नोटिस जारी करने के बावजूद बिना रजिस्ट्रेशन के चल रही क्लिनिकों पर नहीं लग रही रोक
नोटिस जारी करने के बावजूद बिना रजिस्ट्रेशन के चल रही क्लिनिकों पर नहीं लग रही रोक
प्रतिनिधि, घैलाढ़
प्रखंड क्षेत्र में ग्रामीणों डॉक्टरों की भरमार है. यहां ऐसे कई क्लिनिक चल रहे हैं जिनकी स्वास्थ्य विभाग लगातार अनदेखी कर रहा है. इस तरह के क्लिनिकों के न तो लाइसेंस हैं और न ही कथित डॉक्टर कहलानेवालों के पास कोई डिग्री. बीते अगस्त में घैलाढ़ मुख्यालय बाजार में स्थित लाइफ केयर पॉलीक्लिनिक में एक बच्चे की मौत हो गयी, जिसकी खबर अखबार में प्रमुखता से प्रकाशित की गयी थी . इसको लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी डॉ ललन कुमार मामले को संज्ञान में लेते हुए दो सितंबर को नोटिस जारी करते हुए बिना रजिस्ट्रेशन के अस्पताल चला रहे संचालक से सात दिन के अंदर जवाब मांगा था,
बाजार व चौक चौराहों पर ग्रामीण डॉक्टरों की दुकानें दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही हैं. उनकी दुकानों पर लगे बोर्ड में इस तरह लिखा जाता है जैसे ये लोग तमाम तरह की बीमारियों को पलभर में ठीक कर दें. लोगों को अपनी ओर खींचने के लिए तमाम तरह की डिग्रियों का जिक्र भी होता है, लेकिन सोचने वाली बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के लोग सबकुछ जानते हुए भी कुछ नहीं करते. इनके क्लिनिकों के नाम भी बड़े शहरों की क्लिनिकों की तर्ज पर रहते हैं. इससे लोग आसानी से प्रभावित हो जाते हैं. मरीज अच्छा डॉक्टर समझकर इलाज करवाते हैं, लेकिन उन्हें इस बात का पता नहीं रहता है कि उनका इलाज भगवान भरोसे किया जा रहा है.
कार्रवाई नहीं होने के चलते बढ़ती जा रही है, फर्जी क्लिनिकों की संख्या
अस्पताल संचालक सीरियस होने पर मरीजों को रेफर कर देते हैं. मरीजों को वही दवा लिखी जाती है, जिससे उन्हें कमीशन मिलते है. अक्सर ऐसे मामले देखने को मिलते हैं कि फर्जी डॉक्टरों के इलाज से मरीज की जान पर आफत आ जाती है. स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं है कि क्षेत्र में फर्जी डॉक्टरों द्वारा कितने बिना पंजीकरण के क्लिनिक संचालित किये जा रहे हैं.
मरीजों को लुभाने के लिए कराते हैं कई तरह की जांचगर्भपात करने का अड्डा बने अवैध क्लिनिक
स्थानीय लोगों कि माने तो प्रखंड के कई क्लिनिक ऐसे हैं जहां अवैध गर्भपात धड़ल्ले से हो रहा है. इस धंधे में इन्हें मोटी रकम मिलती है. गांवों व बाजार में सैकड़ों की संख्या में झोलाछाप डॉक्टर क्लीनिक चला रहे हैं. उन्हें पता है कि विभाग के लोग कभी छापेमारी करने नहीं आते. कभी-कभार विभागीय पदाधिकारी आते भी हैं तो इस बात का पता पहले ही चल जाता है और वे लोग क्लीनिक बंद कर फरार हो जाते हैं. अवैध क्लिनिकों के अलावा प्रखंड क्षेत्र में अवैध मेडिकल स्टोर भी बड़ी संख्या में चल रहे हैं. यही नहीं इन मेडिकल स्टोर पर उन दवाइयों को भी आसानी से लिया जा सकता है जिन पर बैन है.
फर्जी क्लिनिकों के बारे में अधिकारियों को दी गयी जानकारी फर्जी क्लीनिकों की जानकारी प्रखंड में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी को दी जा चुकी है. लेकिन दुर्भाग्य बस है कि अभी तक उनके द्वारा सफल कार्रवाई नहीं हुई है. कई ऐसे ग्रामीण डाॅक्टर हैं जो सर्जन बनकर मरीजों के जान से खिलवाड़ करते हैं. कई फर्जी क्लिनिकों में हाइड्रोसील, बवासीर, अपेंडिक्स आदि संवेदनशील ऑपरेशन किये जाते हैं. ये लोग मरीजों को कम खर्च में इलाज का लालच देकर उन्हें फंसा लेते हैं. जानकारी नहीं होने के चलते मरीज भी झांसे में आ जाते हैं.रोक नहीं लगी तो बढ़ती जायेगी डॉक्टरों की संख्या
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि शीघ्र ही फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी, तो इनकी संख्या बढ़ती ही जायेगी. मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ होता रहेगा. लोग स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासन से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जिससे आम जनमानस को फर्जी डॉक्टर के चंगुल में फंसने से बचाया जा सके. हाल यह है कि छोटी बीमारी में भी मरीजों की अच्छी-खासी खर्च हो जाती है.
——— दो सितंबर को बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे लाइफ केयर पॉलिक्लिनिक के अस्पताल संचालक को बिना रजिस्ट्रेशन चला रहे अस्पताल के विरुद्ध नोटिस जारी करते हुए सात दिनों के अंदर जवाब मांगा था. जब इस संबंध में चिकित्सा प्रभारी से जानकारी लिया तो उन्होंने बताया कि नोटिस जारी करते हुये नौ दिन बीतने को है, लेकिन अभी तक उनके द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है. नोटिस का उनके ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है जल्द उनके अस्पताल को सील किया जायेगा. प्रखंड क्षेत्र के और भी क्लिनिक के बारे में जानकारी मिली है जांच पड़ताल किया जा रहा है.
डॉ ललन कुमार, चिकित्सा प्रभारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, घैलाढ़डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है