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कीड़े के प्रकोप से मक्का की खेती करने वाले किसान परेशान, उपज पर पड़ेगा असर

कीड़े के प्रकोप से मक्का की खेती करने वाले किसान परेशान, उपज पर पड़ेगा असर

प्रतिनिधि, उदाकिशुनगंज

प्रखंड क्षेत्र में मक्के की फसल पर कीड़े का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. खेत में लगे मक्का के फसल को कीड़े कट कर बर्बाद कर रहे हैं. क्षेत्र के किसानों का कहना है कि अगर कीड़ा के प्रकोप से 10 फीसदी पौधा भी बर्बाद हुआ, तो इसका असर फसल के उपज पर भी पड़ने की आशंका है. जब खेत में पौधे ही नहीं रहेंगा तो भुट्टा कहां से होगा. ज्ञात हो कि खेतों में लगी मक्के की फसल को कीट पौधे के तना को काट कर खेत में लगे पौधा को बर्बाद कर रहा है. किसान जानकारी के अभाव में खाद दुकानदार के द्वारा बताये कीटनाशक का छिड़काव कर रहे है. इधर, खाद दुकानदार किसानों की मजबूरी का नाजायज लाभ उठाते हुए मनमाफिक कीटनाशक देकर किसानों को कारगर दवा बताते हुए भेज देता है. किसान जब अपने खेतों में छिड़काव करता है, तो उक्त कीटनाशक का तना छेदक कीड़े पर कोई असर नहीं पड़ता है. इससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक तो सही जानकारी नहीं होने के कारण खेत से नित्य पौधे कीड़े का भेंट चढ़ रहा है, तो दूसरी तरफ गलत दवाई में मोटी रकम जेब को ढीला कर रहा है. कहने को तो प्रत्येक पंचायत में पंचायत कृषि कार्यालय खुला हुआ है.

मक्के के पौधे में लग रहा है कीड़ा :

बताया जाता है कि कुछ पंचायतों में किसान सलाहकार और पंचायत कृषि समन्वयक किसानों को खेती के गुर सीखने से लेकर फसल के बारे में सभी जानकारी मुहैया कराने के लिए उपलब्ध रहते है, लेकिन धरातल पर कुछ और ही है. मक्का के पौधे के तना छेदक रोग से बचाव के बारे में कृषि पदाधिकारी ने कहा कि धान के खेत में लगे मक्के में तना छेदक रोग की शिकायत मिल रही है. यह रोग कजरा कीड़े के प्रकोप से लगता है. इस कीड़े का प्रकोप 20 से 40 दिन के मक्के के पौधे अधिक देखा जाता है. कृषि विशेषज्ञ ने कहा कि इसके लिए किसानों को घबराने की बात नहीं है. यह कोई लाइलाज रोग नहीं है. किसान रासायनिक और जैविक विधि से इस पर काबू पा सकते हैं. ध्यान देना चाहिए कि दवा के घोल में दूसरा कोई दवाई नहीं मिलाये. चाहे टॉनिक ही क्यों न हो. आप टॉनिक, जिंक या अन्य कोई दवा अलग से घोल तैयार कर छिड़काव करें.

पौधों के प्रारंभिक अवस्था में ही कीट कर दे रहा है नष्ट

क्षेत्र की सबसे अहम फसल मक्का में कीड़े लगने से किसानों के अरमानों पर पानी फिरने लगा है. किसानों ने बताया कि क्षेत्र में पीला सोना के नाम से प्रसिद्ध मक्का फसल इस बार दगा दे रहा है. पौधों के प्रारंभिक अवस्था में ही कीट नष्ट कर दे रहा है. यह किसानों के बीच परेशानी का सबब बनता जा रहा है. प्रखंड क्षेत्र में 30 फीसदी किसान इससे परेशान हैं. कीड़े की वजह से मक्का के छोटे पौधे के पत्ते के ऊपर जालीनुमा धब्बा हो जाता है. इससे पौधों का ग्रोथ तो रूक जाता है. साथ ही साथ उसमें मक्के होने की संभावना कम होती है. क्योंकि उसमें लगा कीट दवाओं के उपयोग के बाद भी मर नहीं रहा. किसान ने बताया कि रासायनिक दवाओं का लगातार उपयोग कर रहे हैं. इसके बाद भी कीट नहीं मर रहा. फसल खराब हो गया है. इससे उसे नुकसान हो रहा है. किसी प्रकार का लाभ नहीं मिल रहा है. जिससे उनमें मायूसी छाने लगी है.

मक्का की फसल में कीड़े का प्रकोप, कृषि कर्मी नहीं करते जांच

प्रखंड क्षेत्र के कई पंचायतों में मक्का की फसल पर कीड़ा का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे मक्का के खेती पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका से अभी से किसानों में मायूसी छाने लगी है. वही नयानगर सिंगारपुर के किसानों की शिकायत है कि कृषि विभाग के पदाधिकारी या कर्मी हमलेगों के पास आकर सही जानकारी नहीं दिया है, जिससे की मक्का फसल पर लगे कीट की जांच कर किसानों को इसके उपाय बतलाए. जबकि हालोगों का मुख्य फसल मक्का ही होती है. कई किसान मक्का फसल बेच अपना गुजर बसर भी करते हैं.

मक्का फसल में लगे तना छेदक से करे बचाव :

कृषि विशेषज्ञ ने कहा कि व्यस्क कीट हल्का पीलापन लिए हुए भूरे रंग का होता है. इस कीट का लार्वा प्रारंभ में पत्ती को खुरच कर खाती है और बाद में इस प्रकार छेद कर देती है, जो सुई से किये गये छेद की तरह दिखायी देता है. बाद में लार्वा तने में छेद कर देती है और उसे खाती है. उन्होंने बताया कि इससे बचाव के लिए कीटग्रस्त पौधे को उखाड़ कर फेंक दें. बुआई के 15-20 दिन के अंदर कार्बोफ्यूरान 3 जी 8-10 दाना प्रति पौधा की दर से गाभा में डालें. क्लोरपाइरीफोस 20 ईसी दो मिली पानी की दर से छिड़काव करें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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