सभी धर्म के लोग करते हैं योग, तैयारी में जुटा मधेपुरा

सभी धर्म के लोग करते है योग, तैयारी में जुटा मधेपुरा

By Prabhat Khabar News Desk | June 19, 2024 9:15 PM

मधेपुरा. 21 जून को होने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी में पूरी दुनियां जुटी हुई है. पहले यह सिर्फ राष्ट्रीय आयोजन था. साल 2017 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से यह अंतर्राष्ट्रीय आयोजन बना और संपूर्ण विश्व ने इसे सहर्ष अपनाया. दरअसल योग सिर्फ एक व्यायाम या कसरत ही नहीं है, बल्कि यह स्वयं को जानने की विद्या है. लिहाजा यह किसी जाति, धर्म या मजहब में बंधा रहने वाला ज्ञान नहीं है. हर किसी को अपने अंदर की शक्ति को जानने और उसे जागृत कर खुद को सबल और समृद्ध करने का अधिकार है. इसकी जरूरत है. भारत में शुरू हुआ योग पद्धति आज संपूर्ण विश्व में फैल चुका है, यह हिंदुस्तान के लिए गौरव की बात है, लेकिन कतिपय लोगों ने इसे धर्म में बांधने का कुत्सित प्रयास किया है. हालांकि वे अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो सके. प्रभात खबर ने नियमित योग करने वाले मधेपुरा के ऐसे ही एक मुस्लिम धर्मावलंबी से बात की. उन्होंने योग के बीच धर्म को सिरे से खारिज करते कहा कि यह सिर्फ विभेद पैदा करने वाले लोगों का काम है. मन, मस्तिष्क और स्वास्थ्य के प्रति सबको सजग रहने की जरूरत है. वे स्वयं लंबे समय से योगाभ्यास कर रहे हैं और इसका उन्हें फायदा भी हो रहा है. शौकत अली ने कहा कि भारतवर्ष में सीमित रहने वाले योग को विश्व स्तर पर पहुंचाने वाले प्रधानमंत्री और घर-घर योग पहुंचाने वाले योगगुरु बाबा रामदेव धन्यवाद के पात्र हैं. आज उनकी वजह से लोग अकारण बीमार नहीं पड़ते हैं और योग एवं साधना से अपना इलाज खुद कर लेते हैं. शौकत बताते हैं कि 65 वर्ष की आयु होने के बावजूद वे पूरी तरह स्वस्थ और तनावमुक्त हैं. इलाज का महत्वपूर्ण और अभिन्न भाग का योगाभ्यास योग चिकित्सा का प्रमुख भाग है. खासकर हड्डी, नस और मानसिक विकृतियों में यह दवा से अधिक कारगर साबित होता है. ऐसे मरीज जब तक दवा के साथ योगाभ्यास नहीं करते हैं, तब तक उन्हें उनकी परेशानी से पूर्णत: निजात नहीं मिलती है. सच्चाई तो यह है कि अब लगभग सभी विभागों के चिकित्सक अपने साथ योगा एक्सपर्ट को रखने लगे हैं और मरीजों को योग का अभ्यास करा उसे नियमित करने कर सलाह देते हैं. ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ सुनील कुमार अपने नुस्खे पर दवा के साथ नियमित योगाभ्यास करने की सलाह लिखते हैं. उन्होंने कहा कि योगा इज ए पार्ट ऑफ ट्रिटमेंट. डॉक्टर के नुस्खे पर भी होता है योग बीते 10 से 15 वर्षों में देशभर में योग की लोकप्रियता, इसकी जरूरत और इसका महत्व बढ़ा है. मेडिकल साइंस भी इसे जीवन जीने का हिस्सा मानने लगा है. खासकर ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ सुनील कुमार दवाओं के साथ अपने नुस्खे पर नियमित योगाभ्यास की सलाह देते हैं. इनके अलावे स्पाइन के डॉक्टर भी दवा से अधिक योग पर ही विशेष जोर दे रहे हैं. डॉक्टर बताते हैं कि मानसिक संतुलन और स्थिरता के लिए योग सबसे अधिक कारगर है. यदि व्यक्ति मानसिक स्थिरता पा लेता है तो किसी भी शारीरिक परेशानी को वह आसानी से दूर कर सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version