मधेपुरा. लोकसभा चुनाव में एनडीए के दिनेश चंद्र यादव को भले ही जीत मिल गयी, लेकिन 2019 में हुए चुनाव के मुकाबले इस बार उन्हें मिले मतों का प्रतिशत घटा है. साथ ही जीत का अंतर भी कम हुआ है. इस बार डाले गये कुल 1207499 मतों में से दिनेश चंद्र यादव को 640649 मत मिले, जो 53 प्रतिशत रहा, जबकि 2019 में डाले गये कुल 1147274 मतों में से इन्हें 624334 मत मिले थे और तब प्राप्त वोटों का प्रतिशत 54.4 था. इस तरह पिछले चुनाव की तुलना में दिनेश चंद्र यादव को 16315 अधिक मत मिले, लेकिन प्राप्त वोट का प्रतिशत घट गया. इस तरह इस बार प्रत्याशी यानी जदयू का जनाधार 1.4 फीसदी घटा है. जीत का अंतर 301527 से घटकर हुआ 174534- 2019 के चुनाव में जनता दल यूनाइटेड के प्रत्याशी रहे दिनेश चंद्र यादव ने राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी देश के कद्दावर नेता शरद यादव व उस समय के सिटिंग सांसद रहे राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को हराया था. तब दूसरे नंबर पर रहे शरद यादव को 322807 मत मिले थे, जो कुल कास्ट वोटों का 28.1 प्रतिशत था. इसी तरह सिटिंग सांसद व जन अधिकार पार्टी के प्रत्याशी पप्पू यादव को 97631 मत मिले थे और यह महज 8.5 फीसदी ही था. 2019 में विजयी हुए दिनेश चंद्र यादव के जीत का अंतर 301527 था. इस वर्ष 2024 में हुए चुनाव में जीत का यह फासला 174534 में ही सिमट गया. राष्ट्रीय जनता दल की बढ़ी साख- साल 2019 और 2024 में हुए मधेपुरा लोकसभा चुनाव के परिणाम का अध्ययन करने पर यह स्पष्ट होता है कि बीते चुनाव के मुकाबले इस बार क्षेत्र में राष्ट्रीय जनता दल की साख बढ़ी है और पार्टी ने विमुख हुए अधिकतर वोटरों को अपनी ओर लौटाने में हद तक सफलता पायी है. हालांकि यहां यह कहने में भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि बीते 10 वर्षों के केंद्र सरकार व स्थानीय सांसद के कार्यकाल से नाखुश मतदाताओं ने भी इस बार अपना नेता बदल लिया. यहां यह कहना भी गलत नहीं होगा कि पिछले चुनाव में देशभर में मोदी लहर थी और उस लहर में यहां से राजद प्रत्याशी शरद यादव भी पराजित हो गये थे. 28 से बढ़कर 38 प्रतिशत तक हुआ राजद का वोट- साल 2019 के चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल प्रत्याशी शरद यादव को कुल 322807 मत मिले थे, जो डाले गए कुल मतों का 28.1 प्रतिशत था, जबकि इस बार के चुनाव में राजद के कुमार चंद्रदीप को कुल 466115 मत मिले और यह कास्ट वोटों का 38.5 प्रतिशत है. पांच वर्षों में 10 फीसदी वोटों का उछाल राजद के लिए शुभ संकेत कहा जा सकता है. 2019 के चुनाव के मुकाबले इस बार राजद को प्राप्त वोटों में दस प्रतिशत की हुई बढ़ोतरी के पीछे पार्टी नेता तेजस्वी यादव की मेहनत तो है ही, साथ ही महंगाई, बेरोजगारी सहित क्षेत्र में दशकों से कई योजनाओं का लंबित होना भी कारण बना. 2.1 से घटकर 2.7 प्रतिशत पर आया नोटा भी- मतदाताओं को यदि कोई प्रत्याशी पसंद नहीं है, तो वे ईवीएम पर अंतिम में अंकित नन ऑफ दिज एवभ यानी इनमें से कोई नहीं (नोटा) का बटन दबाने का विकल्प दिया गया है. इस बटन की खासियत यह है कि डाले गए कुल वोटों का यदि दस प्रतिशत मत नोटा को मिलता है, तो वहां के चुनाव को रद्द कर दिया जायेगा और पुनर्मतदान में उनमें से किसी भी प्रत्याशी को चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया जायेगा, लेकिन देश में कहीं भी अब तक इसका सकारात्मक असर नहीं हुआ है. 2019 के चुनाव में मधेपुरा लोकसभा में 38450 (2.1 %) लोगों ने नोटा दबाया था, जबकि इस बार नोटा दबाकर अपना मत डालने वालों की संख्या 32625 (2.7 %) रही.
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