के लिए अपने उफान पर है. रामपुर पंचायत बलुआहा रेलवे पुल संख्या एक सौ के उत्तर के आदिवासी टोले में लोगों डरे सहमे हैं.

गत दिनों से जलस्तर में वृद्धि के कारण कटाव तेज होता जा रहा है ऐसे में कटाव पीड़ित परिवार अपने चूल्हे बर्तन और आशियाने को कटाव बचाने के लिए नदी के गहरे पानी में सोमवार को खुद से बंबू पाइललिंग कर रहे थे. पवई मांझी ने बताया कि आधा दर्जन से अधिक घर से ही कटाव की चपेट में आ गये हैं. स्थानीय प्रशासन द्वारा व जिला प्रशासन द्वारा कटाव निरोधात्मक नहीं करवाया जा रहा है. हमलोग अपने कुछ पैसे से बांस खरीद कर लाए हैं. खुद और मजदूरों को रखकर किसी तरह आशियाने को बचाने की कोशिश में नदी के कटाव को रोकने के लिए बंबू पाईलिंग व अन्य उपाय कर रहे हैं. जैसे -जैसे दिन चढ़ता गया, वैसे-वैसे नदी का कटाव बढ़ता गया.

ग्रामीण नीतू हसदा ने घर दिखाते हुए बताया कि मेरा घर कब किस वक्त नदी में समा जायेगा कहना मुश्किल है. घर का एक कोना रात में ही कट कर नदी में समा गया है. घर में रखे सामान बारिश में बाल बच्चों के साथ कहां ले जायेंगे कहीं कोई व्यवस्था नहीं है न ही प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था की गयी है. जब तक इस कटाव निरोधी कार्य बोल्डर क्रेटिंग या नेट बोल्डर क्रेंटिग व उसके बाद बालू भरे बोरे नहीं डाले जाते हैं. तब तक इस गांव का बच पाना मुश्किल होगा. पिछले दो दिनों से लगातार बारिश से कोसी क्षेत्र में जलस्तर की वृद्धि के कारण बलुवाहा नदी भी तबाही मचाने के लिए अपने उफान पर है. इसके कारण बीती रात से कटान शुरू हो गया था. मौके पर गजेंद्र हंसदा अशोक हांसदा, रमेश टुडू, श्यामलाल किसकु, लखन मुर्म शोभन मुर्मू, मोहन हेंब्रम, नीतू हंसदा, चंदन टुडू ने बताया कि नदी में बढ़ते जलस्तर के बारे में परिवारों ने कहा कि अगर इस नदी के कहर से बचने का कोई उपाय नहीं किया गया तो गांव का अस्तित्व खत्म हो जायेगा.

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