सत्संग से होती है ज्ञान प्राप्ति – स्वामी व्यासानंद जी महाराज

सत्संग मे रहनेवाले सभी को कलयुग की तकलीफें नहीं होती है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 17, 2024 6:47 PM

आलमनगर प्रखंड के नगर पंचायत स्थित शंकरी टोला में दो दिवसीय संतमत सत्संग के आयोजन किया किया गया. शनिवार को प्रथम दिन के सत्संग के दौरान संतमत सत्संग में हरिद्वार से आये स्वामी व्यासानंद जी महाराज ने प्रवचन दिया. संतमत सत्संग में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए स्वामी व्यासानंद जी महाराज कहा कि सत्संग का मतलब ज्ञान प्राप्त करना है. सत्संग में जाने का मतलब स्वाध्याय, मन को शुद्ध करना, व्यक्तित्व का विकास, ईश्वर की संगति पाना, आत्मिक विकास को बढ़ावा देना होता है. अच्छे लोगों की संगति ही सत्संग है. सतसंग का मुख्य उद्देश्य ही जीवन को सतमार्ग पर चलने के लिए सुधारना होता है. सत्संग मे रहनेवाले सभी को कलयुग की तकलीफें नहीं होती है. सत्संग सुनने मात्र से मनुष्य चिंतन करना शुरू कर देता है. उससे भगवान नाम की महिमा समझ आने लगती है. उन्होंने कहा कि सत्संग का सबसे बड़ा लाभ ईश्वर की प्राप्ति व गुरु को पहचानना है जो हमें आध्यात्मिकता सिखाते हैं. गुरु एक ढाल है जो हमें गलत समझ से बचाता है. सत्संग सुनने से मानव का कल्याण होता है. सत्संग के प्रभाव से मनुष्य में सत्कर्मों को अपनाने की प्रवृति जागृत होती है. उन्होंने कहा अच्छे कर्मों से अच्छा तथा बुरे कर्मों से बुरा फल प्राप्त होता है. इसलिये हर मनुष्य को बुरे कर्मों का त्याग कर अच्छे कर्म करना चाहिए वहीं महाराज ने कहा ज्ञान दो प्रकार का होता है. शरीर के साथ आत्मा जो वास करती है. वही भौतिक ज्ञान होता है. शरीर ओर इंद्रियों को छोड़़कर उसे आध्यात्मिक ज्ञान होता है. उन्होंने ध्यान योग की चर्चा करते हुए कहा कि मन काफी चंचल होता है. मन विषय की तरफ भागता है, जिसे नियंत्रित करने की कोशिश करनी चाहिए. निरंतर अभ्यास से दुर होती है मन की चंचलता इसलिये एकाग्रचित होकर ध्यानाभ्यास किया जाता है दो दिवसीय संतमत सत्संग को लेकर पूरे इलाके में भक्तिमय माहौल बना हुआ है। वही सत्संग की सफलता को लेकर शिक्षक पंकज कुमार मंडल, सर्वेश मंडल ,संजय मंडल ,धर्मेंद्र मंडल ,विक्रम कुमार ,रवि जायसवाल सहित सैकड़ों युवा कार्यकर्ता अपना सहयोग दे रहे थे.

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