-जिले के एकमात्र विधि महाविद्यालय में पिछले चार वर्षों से बंद है नामांकन- -विश्वविद्यालय अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक बने हैं उदासीन- -सामान्य परिवार के छात्रों को नहीं मिल रहा विधि स्नातक बनने का अवसर- मधेपुरा भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय अंतर्गत एमएलटी कॉलेज सहरसा परिसर स्थित रविनंदन मिश्र स्मारक विधि महाविद्यालय सहरसा पिछले कुछ वर्षों से नामांकन एवं पठन-पाठन की सुविधा से वंचित है, जिसपर शायद न तो विश्वविद्यालय और ना ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं जाने से छात्र-छात्राएं एवं युवा विधि (लॉ) की शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. जबकि इस महाविद्यालय से हजारों की संख्या में सफल होकर छात्र-छात्राएं आज सफल जीवन जी रहे हैं. अब देखना है कि 18 दिसंबर को 25वें सीनेट की बैठक में रविनंदन मिश्र स्मारक विधि महाविद्यालय (लॉ कॉलेज) सहरसा का मामला उठता भी है या नहीं. -मूलभूत सुविधाओं में कमी के कारण लगी नामांकन पर रोक- रविनंदन मिश्र स्मारक विधि महाविद्यालय सहरसा बीएनएमयू का एकमात्र अंगीभूत विधि महाविद्यालय (लॉ कॉलेज) है. जिसकी स्थापना वर्ष 1972 में सहरसा के बुद्धिजीवियों ने की थी. इस महाविद्यालय के स्थापना का उद्देश्य यही था कि यहां के छात्र-छात्राएं कानून की पढ़ाई कर सकें, जिससे विधि एवं न्यायिक सेवा में जा सकें, लेकिन विगत कुछ वर्ष पूर्व बार कौंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने मूलभूत सुविधाओं में कमी का कारण बताकर यहां छात्र-छात्राओं के नामांकन पर रोक लगा दी थी. -उदासीनता के कारण बार कौंसिल ऑफ इंडिया से नहीं मिली है हरी झंडी- रविनंदन मिश्र स्मारक विधि महाविद्यालय सहरसा के पूर्व के प्राचार्य ने इस कमी को गंभीरता से नहीं लिया, जिससे प्रतिवर्ष विधि स्नातक की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया. अब यहां के छात्र-छात्राएं विधि (लॉ) की शिक्षा पाने के लिए दूसरे विश्वविद्यालय का रुख कर रहे हैं, वह भी बहुत कम संख्या में ही छात्र-छात्राएं इसकी हिम्मत उठा पा रहे हैं. कोसी क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, सीनेट एवं सिंडिकेट के सदस्यों व बीएनएमयू के अधिकारियों की उदासीनता के कारण अभी तक बार कौंसिल ऑफ इंडिया से हरी झंडी नहीं मिली है. -नीतीश मिश्रा ने सदन में उठाया था मुद्दा- जानकारी के अनुसार रविनंदन मिश्र स्मारक विधि महाविद्यालय सहरसा में नामांकन पर रोक जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार के पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा ने विधानसभा में उठाया था. उनकी बातों को सरकार ने सुना एवं भवन प्रमंडल को प्राक्कलन बनाने का निर्देश दिया था. छात्र-छात्राओं की समस्या को जानने के लिए निरीक्षण की भी बात कही गयी थी. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्राचार्य के लिए एलएलएम की डिग्री, 14 फैकल्टी एवं 10 कमरा की अनिवार्यता को पूरा करने को कहा था. -बना था प्राक्कलन, मिला था अनुमोदन- विश्वत सूत्रों के अनुसार भवन प्रमंडल विभाग द्वारा तीन करोड़ सात लाख 38 हजार पांच सौ रुपये का प्राक्कलन भी बना, इस नक्शे को महाविद्यालय विकास समिति से अनुमोदित भी किया गया, लेकिन निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ. विश्वविद्यालय के एकेडमिक काउंसिल, सीनेट एवं सिंडीकेट समेत अन्य बैठक में अंगीभूत एवं निजी महाविद्यालय पर चर्चा तो होती है, लेकिन बीएनएमयू के इस एकमात्र अंगीभूत विधि महाविद्यालय (लॉ कॉलेज) की चर्चा तक नहीं हो पाती है. जिससे कोसी प्रमंडल के गरीब एवं सामान्य परिवार के छात्र-छात्राओं को विधि स्नातक बनने का अवसर नहीं मिल पा रहा है. छात्र-छात्राएं एलएलबी कर अधिवक्ता, न्याय मित्र, अपर लोक अभियोजक, निजी कंपनियों में विधि परामर्शी, न्यायिक अधिकारी बनने से वंचित रह रहे हैं.
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