मधेपुरा के भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय (BNMU) के कुलपति, रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ कोसी प्रमंडल के क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक अनिल कुमार के आवेदन पर रविवार को सदर थाने में मामला दर्ज किया गया है. जिसमें बताया गया है कि शिक्षा विभाग की ओर से 28 फरवरी को विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में परीक्षाओं के आयोजन और अन्य संबंधित कार्ययोजनाओं को लेकर बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में बीएनएमयू के कुलपति प्रो बिमलेंदु शेखर झा, कुलसचिव डॉ मिहिर कुमार ठाकुर, परीक्षा नियंत्रक डॉ शशिभूषण शामिल नहीं हुए थे. इसलिए तीनों पदाधिकारियों के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 120 बी, 166, 166ए, 174, 175, 176, 176, 179 और 187 का उल्लंघन मानते हुए जानबुझकर विश्वविद्यालयों के परीक्षा मामले से संबंधित आधिकारिक कार्य में बाधा डाली गई, जो गैर कानूनी कार्य है. इस मामले में सदर थानाध्यक्ष बिमलेंदु कुमार ने बताया कि आरडीडी के आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है.
BNMU प्रशासन की बढ़ सकती है परेशानी
आवेदन में कहा गया है कि 28 फरवरी को भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय की लंबित परीक्षाओं पर चर्चा के लिए बैठक रखी गई थी. विभाग ने परीक्षाओं के शेड्यूल का फैसला काफी पहले ही ले लिया था. साथ ही इस अकादमी सत्र में कौन सी परीक्षा कब ली जानी है, इसका गजट नोटिफिकेशन भी कर दिया गया. जुलाई में हुई समीक्षा में पाया गया कि बीएनएमयू में शैक्षणिक सत्र तीन से चार साल पीछे चल रहा है. इसे देखते हुए विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 30 के तहत परीक्षाओं के आयोजन के लिए विधिवत अधिसूचना जारी की गई थी. लगातार समीक्षा के बावजूद उक्त सूचना का पालन नहीं किया गया. यह भी सामने आया कि पुराने सत्र तो पिछड़ ही रहे हैं, कई अद्यतन अकादमी सत्र भी पिछड़ रहे हैं. विभाग ने इसे बिहार परीक्षा संचालन अधिनियम 1981 की धारा 9 का उल्लंघन माना है और कंडिका 11 के तहत कार्रवाई करने को कहा है.
लोक सेवकों के कार्य को अवरोध करने का आरोप
आवेदन यह भी कहा गया है कि 28 फरवरी की बैठक में विशेष कर लंबित परीक्षाओं के संबंध में रिपोर्ट नहीं देने, लंबित परीक्षाओं से संबंधित आवश्यक सूचना उपलब्ध नहीं कराने, जानबूझकर लंबित परीक्षाओं से संबंधित जानकारी देने से बचने और इंकार करने और आवश्यक सूचना उपलब्ध नहीं कराकर विभागीय लोक सेवकों के कार्य को अवरोध करने, विभाग के लोक सेवकों को ससमय परीक्षा संचालन कराने, परीक्षाफल प्रकाशित करने में सहयोग करने में विफल रहने को लेकर संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया था. दो दिनों के अंदर स्पष्टीकरण का जवाब दिया जाना था. लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. ऐसे में माना गया कि विश्वविद्यालय के संबंधित पदाधिकारियों को इस संबंध में कुछ नहीं कहना है.
क्या कहते है पदाधिकारी
इस संबंध में जब कुलसचिव मिहिर कुमार ठाकुर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्राथमिकी के संबध में उन्हें कोई भी जानकारी नहीं है. इस संबंध में अपर पुलिस अधीक्षक प्रवेंद्र भारती ने बताया कि आवेदन के आधार पर कुलपति, कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक पर मामला दर्ज कर लिया गया है.