मन के मस्तिष्क में होता है ईश्वर का वास,संगति से खुलती है ज्ञान : स्वामी सुकमानंद जी महाराज
श्रद्धालुओं के लिए आयोजन कमेटी के द्वारा भंडारा का आयोजन किया गया है.
पांच दिवसीय दिव्य ज्योति जागृति सत्संग में उमड़ी श्रद्धालुओं का जनसैलाब – अंतिम दिन श्रद्धालुओं के लिए भंडारा का किया गया आयोजन प्रतिनिधि, उदाकिशुनगंज, मधेपुरा. कोई यह समझता है कि ईश्वर समझने का विषय है तो वह नासमझ है. भगवान इन्द्रिय, मन और बुद्धि से परे हैं. भगवान को भगवत कृपा से ही जाना जा सकता है. उदाकिशुनगंज में चल रहे दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वावधान भागवत कथा के प्रवचन में जगद्गुरु स्वामी सुकरमानंद जी महाराज ने प्रवचन सुनाते हुए बताया कि भगवान को भगवत कृपा द्वारा ही जाना जा सकता है. भागवत कृपा शरणागति द्वारा ही मिलेगी. ज्ञात हो कि अंतिम दिन प्रवचन को श्रवण करने उमड़ी श्रद्धालुओं का जनसैलाब को स्वामी सुकरमानंद जी महाराज ने भजन के माध्यम से कहा कि “हम परदेशी संत फकीर,हमें तुम याद करोगे ” पर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए. वहीं महिला श्रद्धालुओं के आंखों से टप -टप आंसू छलकने लगे. प्रवचन के दौरान स्वामी सुकरमानंंद जी महराज ने अपने प्रवचन में कहा कि परम पूज्य सर्वश्री आशुतोष जी महाराज के सानिध्य में पांच दिनों तक शांति और सौहार्दपूर्ण वातावरण में सत्संग में भजन और प्रवचन से लाभ उठायें हैं. आज सत्संग का समापन होने जा रहा है. अंतिम दिन सत्संग में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं के लिए आयोजन कमेटी के द्वारा भंडारा का आयोजन किया गया है. पांच दिनों तक सत्संग को सफल बनाने में श्रद्धालुओं की सेवा में दिन-रात एक किया है. उसी के सहयोग से पांच दिवसीय आयोजन सफल हो पाया. समापन समारोह में आयोजन कमेटी के सदस्य प्रमुख प्रतिनिधि अमित कुमार, वार्ड पार्षद प्रतिनिधि संतोष यादव, समाजसेवी सनोज यादव, डीएवी के निदेशक सजनदेव कुमार समेत दर्जनों कमेटी के सदस्यों ने संत स्वामी सुकमानंद जी महाराज, साध्वी महामाया भारती,शितला भारती, लक्ष्मी भारती, श्रुति भारती जी को माला पहनाकर शाल भेंटकर सम्मानित किया. उसके बाद स्वामी सुकरमानंंद जी महाराज ने सभी कार्यकर्ताओं को लाल पट्टी एवं अखंड ज्ञान पुस्तक भेंटकर सम्मानित किया गया. उसके बाद सत्संग में आरती के साथ समापन किया गया. कार्यकर्ताओं ने सभी श्रद्धालुओं को भंडारा का प्रसाद वितरण किया गया. पांच दिनों तक उदाकिशुनगंज नगर वासी भक्तिमय माहौल में सत्संग में भजन व प्रवचन से लाभान्वित हुए.
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