संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति का किया विरोध

संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति का किया विरोध

By Prabhat Khabar News Desk | December 23, 2024 10:11 PM

प्रतिनिधि, मधेपुरा

किसान नेताओं ने सोमवार को बीपी मंडल चौक पर कृषि विपणन नीति का विरोध किया. किसान नेताओं ने कहा कि हम भारत के किसान आज देशभर के जिलों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हम एनडीए तीन के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन न करने का कड़ा विरोध करते हैं और उन सभी किसान संगठनों और मंचों से, जो वास्तविक मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं के साथ वार्ता करने की मांग करते हैं. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से किसानों के साथ विचार-विमर्श करने के लिए कहा है. हम मांग करते हैं कि केंद्र सरकार से कि किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की जान बचाने, दिल्ली कूच कर रहे किसानों पर दमन और आंसू गैस के गोले दागने को रोक लगायी जाय. गत दिनों से गौतम बुद्ध नगर की लुक्सर जेल में बंद सभी किसानों को रिहा करने, उन पर हत्या के प्रयास सहित झूठे लगाये गये मामलों को वापस लेने और साजिश के लिए जिम्मेदार पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह एवं अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने, राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति, डिजिटल कृषि मिशन और राष्ट्रीय सहयोग नीति को वापस लेने और संघर्ष कर रहे सभी किसान संगठनों के साथ तुरंत चर्चा करने और एमएसपी, ऋण माफी, बिजली के निजीकरण और एलएआरआर अधिनियम 2013 के कार्यान्वयन पर किसानों की लंबे समय से लंबित वास्तविक मांगों को स्वीकार किया जाय.

एसकेएम ने 18वीं लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए तीन सरकार के सत्ता में आने के ठीक बाद 16, 17, 18 जुलाई 2024 को प्रधानमंत्री, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं और सभी संसद सदस्यों को ज्ञापन सौंपा था. किसानों ने नौ अगस्त 2024 को पूरे देश में कृषि पर कॉर्पोरेट नियंत्रण के खिलाफ प्रदर्शन किया. एसकेएम ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और कृषि श्रमिक संघों व मंचों के साथ मिलकर 500 से अधिक जिलों में बड़े पैमाने पर मजदूर-किसान विरोध प्रदर्शन किये.

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघर्ष कर रहे किसान संगठनों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हैं.

नई राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति तीन कृषि कानूनों को पिछले दरवाजे से फिर से लागू करने की कॉर्पोरेट एजेंडे की रणनीति का हिस्सा है. कॉर्पोरेट ताकतें भारत के मेहनतकश लोगों को चुनौती दे रही हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार केवल कॉर्पोरेट हितों की सेवा कर रही है. दिल्ली कूच करने वाले किसानों पर दमन बंद किया जाए राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति को सरकार वापस ले. किसान आंदोलन में बिहार राज्य किसान सभा के नेता विद्याधार मुखिया, गणेश मानव, शैलेंद्र सुमन, दिलीप पटेल, वशीमउद्दीन, सौरभ कुमार , इंदल कुमार, मो जहांगीर आदि नेता शमिल थे.

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