प्रतिनिधि, मधेपुरा रासबिहारी उच्च माध्यमिक विद्यालय मधेपुरा में समाज सुधारक व क्रांतिवीर रासबिहारी लाल मंडल की 107वीं पुण्यतिथि सोमवार को मनायी गयी. सर्वप्रथम उनके पौत्र प्रो प्रभाष चंद्र यादव, प्रपौत्र डॉ एके मंडल, समाजसेवी-साहित्यकार डॉ भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी आदि ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित की. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाध्यापक संजीव कुमार गुप्ता ने की. मुख्य वक्ता के रूप में साहित्यकार “रासबिहारी लाल मंडल: पराधीन भारत में स्वाधीन सोच ” पुस्तक के लेखक प्रो डॉ मधेपुरी ने कहा कि रासबिहारी लाल मंडल वह नाम है, जो मधेपुरा के संपूर्ण परिचय के लिए आवश्यक ही नहीं, बल्कि मधेपुरा के अस्तित्व बोध के लिए जरूरी भी है. वे बने-बनाये पदचिह्नों पर कभी नहीं चले, बल्कि स्वयं के द्वारा पदचिह्न तैयार कर चलते रहे. डॉ मधेपुरी ने उनकी निर्भीकता, समाज सुधारवादी प्रवृत्ति और अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने की क्षमता की चर्चा की. उन्होंने कहा कि इसी कारण उनके परम मित्र दरभंगा के महाराजा लक्ष्मीश्वर प्रसाद सिंह उन्हें “तिरहुत का शेर ” कहकर पुकारते थे. फ्रेंच सहित सात भाषाओं के थे ज्ञाता कमलेश्वरी विंध्येश्वरी महिला महाविद्यालय के सचिव प्रो प्रभाष चंद्र यादव, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ एके मंडल, विज्ञान शिक्षक राजेंद्र प्रसाद यादव व अन्य ने कहा कि वे जीवन भर गरीबों, शोषितों और वंचितों की राह सजाते रहे. अंग्रेजों के सामने कभी नहीं झुके. वे हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत के अलावा बांग्ला, उर्दू, फारसी और फ्रेंच जैसी भाषाओं के भी ज्ञाता थे. विद्यालय के शिक्षक अमित कुमार सहित अन्य शिक्षकों व छात्रों ने कहा कि वे पढ़ने-लिखने में व्यस्त रहते थे. उनके मुरहो गांव में हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और बंगला के चार-अखबार आते थे. उन्होंने भारत माता का संदेश नामक पुस्तक की भी रचना की थी. स्कूल के छात्रों के बीच पेंटिंग एवं क्विज कराया गया, जिसमें ज्यादातर लड़कों ने रासबिहारी बाबू का चित्र बनाया. उनमें विवेक कुमार प्रथम, आयुष कुमार द्वितीय व ओम कुमार तृतीय स्थान प्राप्त किया. इन्हें मेडल और ज्ञानवर्धक पुस्तकों से पुरस्कृत किया गया. क्विज में 12 लड़कों ने भाग लिया. जिनमें प्रथम, द्वितीय और तृतीय ग्रुप को मेडल व कलम देकर पुरस्कृत किया गया. मंच संचालन स्काउट एंड गाइड के आयुक्त जयकृष्ण प्रसाद यादव एवं धन्यवाद ज्ञापन शिक्षिका माधुरी ने किया.
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