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सनातन परंपरा सभी धर्मों व पंथों के प्रति रखता है स्वीकृति का भाव : कुलपति

सनातन परंपरा सभी धर्मों व पंथों के प्रति रखता है स्वीकृति का भाव : कुलपति

प्रतिनिधि, मधेपुरा सच्चे संत पृथ्वी पर चलते-फिरते ईश्वर हैं. वे सभी अपने निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर समाज व राष्ट्र के लिए जीते हैं. उनका जीवन मानवोत्थान व राष्ट्रोत्कर्ष के लिए समर्पित होता है. उक्त बातें बीएनएमयू कुलपति प्रो विमलेंदु शेखर झा ने कही. वे गुरुवार को भारतीय संत-परंपरा : मानवोत्थान व राष्ट्रोत्कर्ष विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन कर रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन नव वेदांत के प्रतिपादक युगनायक स्वामी श्री विवेकानंद जी के 122 वें पुण्य स्मरण तथा श्रीमज्जगद गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के 82वें प्राकट्य महोत्सव (राष्ट्रोत्कर्ष दिवस) के अवसर पर ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय मधेपुरा के स्नातकोतर दर्शनशास्त्र विभाग, आदित्य वाहिनी बिहार व मधेपुरा यूथ एशोसिएशन (माया) मधेपुरा के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. सनातन है भारतीय संत परंपरा कुलपति ने कहा कि यह सुखद संयोग है कि विवेकानंद जी की पुण्यतिथि व स्वामी निश्चलानंद जी की जन्मतिथि एक ही दिन है. दोनों हमारी भारतीय संत परंपरा के दो प्रमुख हस्ताक्षर हैं. दोनों का जीवन विश्व मानवता के कल्याण के लिए समर्पित रहा है. कुलपति ने कहा कि भारतीय संत परंपरा सनातन है. यह परंपरा सभी धर्मों व पंथों के प्रति स्वीकृति का भाव रखता है. यह सनातन एक जीवन दर्शन है. इसकी मान्यतायें वैज्ञानिक है. उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य ने सनातन सभ्यता-संस्कृति, धर्म व दर्शन की रक्षा व इसके पुनरुत्थान में महती भूमिका निभायी. उन्होंने देश के चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना करके राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का ऐतिहासिक कार्य किया. संत परंपरा में है सबों के कल्याण की कामना आदित्य वाहिनी के राष्ट्रीय संयोजक प्रेमचंद्र झा ने कहा कि भारतीय संत परंपरा की मान्यता है कि संपूर्ण चराचर जगत में एक ही ईश्वर का वास है. इसमें सभी जीवों के कल्याण की कामना की गयी है. इसमें अपने स्वार्थ को छोड़कर समाज, राष्ट्र व विश्व के लिए जीने का आदर्श प्रस्तुत किया गया है. उन्होंने बताया कि शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी बिहार के ही मधुबनी जिले के निवासी हैं. इन्होंने धर्म, समाज, संस्कृति, दर्शन, विज्ञान आदि विषयों को केंद्र में रखकर दो सौ से अधिक ग्रंथों की रचना की है. आध्यात्मिक विकास जरूरी, चरित्रवान मानव से ही बनेगा सशक्त राष्ट्र पूर्व कुलपति प्रो अनंत कुमार ने कहा कि मानव के समग्र उत्थान के लिए उसे आध्यात्म से जोड़ने की जरूरत है. आध्यात्मिक विकास के बगैर तथाकथित भौतिक प्रगति हमें विनाश की ओर ले जाती है. कुलसचिव डाॅ विपिन कुमार राय ने कहा कि भारतीय संत परंपरा ने हमेशा मानवोत्थान व राष्ट्रोत्कर्ष के लिए कार्य किया है. हमारी मान्यता है कि चरित्रवान मानव से ही समृद्ध समाज व सशक्त राष्ट्र बनेगा. मानवोत्थान व राष्ट्रोत्कर्ष के विरुद्ध हो रहे हैं कार्य विषय प्रवेश करते हुए अर्थशास्त्र विभाग की एसोसिएट प्रो प्रज्ञा प्रसाद ने कहा कि आज समाज में विभिन्न रूपों में मानवोत्थान व राष्ट्रोत्कर्ष के विरुद्ध कार्य हो रहे हैं. हम सबों की यह जिम्मेदारी है कि हम इसे रोकें. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो कैलाश प्रसाद यादव व संचालन दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डा सुधांशु शेखर, धन्यवाद ज्ञापन माया के अध्यक्ष राहुल यादव ने किया. कार्यक्रम का तकनीकी पक्ष शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, बीएड विभाग के विवेकानंद व माया के कोषाध्यक्ष सुधांशु कुमार ने संभाला. आयोजन में आनंद कुमार, राजीव सिंह, आनंद आशीष, मनीष कुमार, अभिनव आनंद, प्रवीण कुमार आदि ने सहयोग किया. मौके पर कुलानुशासक डाॅ बीएन विवेका, डाॅ एके मलिक, डाॅ अमरनाथ झा, डाॅ उपेंद्र प्रसाद यादव, डॉ राजीव कुमार सिंह, डाॅ जावेद अहमद, डाॅ मनोज ठाकुर, डाॅअंकेश कुमार, अमित कुमार सिंह, डॉ विजया कुमारी, डॉ रोहिणी कुमारी, डॉ यासमीन रसीदी, डॉ सीमा कुमारी, मिथिलेश कुमार, डॉ शशांक मिश्रा, डॉ कुंदन कुमार सिंह, डॉ राकेश कुमार, ज्योत्सना, जयश्री कुमारी आदि उपस्थित थे. तकनीकी सत्र में एक दर्जन शोध-पत्रों का हुआ वाचन उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र में लगभग एक दर्जन शोध-पत्रों का वाचन हुआ. इस सत्र की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार व समाजसेवी डाॅ भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी व संयोजन सीएम साइंस कॉलेज मधेपुरा में असिस्टेंट प्रो डाॅ संजय परमार ने किया. इस सत्र के मुख्य वक्ता प्राचीन इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो ललन प्रसाद अद्री थे. समापन सत्र में प्रमाण-पत्र वितरित अंत में समापन सत्र में सभी प्रतिभागियों को सेमिनार में सक्रिय सहभागिता के आधार पर प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया. मौके पर बेबी कुमारी, सुप्रिया सुमन, सोनाली रानी, काजल कुमारी, दीपक कुमार, मोती कुमार यादव, अरविंद यादव, महेश, डॉ अशोक कुमार अकेला, रमण कुमार, निखिल कुमार सिंह, सुमित कुमार, रिचा कुमारी, सोनी कुमारी, रूपम कुमारी, देवी कुमारी, नीतू कुमारी, स्मृति प्रिया, काजल कुमारी, सत्यम कुमार, प्रतीक कुमार, आदित्य कुमार, राजेश कुमार, सुमित कुमार, रवि कुमार मिश्रा, हिमांशु राज आलोक कुमार, शिवम राज मंटू कुमार, अमित कुमार सुधीन कुमार, अंकित कुमार, सुमन भारती, प्रवीण कुमार, आनंद आशीष, सौरभ कुमार आदि उपस्थित थे.

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