पटना उच्च न्यायालय का फैसला वंचित तबके के साथ है अन्याय

पार्वती विज्ञान महाविद्यालय मधेपुरा के मुख्य द्वार पर शुक्रवार को आइसा ने पटना उच्च न्यायालय के 65 प्रतिशत आरक्षण खत्म करने के फैसले का विरोध कर, उसकी प्रति जलाया.

By Prabhat Khabar News Desk | June 21, 2024 7:03 PM

मधेपुरा. पार्वती विज्ञान महाविद्यालय मधेपुरा के मुख्य द्वार पर शुक्रवार को आइसा ने पटना उच्च न्यायालय के 65 प्रतिशत आरक्षण खत्म करने के फैसले का विरोध कर, उसकी प्रति जलाया. आइसा जिला सचिव पावेल कुमार ने कहा कि अधिक भागीदारी वाले एवं कमजोर समाज के आरक्षण को खत्म करना मजदूर, किसान, शोषित एवं वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षा एवं रोजगार के क्षेत्र से दूर करना है. उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के कई राज्यों में जरूरत के हिसाब से इस प्रकार के आरक्षण हैं. भाजपा तो शुरू से ही जाति गणना का विरोधी रही है. बिहार की सत्ता हड़प लेने के बाद वह 65 प्रतिशत आरक्षण को रद्द करवाने के लिए काफी सक्रिय रही है. जाति गणना के खिलाफ उसके ही लोग न्यायालय में गये थे. आइसा जिलाध्यक्ष सन्नी कुमार ने बिहार में महागठबंधन की सरकार द्वारा दलित व वंचित समुदाय के आरक्षण की सीमा को 65 प्रतिशत करने के निर्णय को पटना उच्च न्यायालय द्वारा रद्द करना, वंचित समुदाय के प्रति घोर अन्याय बताया. उन्होंने कहा कि आज एक बार फिर साबित हो गया कि जब तक भाजपा है, हमारा संविधान, लोकतंत्र एवं आरक्षण खतरे में है. इंकलाबी नौजवान सभा के जिला संयोजक कृष्ण कुमार ने कहा कि वंचित समुदाय के आरक्षण पर हो रहे संगठित हमले एवं उसे कमजोर किये जाने के इस दौर में महागठबंधन की सरकार ने जाति आधारित गणना के आधार पर ओबीसी, ईबीसी, दलित एवं आदिवासियों का आरक्षण बढ़ाकर 65 प्रतिशत किया था, जो बिल्कुल न्याय संगत था. उच्च न्यायालय को यह समझना चाहिए था कि आरक्षण विस्तार का फैसला बहुत ही ठोस आधार पर किया गया था. इस अन्यायपूर्ण फैसले के खिलाफ बिहार सरकार से हमारा आग्रह है कि वह तत्काल सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाये और दलित-वंचित समुदाय के आरक्षण में हुये विस्तार की रक्षा की दिशा में ठोस कदम उठाये. आइसा विश्वविद्यालय अध्यक्ष अरमान अली एवं एजाज अख्तर ने कहा कि 10 प्रतिशत असंवैधानिक सवर्ण आरक्षण को तो हमारी न्याय व्यवस्था ने सही साबित कर दिया, लेकिन दलितों एवं वंचितों के पक्ष में आरक्षण विस्तार को असंवैधानिक बता रही है. यह बहुत हास्यास्पद तर्क है. उन्होंने कहा कि 65 प्रतिशत आरक्षण पर पटना उच्च न्यायालय का फैसला वंचित तबके के साथ अन्याय है. मौके पर आइसा नेता राजकिशोर कुमार, मनीष मेहरा, प्रिंस कुमार, राजकिशोर राज, नवीन कुमार, अभिजीत कुमार समेत अन्य मौजूद थे.

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