जलजमाव : सावन भादो तो अभी बाकी है फोटो- मधेपुरा 51- वार्ड नंबर 13 की सड़क पर हुआ भारी जलजमाव. फोटो- मधेपुरा 52- सदर अस्पताल में जमा बारिश का पानी. फोटो- मधेपुरा 53- बाजार की मुख्य सड़क पर जमा पानी. फोटो- मधेपुरा 54- सदर अस्पताल के इमरजेंसी में भारी जलजमाव. शहर के अधिकतर मुहल्लों में जलजमाव, लोगों का घरों से निकलना हुआ मुश्किल अभी तीन महीने तक होगी बारिश, नप ने नहीं की व्यवस्था तो होगी स्थिति विकराल प्रतिनिधि, मधेपुरा रविवार को सुबह से तेज झमाझम बारिश से मौसम का मिजाज बदल गया. स्थानीय लोग सहित राहगीरों को जलजमाव के कारण काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. अधिकतर मुहल्ले के लोगों को यह चिंता सता रही है कि अभी यह हाल है तो आगे क्या स्थिति होगी. अभी तो आषाढ़ ही बरस रहा है. बारिश के लिए तय सावन और भादो तो अभी बाकी ही है, तब शहर के मुहल्लों की क्या दशा होगी. अभी ही लोगों के घरों में पानी घुस रहा है और उनका घर से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है. लोग पैदल व वाहन से अपने मोहल्ले से बाजार नहीं जा पा रहे हैं. हर वार्ड में घुटने भर गया है. सावन-भादो में क्या होगा. साल दर साल की है यही कहानी ऐसा नहीं है कि मधेपुरा शहर और उसके मुहल्लों की जलजमाव के कारण ऐसी स्थिति पहली बार हुई है. साल दर साल की यही कहानी है. नगर परिषद प्रशासन और नप के जनप्रतिनिधि हर बार चिकनी-चुपड़ी बात कर लोगों को सांत्वना दे देते हैं, लेकिन काम कुछ भी नहीं होता है. हर साल लोगों को बरसात में जलजमाव की भारी समस्या से जूझना पड़ता है. आश्चर्य तो यह है कि नगर परिषद जलजमाव के निराकरण का कोई पहल भी नहीं कर रही है. वार्ड नंबर 13 के बिनोद कुमार ने बताया कि कई घरों के पास ही पानी जमा होने से लोगों को आवाजाही करने में परेशानी हो रही है. यही स्थिति सितंबर महीने तक बने रहने की संभावना दिख रही है. शुरू हुई सरांध, बीमार होंगे लोग अन्य कोई विकल्प नहीं होने के कारण कीचड़युक्त पानी में चलना लोगों की विवशता बनी हुई है. प्रशासनिक उपेक्षा का परिणाम है कि बाजार में नाले के बंद रहने से नाले का गंदा, काला व बदबूदार पानी ओवरफ्लो हो सड़कों पर बह रहा है. शहर के मवेशी अस्पताल रोड, मस्जिद चौक एवं विभिन्न मुहल्लों में जलजमाव से लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. लंबे समय तक पानी के जमाव रहने से संक्रमित होने का खतरा बना रहता है. जलजमाव के कारण शहर में जलजनित रोगों की संभावना भी बढ़ गयी है. ऐसे में जिला प्रशासन एवं नगर परिषद तत्काल स्थायी या अस्थायी समाधान करना चाहिए.
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