पुरैनी. यूवीके कॉलेज कडामा में समर इंटर्नशिप कैंप के दौरान गुरुवार को संस्कृत विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता संस्कृत के विभाग अध्यक्ष प्रो दिलीप कुमार झा ने की. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रधानाचार्य डॉ माधवेंद्र झा, उप प्रधानाचार्य डॉ ललन कुमार झा थे. प्रधानाचार्य ने कहा कि संस्कृत हमें विरासत में मिली हुई भाषा है, जिसे देव भाषा भी कहा जाता है. उन्होंने कहा कि हमलोग सौभाग्यशाली हैं, जो संस्कृत भाषा पर व्याख्यान करने का अवसर प्राप्त हुआ है, ताकि हमारी जो शैक्षणिक परंपरा है उसे अक्षुण्ण रखने का प्रयास किया जा सके. उन्होंने कहा कि संस्कृत से कई भाषाओं का उद्भव हुआ है जिन्हे हम वर्तमान में मुख्य भाषाओं में भी गिनते हैं. संस्कृत भाषा हमें विनयशील बनना सिखाती है, विनयशीलता ही व्यक्ति को अनुशासित बनाता है और अनुशासित व्यक्ति सदैव ही संस्कारी रहता है और वही जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है. यक्ष पूरी तरह से रोजगार युक्त विषय है. उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा का भविष्य उज्ज्वल है. प्रो दिलीप ने कहा कि हमारी संस्कृत भाषा समृद्धशाली भाषा है. इस भाषा ने हमें संस्कार दिया है, संस्कृति दी है. संस्कृत विषय में सब कुछ समाहित है. संस्कृत का जो भी ज्ञात है वह अपने जीवन में कहीं ना कहीं सफलता की बुलंदियों पर है इसीलिए उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि मेजर सब्जेक्ट के रूप में संस्कृत भाषा को अवश्य चुने. उप प्रधानाचार्य डॉ ललन कुमार झा, प्रो नागेश्वर झा, प्रोफेसर शिवेंद्र आचार्य ने भी संस्कृत विषय के कार्यशाला पर अपने महत्वपूर्ण व्याख्यान देते हुए कहा कि संस्कृत के छात्रों और शिक्षकों का यह उत्तरदायित्व है कि वह अपनी संस्कृत भाषा एवं संस्कृति के संरक्षण के लिए सतत प्रयास करते रहने चाहिए. मौके पर प्रो शिव किशोर सिंह, प्रो विजेंदर झा, प्रो भगवान प्रसाद सिंह, प्रो दिलीप कुमार सिंह, प्रो संजय कवि, प्रो विनोद शंकर, प्रो रंजीत कुमार आदि मौजूद थे.
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