Madhepura News : नदी किनारे फेंका जा रहा नगर परिषद का कचरा
नगर परिषद मधेपुरा को अब तक कचरा निस्तारण के लिए समुचित जमीन नहीं मिली है. ऐसे में शहर का कचरा जहां-तहां फेंका जा रहा है. कचरा निस्तारण के लिए तीन एकड़ जमीन की जरूरत है. जबकि फिलवक्त बुधमा में एक एकड़ 86 डिसमिल जमीन ही मिली है. वहां भी कचरा फेंका जाना शुरू नही किया गया है.
Madhepura News : सविता नंदन, मधेपुरा. नगर परिषद में कचरा निस्तारण के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की जा रही है. इस कारण हर वर्ष छठ के समय नदी किनारे फेंके गये कचरे को सफाई के नाम पर नगर परिषद के अधिकारियों द्वारा लाखों खर्च व बंदरबाट की आशंका रह जाती है. ज्ञात हो कि शहर में रोज जमा हो रहे कचरे को फेंकने की समस्या से नगर परिषद जूझ रहा है. क्योंकि नगर परिषद क्षेत्र में कचरे को एक जगह स्टॉक कर उसे निरस्त करने के लिए कोई उपयुक्त जगह नहीं है. ऐसे में कचरे को सुखासन रोड स्थित गुमटी पुल के नीचे नदी किनारे फेंका जा रहा है. कचरे की दुर्गंध की वजह से वहां से गुजरने वाले लोगों को परेशानी होती है. नगर परिषद जमीन की कमी की समस्या दूर नहीं कर पा रहा है.
कचरे से खाद तैयार करने की है योजना
नगर विकास विभाग शहर के कचरे से खाद तैयार करने की योजना बना रहा है. बताया जाता है कि अगर कचरा का निस्तारण की जगह चिह्नित हो पाती है, तो वहां कचरे से खाद तैयार करने वाले उपकरण लगाया जा सकता है. इससे नगर परिषद को राजस्व प्राप्त होगा. कचरे के दुर्गंध से भी लोगों को मुक्ति मिल पायेगी.
मानक के हिसाब से जमीन मिलना मुश्किल
विभागीय सूत्रों के अनुसार, विभाग के मानक के हिसाब से कचरा निस्तारण को लेकर नगर परिषद क्षेत्र में जगह मिलने में कठिनाई है. विभाग की गाइडलाइन के अनुसार कचरा निस्तारण के लिए तीन एकड़ जमीन होनी चाहिए. साथ ही कचरा फेंकने वाली चिह्नित जगह आबादी से दूर होनी चाहिए. वहां बाढ़ आने की समस्या अथवा जलजमाव समस्या नहीं हो. लेकिन इस प्रकार की जमीन नगर परिषद के लिए खोज पाना मुश्किल साबित हो रहा है.
नदी किनारे फेंके गये कचरे से लोगों को होती है परेशानी
नगर परिषद द्वारा शहर में खुली जगहों पर कचरा डंप किया जा रहा है. शहर में सुखासन जाने के रास्ते में गोमती नदी किनारे व इवनिंग कॉलेज मधेपुरा के पीछे व अन्य खाली जगहों पर कचरा डंप किया जा रहा है. इसके अलावा कई बड़े एरिया भी कचरा डंप किया जा रहा है. वहीं नदी किनारे कचरा फेंकने के बाद फिर नगर परिषद ही कचरा साफ भी करवाता है. नगर परिषद जहां कचरा फेंकता है, उन जगहों पर छठ पूजा में घाट बनाया जाता है. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नगर परिषद ही कचरे को जलाकर प्रदूषण भी फैलाता है. शेष जले हुए कचरे को मिट्टी से ढक दिया जाता है. वहीं छठ के बाद फिर से कचरा फेंकने का क्रम शुरू हो जाता है. महापर्व छठ पूजा में भी अब एक माह ही शेष बचा है.
कचरा निस्तारण को मिली है एक एकड़ 86 डिसमिल जमीन
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी तान्या कुमारी ने बताया कि वर्तमान में बुधमा में एक जगह मिली है, जो एक एकड़ 86 डिसमिल है. यह शहर से लगभग 10 किमी दूर है. उस पर नगर परिषद द्वारा काम चल रहा है. वहां कचरा डंप करने के लिए शहर में एक कचरा स्टेशन बनाया जायेगा, जहां पूरे शहर से छोटी गाड़ियों, टीपर से कचरा पहुंचाया जायेगा. इसके बाद कचरा को बुधमा ले जाया जायेगा. इसके लिए दो हाइवा रखा जायेगा.
शहर में कहीं सफाई, तो कहीं दिखती है गंदगी
नगर परिषद मधेपुरा के सफाई कर्मियों द्वारा घर-घर कचरा का उठाव कराया जा रहा है. शहर को साफ करने का कोई समस्या सीमा निर्धारित नहीं है. इससे पूरे शहर का कचरा उठाने में दोपहर के दो-तीन बज जाते हैं. वहीं सार्वजनिक जगहों पर जमा कचरा का भी नियमित रूप से उठाव किया जा रहा है. लेकिन गली मोहल्ले में कचरा जमा ही रह जाता है. इससे शहर में कहीं सफाई, तो कहीं गंदगी दिखती है.
कचरे से होता है प्रदूषण, लोगों को नुकसान
डंपिग एरिया में जमा कचरे के सड़ने से गंध फैलातीहै. कागज, बचा हुआ भोजन, जानवरों की हड्डियां, सब्जियों व फलों के छिलके आदि सड़ने के बाद दुर्गंध करते हैं. वहीं पशुओं व मुर्गी के मल से भी दूषित गैस निकलती है. इसके अलावा प्लास्टिक, लोहे व कांच के टुकड़े लोगों के लिए खतरा पैदा करते हैं. जान बूझकर या अनजाने में लगी आग से भीषण वायु प्रदूषण फैलता है. इसका आसपास के लोगों पर भी बुरा असर पड़ताहै.