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संतों की अमृतवाणी श्रवण करने से मानव जीवन का होता है कल्याण

संतों की अमृतवाणी श्रवण करने से मानव जीवन का होता है कल्याण

प्रतिनिधि, उदाकिशुनगंज प्रखंड स्तरीय संतमत सत्संग का 23वां वार्षिक अधिवेशन का शुभारंभ शनिवार को मधुबन पंचायत के तीनटेंगा गांव में हुई, जिसमें महर्षि मेंही आश्रम कुप्पाघाट भागलपुर से पधारे गुरुसेवी स्वामी भागीरथ जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान कहा कि संतों के अमृतवाणी श्रवण करने मात्र से ही मानव जीवन का कल्याण हो जाता है. उन्होंने कहा कि ये मानव शरीर मुश्किल से मिला है. इसी शरीर के अंदर मानव का सभी स्वरुप है. हम जिस रुप में इस शरीर रुपी मन को ले जायेंगे,हमारा मन वहीं जायेगा. सत्संग में लोग संतों के वाणी को सिर्फ श्रवण तो जरूर करते हैं, परंतु घर पहुंचते ही सारी बातों को भूलाकर यह मन चंचल हो जाता है. तभी इस मन के अंदर कुरीतियां पैदा होती है और लोग गलत मार्ग पर चलने को मजबूर हो जाते हैं. इसीलिए हमारे गुरु महाराज स्वामी परमहंस जी महाराज ने है कहा कि मन की पवित्रता में ही ईश्वर का वास होता है. मन पवित्र तो सारा जीवन पवित्र हो जायेगा. लेकिन आज के इस आधुनिकता के युग में लोग अपना बहुमूल्य समय इधर-उधर के कामों में भटकाता है. उसमें से सिर्फ दस मिनट ईश्वर की भक्ति में लगेगा,उनका जीवन साकार हो जायेगा. आज छोटे – छोटे बच्चों के हाथों में मोबाइल थमा दिया गया है, उससे उनका मन पढ़ाई में कम और फिजूल बातों में ज्यादा हो गया है. जिससे हमारे समाज में विसंगतियां ज्यादा फैल गई है. इसीलिए ईश्वर का ध्यान करें और अच्छे मार्ग पर हमेशा चलने का प्रयत्न करें. तभी जीवन में आप आगे बढ़ सकते हैं. मौके पर स्वामी रामलाल ब्रह्मचारी, स्वामी संजय बाबा, स्वामी ज्ञानशेखर बाबा, गुरुदेव बाबा, अखिलेश बाबा, अरुण बाबा,अशोकानंद बाबा,तारणी बाबा आदि ने अपने भजन व प्रवचन के माध्यम से लोगों को संतो के बताये मार्गों पर चलने को कहा गया. ताकि मानव जीवन का कल्याण हो सके. प्रखंड स्तरीय संतमत सत्संग का 23वां वार्षिक अधिवेशन का शुभारंभ शनिवार को मधुबन पंचायत के तीनटेंगा गांव में हुई, जिसमें महर्षि मेंही आश्रम कुप्पाघाट भागलपुर से पधारे गुरुसेवी स्वामी भागीरथ जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान कहा कि संतों के अमृतवाणी श्रवण करने मात्र से ही मानव जीवन का कल्याण हो जाता है. उन्होंने कहा कि ये मानव शरीर मुश्किल से मिला है. इसी शरीर के अंदर मानव का सभी स्वरुप है. हम जिस रुप में इस शरीर रुपी मन को ले जायेंगे,हमारा मन वहीं जायेगा. सत्संग में लोग संतों के वाणी को सिर्फ श्रवण तो जरूर करते हैं, परंतु घर पहुंचते ही सारी बातों को भूलाकर यह मन चंचल हो जाता है. तभी इस मन के अंदर कुरीतियां पैदा होती है और लोग गलत मार्ग पर चलने को मजबूर हो जाते हैं. इसीलिए हमारे गुरु महाराज स्वामी परमहंस जी महाराज ने है कहा कि मन की पवित्रता में ही ईश्वर का वास होता है. मन पवित्र तो सारा जीवन पवित्र हो जायेगा. लेकिन आज के इस आधुनिकता के युग में लोग अपना बहुमूल्य समय इधर-उधर के कामों में भटकाता है. उसमें से सिर्फ दस मिनट ईश्वर की भक्ति में लगेगा,उनका जीवन साकार हो जायेगा. आज छोटे – छोटे बच्चों के हाथों में मोबाइल थमा दिया गया है, उससे उनका मन पढ़ाई में कम और फिजूल बातों में ज्यादा हो गया है. जिससे हमारे समाज में विसंगतियां ज्यादा फैल गई है. इसीलिए ईश्वर का ध्यान करें और अच्छे मार्ग पर हमेशा चलने का प्रयत्न करें. तभी जीवन में आप आगे बढ़ सकते हैं. मौके पर स्वामी रामलाल ब्रह्मचारी, स्वामी संजय बाबा, स्वामी ज्ञानशेखर बाबा, गुरुदेव बाबा, अखिलेश बाबा, अरुण बाबा,अशोकानंद बाबा,तारणी बाबा आदि ने अपने भजन व प्रवचन के माध्यम से लोगों को संतो के बताये मार्गों पर चलने को कहा गया. ताकि मानव जीवन का कल्याण हो सके.

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