सड़कों पर दौड़ रहे पुराने व कंडम वाहन, धुआं हवा को कर रही प्रदूषित
सड़कों पर दौड़ रहे पुराने व कंडम वाहन, धुआं हवा को कर रही प्रदूषित
प्रतिनिधि, मधेपुरा. सड़कों पर दौड़ रहे पुराने व कंडम वाहनों से निकलने वाले धुएं से शहर की हवा जहरीली हो रही है. इन वाहनों के धुएं से निकलने वाली कार्बन डाईऑक्साइड, सल्फरडाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी घातक गैस व लैरोसेल जैसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कणों की मात्रा शहर की हवा में खतरनाक स्तर के आंकड़े को पार कर गये हैं. गंभीर बात यह है कि शहर की हवा को विषाक्त बना रहे कंडम वाहनों पर रोक लगाने के लिए आरटीओ, ट्रैफिक पुलिस व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गंभीर नहीं है. शहर में कई वाहन से जहरीली धुंआ लोगों को सांस लेने में हो रही तकलीफ इनमें से सौ से ज्यादा वाहन पुराने मॉडल के होकर काला धुआं छोड़ रहे हैं. इसके अलावा पुराने मॉडल के फोर व्हीलर, लोडिंग वाहन व दोपहिया वाहन भी समस्या बढ़ा रही है. शहर में वायु प्रदूषण को लेकर जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आंकड़े जुटाये, तो तथ्य सामने आये कि तीन किमी का प्रदूषित एरिया हर साल सौ से अधिक लोगों को सांस रोगों का शिकार बना रहा है. नहीं होती है चेकिंग- चार पहिया व दो पहिया वाहनों से निकल रहे काले धुएं की जांच के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ट्रैफिक पुलिस व परिवहन विभाग ने दो साल से कोई अभियान नहीं चलाया. कार्रवाई की बात तो दूर है. ऑफ रोड वाहनों के संचालन की समय-समय पर जांच की जाना चाहिये. ताकि वह शहर में काला धुआं नहीं फैला सकें. प्रत्येक वाहन पर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की एनओसी अनिवार्य की जाय. शहर सहित अन्य क्षेत्रों के प्रत्येक पेट्रोल पंप पर वाहनों के प्रदूषण मापने की व्यवस्था हो. कंडम वाहनों पर सख्ती से कार्रवाई कर हटवाया जाय. लेड की मिलावट से निकल रहे एरोसोल कण- पेट्रोल में लेड की मिलावट के कारण धुआं के माध्यम से एरोसोल के कण निकल रहे हैं. मानकों पर गौर करें तो मानव स्वास्थ्य के लिए 0.002 एमएम तक एरोसोल कण नुकसानदायी नहीं होते है. शहर की सड़कों पर फर्राटा भर रहे ऑटो रिक्शा व मोटरसाइकिल से निकलता काला धुआं है. कंडम वाहनों पर लगे रोक- शहर में पिछले 10 वर्षों में यात्री व लोडिंग वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ी है. साथ ही कंडम वाहनों का उपयोग भी बढ़ा है. शहर की बसाहट एरिया कम व वाहनों की संख्या अधिक होने से भी हवा में खतरनाक गैसों का स्तर बढ़ रहा है. हवा में कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाई-ऑक्साइड व सल्फर डाई-ऑक्साइड के साथ-साथ कई प्रकार के अम्ल की घुलनशीलता बढ़ी है. इससे लोगों को सांस से संबंधित रोगों का खतरा भी बढ़ रहा है.
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