मोदी के नाम व नीतीश के काम ने दिनेश को फिर से पहुंचाया संसद
मोदी के नाम व नीतीश के काम ने दिनेश को फिर से पहुंचाया संसद
मधेपुरा. मतगणना के दौरान एनडीए से जनता दल यूनाइटेड प्रत्याशी दिनेश चंद्र यादव पहले राउंड से ही बढ़त बनाये रहे. 26 राउंड में हुई गिनती में वे कभी भी दूसरे नंबर पर नहीं आये, बल्कि राउंड दा राउंड बढ़त का अंतराल बढ़ता ही गया. इस तरह काउंटिंग के अंतिम दौर के बाद दिनेश 174534 मतों के अंतर से विजयी घोषित किये गये. यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहतर कार्य की बदौलत दिनेश को अपार बहुमत से जीत मिली है. पीएम के खाद्यान्न योजना ने लोगों को जोड़ा मधेपुरा लोकसभा सीट से दिनेश चंद्र यादव को मिली जीत में नरेंद्र मोदी के नाम की भी अहम भूमिका कही जा सकती है. सर्वप्रथम तो अधिकतर लोग देश के प्रधानमंत्री के रूप में मोदी को ही देखना चाहते हैं. राम मंदिर निर्माण, धारा 370 को लेकर भी हिंदू धर्मावलंबियों से उनका भावनात्मक जुड़ाव बन गया है. इसके अलावा फूड सिक्यूरिटी बिल के तहत गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न योजना, उज्जवला योजना, अन्नपूर्णा योजना, जन धन योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने अधिसंख्य महिलाओं को उनसे जोड़ा है. इसके अलावा पुरुष वर्ग भी कौशल भारत मिशन, मेक इन इंडिया, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, डिजिटल इंडिया, मिशन स्टार्ट-अप इंडिया सहित अन्य योजनाओं से खासे प्रभावित हैं. जिले से गुजरने वाले दो-दो नेशनल हाइवे का हो रहा कायाकल्प, कोसी नदी पर बन रहा विशाल पुल, जगह-जगह बन रहे आरओबी व अंडर पास भी लोगों को दिखा. निश्चय ही दिनेश को इसका भी फायदा मिला है. लोगों को दिखा सीएम का मेडिकल कॉलेज भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मधेपुरा को सजाने व संवारने में मेहनत की है. आज मधेपुरा में वर्ल्ड क्लास मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, सरकारी स्कूलों की आकर्षक बिल्डिंग, वहां हुए उपस्करों की व्यवस्था व बेहतर अध्ययन-अध्यापन का प्रबंध, जिला अस्पताल सहित अनुमंडलीय अस्पताल, पीएचसी, एपीएचसी के आकर्षक भवन व सुधरती स्वास्थ्य व्यवस्था भी लोगों को उनके करीब लायी है. किसी भी नेशनल हाइवे को टक्कर देती जिले से गुजरने वाले स्टेट हाइवे भी यातायात मार्ग को सुदृढ़ करने व बाहरी जिलों से सीधा संपर्क बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है. नीतीश कुमार की शराबबंदी योजना ने भी महिलाओं को उनके करीब लाया. दिनेश चंद्र यादव की जीत में मुख्यमंत्री की योजनाएं भी कारगर साबित हुई है. जाति के तराजू पर नहीं मिली है जीत मधेपुरा के संबंध में यह कहावत रही है कि रोम है पोप का तो मधेपुरा है गोप का. 1967 में लोकसभा क्षेत्र का गठन होने के बाद यहां अब तक कुल 14 सांसद चुने गये हैं. सभी सांसद यादव जाति से ही रहे हैं. हर बार की तरह इस बार भी दोनों प्रमुख दलों ने यादव जाति को ही प्रत्याशी बनाया. एनडीए के जदयू ने राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी दिनेश चंद्र को दोबारा इस सीट से मौका दिया, जबकि इंडिया गठबंधन के राष्ट्रीय जनता दल ने प्रो चंद्रदीप को पहली बार चुनाव के रसास्वादन का मौका दिया. हालांकि चंद्रदीप सशक्त राजनैतिक परिवार से आते हैं. उनके पिता डॉ रमेंद्र कुमार रवि मधेपुरा से सांसद रह चुके हैं. यादव बाहुल्य क्षेत्र में दिनेश चंद्र यादव को यादव सहित लगभग अन्य सभी जातियों का मत मिला, जबकि चंद्रदीप को यादव के अलावे कुछ विशेष जातियों के वोटरों ने ही साथ दिया. इसीलिए दिनेश की जीत को जाति के तराजू पर तौलकर मिली जीत नहीं कही जा सकती है.
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