बीएनएमयू के राजनीति विज्ञान विभाग में लगाया गया मूट कोर्ट
मधेपुरा. भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के शैक्षणिक परिसर स्थित विश्वविद्यालय राजनीति विभाग में मूट कोर्ट का आयोजन हुआ. मनोहर बनाम भारत संघ मामले पर सुनवाई की गयी. विवि के राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष न्यायाधीश के रूप में डॉ अर्जुन कुमार यादव, अधिवक्ता के रूप में डॉ अर्पना कुमारी एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अमित विश्वकर्मा थे. बहस करते हुए डॉ अर्पना कुमारी ने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन का दावा करते हुए एक कानून को चुनौती दी.इस प्रकार की शैक्षणिक गतिविधि पर आइक्यूएसी के निदेशक डॉ. नरेश कुमार ने कहा कि मूट कोर्ट एक शैक्षणिक प्रक्रिया है, जिसमें विधि एवं राजनीति विज्ञान के विद्यार्थी न्यायालय की वास्तविक कार्यवाही का अभ्यास करते हैं. छात्रों को न्यायालय की वास्तविक प्रक्रिया और न्यायिक प्रणाली के संचालन से परिचित कराना होता है. मूट कोर्ट का औचित्य विधिक अनुसंधान कौशल का विकास: मूट कोर्ट छात्रों को गहन कानूनी अनुसंधान करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे वे कानूनी मुद्दों और प्रासंगिक विधानों को समझने और विश्लेषण करने में निपुण हो जाते हैं और मौलिक अधिकारों की समझदारी बढ़ती है. स्टूडेंट्स विभिन्न संवैधानिक और विधिक मुद्दों पर बहस करते हैं. मूट कोर्ट स्टूडेंट्स को अपनी कानूनी दलीलें प्रभावी ढंग से मौखिक और लिखित रूप में प्रस्तुत करने का अवसर देता है. इससे उनकी अभिव्यक्ति और प्रस्तुति कौशल में सुधार होता है.
– कोर्ट में स्टूडेंट्स बनते हैं वादी और प्रतिवादी
मूट कोर्ट न्यायालय की प्रक्रिया और न्यायाधीशों के प्रश्नों का उत्तर देने की क्षमता को विकसित करने में सहायक होता है. यह उन्हें असली कोर्ट की कार्यवाही के लिए तैयार करता है. मूट कोर्ट टीम आधारित होता है. जिसमें एक छात्र वादी और दूसरा प्रतिवादी के पक्ष में दलीलें प्रस्तुत करता है. यह सहयोग और प्रतिस्पर्धात्मक भावना को बढ़ावा देता है.
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