अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ी, कोल्ड डिहाइड्रेशन के ज्यादातर मरीज
अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ी, कोल्ड डिहाइड्रेशन के ज्यादातर मरीज
मधेपुरा. तापमान में गिरावट व बढ़ोतरी का असर लोगों के शरीर पर पड़ रहा है. सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में मरीजों की संख्या में इजाफा होने लगा है. अस्पताल में चाहे दवा वितरण काउंटर हो या फिर डाॅक्टर का कक्ष, सभी जगह भीड़ बढ़ने से मरीजों को इलाज कराने में परेशानी उठानी पड़ रही है. सदर अस्पताल में ज्यादातर मरीज उल्टी-दस्त, बुखार और पेट दर्द के पहुंच रहे हैं. बहरहाल लोग बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं. इस दौरान पर्ची बनवाने के लिए सुबह ही काउंटर पर लंबी लाइन लग रही है. वहीं ओपीडी में डॉक्टरों के कमरों के सामने भी मरीजों की भीड़ देखी जा रही है. इस दौरान दवाई लेने वाले काउंटर से लेकर पैथोलॉजी लैब पर भी मरीजों को घंटों खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते देखा जा रहा है. फिलहाल मौसम बदल रहा है. सर्दी बढ़ने के साथ ही लोग बीमार हो रहे है. बताया कि इस मौसम में बच्चों की देखभाल जरूरी है. बच्चों का ख्याल रखने की जरूरत- अस्पताल में पिछले 20 दिन में लगातार पेट दर्द के मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. चिकित्सकों की माने तो कोल्ड डायरिया एक जल जनित बीमारी है. इसके अलावा टैंकरों व सप्लाई का पानी भी कई बार खराब आ जाता है. इसलिए लोगों को इस मौसम में हमेशा साफ पानी या पानी को उबाल कर ही पीना चाहिए. सर्दी में बच्चों का ख्याल रखने की जरूरत है. बच्चे दूषित पानी या फिर अन्य चीज खा लेते हैं. साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए सर्दी से बचाव के लिए बच्चे का ख्याल रखना चाहिए. जैसे ही उल्टी, सिरदर्द आदि के लक्षण दिखे, तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. बच्चे हो रहे ज्यादा बीमार- सर्दी के कारण उल्टी दस्त, बुखार,पेट में दर्द, सांस की बीमारी आदि रोग बच्चों में हो रहे हैं. ज्यादातर बच्चे उल्टी दस्त के अलावा वायरल फीवर से भी परेशान हो रहे हैं. रोजाना 8-10 बच्चे सरकारी अस्पताल में सर्दी से होने वाली बीमारी से पीड़ित होकर पहुंच रहे हैं. इसके अलावा प्राइवेट अस्पतालों में भी मरीज उपचार करा रहे हैं. कभी सर्द तो कभी गर्म जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. पर्ची काउंटर पर मरीजों की लंबी लाइन लग रही है. वहीं ओपीडी में सुबह दस बजे से दो बजे तक मरीज सहित परिजन डटे रहते है. सर्दी बढ़ते ही लोगों में कोल्ड-डिहाइड्रेशन के मरीजों की संख्या बढ़ गयी. अस्पताल में मरीज कोल्ड डिहाइड्रेशन से ग्रसित होने कर इलाज करा रहे हैं. पानी की कमी के चलते लगातार अस्पताल में भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है. कोल्ड डिहाइड्रेशन की शिकायत विशेष कर फील्ड में रहकर काम करने वालों में देखी जा रही है. मेडिकल स्टाफ के अनुसार कोल्ड डिहाइड्रेशनके मरीज तेजी से बढ़ रहे है. स्वास्थ्य विभाग भी लोगों को इससे बचने के उपाय बता रहा है. चिकित्सकों का कहना है मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है. कभी ठंड तो कभी गर्म मौसम के अनुरूप होने में कम से कम 20 दिन का समय लगता है, लेकिन अभी की स्थिति में जिस गति से सर्दी बढ़ी है शरीर उस अनुरूप नहीं हो पाया है तथा कोल्ड-डिहाइड्रेशन की शिकायत बढ़ गयी है. सदर अस्पताल में लगातार कोल्ड डिहाइड्रेशन से पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं. विभाग की ओर से लगातार बढ़ती सर्दी तथा कोल्ड डिहाइड्रेशन की शिकायत को देखते स्वास्थ्य विभाग ने सभी को ओआरएस घोल के अलावा आवश्यक दवाईयां उपलब्ध करा रहे है. डॉ इंद्रभूषण कुमार ने बताया कि सर्दी बढ़ने के कारण कोल्ड डिहाइड्रेशन व बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ी है. इससे बचाव के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है, जिससे कोल्ड डिहाइड्रेशन सहित अन्य बीमारियों से बच सकते है. कोल्ड डिहाइड्रेशन में न बरते लापरवाही- सर्दी ज्यादा होने के कारण हमारें शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट की कमी होने लगती है. इसलिए पानी अत्यधिक मात्रा में ले. अभी हल्की धूप जरूर लगाए. शरीर में जितने भी आर्गन हैं वे भी प्रभावित हो जाते हैं। ऐसे में थकावट तथा शरीर कमजोर होने लगता है.चिकित्सकों के अनुसार कोल्ड डिहाईड्रेशन होने पर लापरवाहीं नहीं बरतना चाहिए. जिससे जान भी जा सकती है. इसलिए तत्काल चिकित्सकों से सुझाव लेकर हीं दवाएं ले ये होते हैं मरीजों में लक्षण- कोल्ड डिहाइड्रेशन अर्थात शरीर का पानी तेजी से सूखने लगता है. इससे शरीर में थकावट तथा सुस्ती आने लगती है, जिससे मुंह भी सूखने लगता है. इसका प्रभाव बढ़ने पर चक्कर, बेहोशी,बुखार,सिरदर्द,उल्टी होने के साथ साथ प्रभावित व्यक्ति बहकी बहकी बातें भी करने लगता है. समय पर उपचार नहीं मिलने पर मरीज की मौत भी हो सकती है. इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल चिकित्सकों से संपर्क करें बच्चों को देखभाल करना ज्यादा जरूरी- डाॅ यश शर्मा ने बताया कि कोल्ड डिहाइड्रेशन के प्रभाव से बचाने के लिए बच्चों की देखभाल करना ज्यादा जरूरी है. अधिकांश बच्चे छुट्टी के चलते धूप में खेलने चले जाते हैं. इससे बच्चे कपड़े भी नहीं पहने रहते,जिससे उनका धूप से बचाव हो सके. बच्चों के शरीर का क्षेत्रफल भी कम होता है. उनकी स्थिति नाजुक बनी रहती है. इस दौरान लापरवाही बरतने पर बीमारी जानलेवा ही साबित हो सकती है.
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