नाले हैं, पर जल निकासी की व्यवस्था नहीं
नगर क्षेत्र में मकड़ जाल की तरह नाली का निर्माण हुआ, लेकिन जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गयी.
अमन श्रीवास्तव, मधेपुरा नगर क्षेत्र में मकड़ जाल की तरह नाली का निर्माण हुआ, लेकिन जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गयी. अधिकांश नाले मच्छर पालन केंद्र बन गये हैं. बिना मास्टर प्लान के बने नाले अपने मोहल्ले का पानी निकालने में अक्षम है. वही कई जगहों पर नाले की कनेक्टिविटी दूसरे नाले से नहीं रहने के कारण जलजमाव हो रहा है. ऐसे में मधेपुरा शहर को एक संपूर्ण ड्रेनेज सिस्टम की आवश्यकता है, ताकि जलजमाव की समस्या खत्म हो और नालों से पानी निकासी सुनिश्चित हो. बुद्धिजीवियों की माने तो तीनों तरफ नदियां होने की वजह से मधेपुरा शहर में जलजमाव नहीं होता था. 90 के दशक में मुख्य बाजार में बने नाले से पर्याप्त जल निकासी भी हो जाती थी. जिससे नालियों का बगैर लेवल देखे निर्माण होता गया और जलजमाव की समस्या बढ़ती गयी. हालात यहां तक हो गयी कि निजी मंशा से ऐसी नालियां भी बनायी गयीं जो आगे किसी भी नाले से कनेक्ट नहीं है. -सरकार से लेकर विभिन्न मदों में मिलती है राशि- सरकार की ओर से विकास कार्यों के लिए राशि जारी की जाती है, ताकि वार्ड में मूलभूत सुविधाओं का विस्तार किया जा सके. पर मधेपुरा में नगर के 26 वार्डों में न तो ढंग की सड़कें है न ही नालियां और न स्ट्रीट लाइट की बेहतर व्यवस्था. ऐसे में प्रश्न उठना लाजमी हो जाता है कि शासन की ओर से दी गयी निधि का उपयोग आखिर कहां किया जा रहा है. -क्या कहते है नगरवासी- स्थानीय निवासी महेश बताते है कि मधेपुरा शहर में पहले कभी जलजमाव नहीं होता था. कई वर्ष पूर्व भीषण वर्षा में पानी बहकर नदियों के माध्यम से निकल जाता था. कभी भी जल निकासी की समस्या नहीं रही. नाले बनते रहें और समस्या बढ़ती गई. पूर्व में कॉलेज चौक के आसपास का जल निकासी टीपी कॉलेज के बगल से बेलघाट हो जाता था. जबकि कचहरी के आसपास मुख्य बाजार की जल निकासी डाक बंगला रोड होकर तत्कालीन बांध वर्तमान में पश्चिमी बायपास के बगल से होते हुए नदी में होता था. इसी नदी में भिरखी की भी जल निकासी होती थी. वही जयपालपट्टी एवं उस इलाके की जल निकासी रेलवे पुल के माध्यम से नदी में होती थी. हर वार्ड में भी अधिकांश जगह नाला टूटे अवस्था में है तो कहीं नालों का पानी सड़कों पर रहता है. उन्होंने बताया कि शहर के भूपेंद्र चौक से सुभाष चौक तक सभी जगहों पर नगर परिषद के द्वारा लोगों के लिए सुरक्षा का इंतजाम किये बिना हीं नाला के प्लेट को तोड़कर खुले छोड़ दिया गया है. वही नाले का पानी सड़क पर जमा हो गया है तो कहीं नाला क्षतिग्रस्त पड़ा है. वार्डों में नाले का गंदगी भरा पानी सड़कों पर महीनों से रहने के कारण उससे लोगों के बीमार होने का खतरा अलग सता रहा है. नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि अभी बोर्ड गठन नहीं होने से भी परेशानी हो रही है. नाले से होने वाले जलजमाव के परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सहायक परियोजना अधिकारी दिनेश कुमार दास से बताया कि अचार संहिता के बाद कार्य शुरू किया जायेगा. न्यायालय में जो मामला था उसकी सुनवाई हो गयी है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है