मानसून की पहली बारिश में ही शहर हुआ पानी-पानी
शुक्रवार की सुबह डेढ़ घंटे तक जमकर हुई बारिश-
फोटो-मधेपुरा 52- वार्ड नंबर 6 में फैला बारिश का पानीफोटो-मधेपुरा 53- जयप्रकाश नगर में सड़क फैला पानी फोटो-मधेपुरा 54- सदर अस्पताल परिसर में फैला बारिश का पानी फोटो-मधेपुरा 55- डूब गया इमरजेंसी वार्ड फोटो-मधेपुरा 56- मुख्य सड़क पर जमा हुआ बारिश का पानी फोटो-मधेपुरा 57- पूर्णिया गोला रोड में टखने भर लगा पानी फोटो-मधेपुरा 58- पानी टंकी मोड़ में जमा पानी -शुक्रवार की सुबह डेढ़ घंटे तक जमकर हुई बारिश- -मुख्य सड़क से लेकर गली-मुहल्लों में हुआ भारी जलजमाव- -निकासी को लेकर नगर परिषद ने नहीं दिखायी कोई चिंता- -मुहल्ले के लोगों को आवागमन में हुई बड़ी परेशानी- -अभी लगातार पांच दिनों तक बारिश होने की है संभावना- प्रतिनिधि, मधेपुरा तीन दिनों की देरी के बाद शुक्रवार को मानसून बिहार प्रवेश किया. शुक्रवार की सुबह तकरीबन डेढ़ से दो घंटे तक जमकर बारिश हुई. जिससे शहर के मुख्य बाजार सहित गली-मुहल्लों में भारी जलजमाव हो गया. हालांकि शाम तक बाजार की सड़कों से पानी का दवाब आंशिक रूप से कम हुआ. लेकिन मुहल्लों में नाला नहीं होने अथवा पानी निकासी की कोई अस्थायी व्यवस्था भी नहीं होने के कारण जलजमाव की स्थिति जस की तस बनी रही. भारी जलजमाव होने के बाद भी मुहल्लों से जलनिकासी को लेकर नगर परिषद ने कोई चिंता नहीं दिखायी. -पांच दिनों तक बारिश का है अलर्ट- मौसम विभाग ने राज्य में मानसून के लगातार सक्रिय रहने का अलर्ट जारी किया है. अगले पांच दिनों तक सामान्य बारिश की संभावना जतायी गई है. यह भी कहा है कि जून और जुलाई में इसी तरह लगातार बारिश होती रहेगी. जबकि अगस्त और सितंबर में कोसी के इलाके में भी बारिश होगी. सवाल यह है कि जब मानसून की पहली बारिश में शहर का यह हाल है तो लगातार होने वाली बारिश में क्या दशा होगी. लोग घर से बाहर कैसे निकलेंगे. -अधिकतर मुहल्ले में नहीं है नाला- नगर परिषद की अकर्मण्यता और लापरवाही समझ से परे है. कई वर्षों से शहर में जलजमाव की यही स्थिति बनी हुई है, लेकिन नागरिकों को हो रही परेशानियों से सबक ले इसका न तो स्थायी समाधान किया जा रहा है और न ही अस्थायी. मुख्य बाजार में सड़कों के किनारे नाले तो बना दिए गए हैं, लेकिन सड़क पर जमा होने वाला पानी उसमें नहीं जा पा रहा है. इन बड़े नालों का किसी दूसरे नाले अथवा किसी जलजमाव क्षेत्र भी कनेक्शन नहीं है. अधिकतर मुहल्ले नालाविहीन हैं, लिहाजा पानी को आगे बढ़ने का रास्ता नहीं मिलता है और वह वहीं जमा रह जाता है. -नप के लिए अस्पताल भी नहीं रखता मायने- बारिश के लिए अब कोई महीना निर्धारित नहीं रह गया है. इस वर्ष जनवरी, फरवरी, मार्च और मई महीने में भी बारिश हो चुकी है. हर बार शहर की ऐसी ही तस्वीर सामने आती है. सदर अस्पताल जिले के अति संवेदनशील क्षेत्र में आता है, लेकिन यहां भी जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं है. अस्पताल के इमरजेंसी के बरामदे सहित कई वार्डों में पानी घुस जाता है. जबकि सदर अस्पताल में संक्रमण के रोगी भी इलाजरत होते हैं. नियमित साफ-सफाई नहीं होने के कारण पानी के साथ मेडिकल वेस्टेज भी पानी में तैरता रहता है. इधर शहर के अधिकतर मुहल्लों में लोगों द्वारा फेंके जाने वाले कचरे जलजमाव के साथ फैलने और दुर्गंध देने लगे हैं. लेकिन नप चैन की बंसी बजा रहा है.
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