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आठ साल से धूल खा रही स्वीपिंग मशीन, सड़क के डस्ट की नहीं होती है सफाई

आठ साल से धूल खा रही स्वीपिंग मशीन, सड़क के डस्ट की नहीं होती है सफाई

मधेपुरा. लाखों रुपये खर्च कर खरीदी गयी रोड स्वीपिंग मशीन नगर परिषद में बेकार पड़ी है. करीब 45 लाख रुपये की लागत से 2016 में मशीन खरीदी गयी थी. उपयोग नहीं किये जाने के कारण मशीन में जंग लगने लगी है. वर्ष 2016 में नगर परिषद को विभाग द्वारा बुडको के माध्यम से खरीद कर रोड स्वीपिंग मशीन दी गयी थी. ताकि शहर की सड़कों की बेहतर ढंग से सफाई हो सके. लाखों रुपये के स्वीप वाहन का प्रयोग सड़कों की सफाई में किया जाता है. खासकर सड़क पर जमी धूल को हटाने में इसका उपयोग होता है. शहरी क्षेत्र में प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के लिए स्वीप वाहन उपयोगी है. सड़कों की सफाई नहीं होने और उस पर धूल जमा हो जाने से लोगों को सांस संबंधी बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है. चिकित्सकों के अनुसार प्रदूषण से लोगों को सांस ,ह्रदय,व फेफड़ा से संबंधित परेशानी हो सकती है. 2016 से बना हुआ है शोभा की वस्तु, सप्लायर ने नहीं दिया था किसी को प्रशिक्षण- नगर परिषद परिसर में रखा लाखों का स्वीप वाहन वर्ष 2016 से ही शोभा की वस्तु बनी हुई है. बगैर उपयोग के स्वीप वाहन रखे-रखे खराब हो चुका है. वहीं इसके उपयोग में नहीं लाये जाने के कारण सड़कों पर धूल की मोटी परत जम चुकी है. इस वजह से सड़कों पर वाहनों के चलने पर धूल उड़ा करती है. धूल की धुंध से जहां राहगीरों को चलने में परेशानी होती है. वहीं वातावरण में प्रदूषण भी फैल रहा है. हालांकि प्रशिक्षित कर्मी को लेकर नगर परिषद द्वारा कभी कोई कवायद भी नहीं की गयी है. इस्तेमाल के तरीके नहीं है पता इसलिए नहीं होती है सफाई- सड़कों पर जमी धूल की सफाई नहीं होने और स्वीप वाहन के उपयोग में नहीं लाये जाने के सवाल पर प्राप्त जानकारी के अनुसार इसके इस्तेमाल के तरीके संबंधित कंपनी द्वारा नहीं बताया गया. वही इसमें लगा अटैचमेंट भी यहां की सड़कों के मुताबिक नहीं है. मशीन की खरीद में सरकार का लाखों का खर्च हुआ है, जबकि उसके रख रखाव पर हर महीने हजारों का खर्च हो रहा है. इसके बावजूद स्वीप वाहन नगर परिषद में शोभा की वस्तु बनी हुई है. जानकारों का कहना है कि स्वीप मशीन से सफाई होने पर सड़क की चकाचक सफाई होती है वही कम समय में पूरे नगर परिषद क्षेत्र के सड़कों को झाड़ू लगाया जा सकता है

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