मधेपुरा. तिलकामांझी विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग से सेवानिवृत्त अध्यक्ष सुप्रसिद्ध दार्शनिक प्रो डॉ केदारनाथ तिवारी (केएन तिवारी) को दर्शंन परिषद्, बिहार का सबसे प्रतिष्ठित सोहनराज लक्ष्मीदेवी तातेड़ जोधपुर (राजस्थान) लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है. रविवार को परिषद् के एक प्रतिनिधिमंडल ने उनके आवास शांति सदन (बूढ़ानाथ) जाकर उन्हें यह सम्मान प्रदान किया. इस अवसर पर आईसीपीआर, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो रमेशचंद्र सिन्हा, पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो राजेश रंजन तिवारी, ओएनजीसी के सेवानिवृत्त जीएम राजीव रंजन तिवारी, परिषद् की अध्यक्ष प्रो पूनम सिंह, महासचिव डॉ श्यामल किशोर, कोषाध्यक्ष प्रो वीणा कुमारी, संयुक्त सचिव द्वय प्रो पूर्णेन्दु शेखर एवं डॉ सुधांशु शेखर आदि उपस्थित थे. इस अवसर पर प्रो केएन तिवारी ने परिषद् के प्रति अपना आभार व्यक्त किया. अध्यक्षा प्रो पूनम सिंह ने कहा कि प्रो तिवारी को सम्मानित करके परिषद् अपने आपको सम्मानित महसूस कर रहा है. संयुक्त सचिव एवं मीडिया प्रभारी डॉ सुधांशु शेखर ने बताया कि आपका मधेपुरा से काफी लगाव रहा है. आप ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में आयोजित 42वें अधिवेशन के प्रधान सभापति रहे हैं. – कौन हैं प्रो केएन तिवारी- प्रो. तिवारी बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर से एमए स्वर्ण पदक (1959) और मगध विश्वविद्यालय बोधगया से पीएचडी 1967 में किया. अपने शिक्षक के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत 1959 ई में देवघर से की और 31 जनवरी, 1996 को भागलपुर विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष एवं मानविकी संकायाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हुए. अपने शिक्षण करियर मेंं आपने देश कई प्रमुख विश्वविद्यालयों व्याख्यान दिए है. आपके दार्शनिक पत्रिकाओं में कई शोध पत्र और 11 पुस्तकें प्रकाशित किए हैं. इनमें तत्वमीमांसा एवं ज्ञान मीमांसा, तर्कशास्त्र एवं वैज्ञानिक पद्धति, भारतीय तर्कशास्त्र परिचय, आगमन तर्कशास्त्र, प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र, कम्पेरेटिव रीलिजन, क्लासिकल इंडियन इथिकल थाउट, द इंपेक्ट आफ रिजिजश आन गांधीज थाउट आदि प्रमुख हैं. अपने शिक्षण करियर में आपने देश कई प्रमुख विश्वविद्यालयों व्याख्यान दिये है. आपके दार्शनिक पत्रिकाओं में कई शोध पत्र और 11 पुस्तकें प्रकाशित किए हैं. इनमें तत्वमीमांसा एवंज्ञान मीमांसा, तर्कशास्त्र एवं वैज्ञानिक पद्धति, भारतीय तर्कशास्त्र परिचय, आगमन तर्कशास्त्र, प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र, कम्पेरेटिव रीलिजन, क्लासिकल इंडियन इथिकल थाउट, द इंपेक्ट आफ रिजिजश आन गांधीज थाउट आदि प्रमुख हैं.
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