Madhepura News : सविता नंदन, मधेपुरा. बिहार सरकार राज्य की बिगड़ी शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने व सुधारने के लिए रोज नये प्रयोग कर रही है. स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को बीपीएससी द्वारा परीक्षा आयोजित करा भरा जा रहा है. बच्चों से लेकर शिक्षकों तक की नियमित उपस्थिति के लिए टेक्निकल एप का सहारा लिया जा रहा है. डीईओ कार्यालय के निम्नवर्गीय लिपिक से लेकर अपर मुख्य आयुक्त तक लगातार निरीक्षण कर रहे हैं. लेकिन स्कूलों के मुख्य उद्देश्य शिक्षा के लिए आधारभूत संरचना उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार व विभाग अब भी निचले पायदान पर खड़ीहै. आज भी कई ऐसे विद्यालय हैं, जो कमरों की कमी झेल रहे हैं. एक ही कमरे में दो-दो कक्षाओं के बच्चे बैठते हैं. और उन्हें पढ़ाने को दो-दो शिक्षकों की मौजूदगी होती है.
चार कमरों में बैठते हैं आठ कक्षाओं के 421 बच्चे
मधेपुरा जिले के घैलाढ़ प्रखंड अंतर्गत वान टेकती स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेकठी में कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई होती है. यहां नामांकित बच्चों की संख्या 421 है. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल में प्रधानाध्यापक सहित सात शिक्षक व चार शिक्षिकाएं पदस्थापित हैं. लेकिन आठ कक्षाओं के इन 421 बच्चों को बैठने के लिए मात्र चार कमरे हैं. पर्याप्त क्लासरूम नहीं होने के कारण दो-दो कक्षाओं के छात्र-छात्राओं को एक ही कमरे में बिठाकर पढ़ाया जाता है. उसी एक कमरे में दोनों कक्षाओं के बच्चे पढ़ते हैं.
75 प्रतिशत बच्चों की बनती है हाजिरी
विद्यालय में नामांकित कुल बच्चों में प्रत्येक दिन कम से कम 70 से 75 प्रतिशत बच्चों की हाजिरी बनती है. इतने बच्चों के स्कूल आने के बाद उन्हें कक्षा में बैठने में परेशानी हो जाती है. बैठने तक की कुव्यवस्था होने के कारण बच्चे स्कूल आने से कतराते हैं. वे जगह पाने को पहले आने का प्रयास करते हैं. दूसरे दिन पीछे रह जाने वाले बच्चे पहले आते हैं. हर हाल में बाद में आने वाले बच्चों को बैठने और पढ़ाई करने में दिक्कत होती है.वई पढ़ाई में बच्चों के साथ शिक्षकों का भी ध्यान भटकता है.
पांच में से एक कमरे में है कार्यालय
उत्क्रमित मध्य विद्यालय टेकती में कुल चार कमरे, एक किचन के अलावा छत पर एक चदरे का शेड बनाया गया है. किचन को छोड़ कर पांच कमरे में विद्यालय का कार्य संपादित होता है. इन पांच कमरे में से एक कमरे में विद्यालय का कार्यालय संचालित किया जाता है.
चदरे का शेड नहीं है बेहतर विकल्प
स्कूलों में कमरों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने छत पर चदरे का शेड बना उसे पूरा करने का प्रयास किया है, लेकिन वह बच्चों की पड़ाई के लिए बेहतर विकल्प नहीं है. विद्यालय की छत पर बनाये गये चदरे का शेड गर्मी में गर्म हो जाता है. इससे एक घंटा बैठना भी मुश्किल हो जाता है.